रिपोर्ट – सत्य प्रकाश भारती
अहमदाबाद। गुजरात के पाटन जिले के भाटासन गांव में 12 मई को दलित परिवार के घर से बारात निकली थी। घोड़े पर सवार दलित दूल्हे के साथ बारात घर से 500 मीटर दूर ही पहुंची थी कि कथित रूप से ठाकुर जाति के लोगों ने बारात को घेर लिया। आरोप है कि, दलित व्यक्ति को घोड़ी पर बैठे देखकर उन लोगों ने विरोध किया। जब दलित परिवार नही माना तो बारात में शामिल सभी लोगों पर पत्थर बरसा दिए गए। बारात में शामिल पुरुषों सहित महिलाओं और बच्चों को चोटे आई हैं। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस भाटसन गांव पहुंची और दलित परिवार को सुरक्षा व्यवस्था में घुड़चढ़ी निकालने में सहायता की।
क्या है पूरा मामला?
गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाले रामजी परमार अनुसूचित जाति (चमार) से हैं। भरत परमार उनका बड़ा बेटा है, जबकि विजय परमार उनका छोटा बेटा है। छोटे बेटे की शादी के लिए वह अपने पैतृक स्थान पाटन जिले के भाटासन गांव आए हुए थे।
भरत परमार ने द मूकनायक से बात करते हुए बताया कि, उनके पिता ने पास के गांव से ही उनके छोटे भाई विजय परमार की शादी तय की थी। 12 मई को शादी की तारीख तय थी।
भरत बताते हैं कि, उनके छोटे भाई विजय परमार की बारात 12 मई को होमगार्ड की सुरक्षा में सुबह 11 बजे निकली थी। उनके भाई घोड़ी पर थे। DJ की व्यवस्था भी की गई थी। बारात गांव से लगभग 500 मीटर ठाकोर तक पहुंची ही थी कि क्षेत्र के सवर्ण जाति के लोगों (ठाकुरों) ने बारात को रोक लिया।
भरत बताते हैं कि, "बारात रोकने के लिए 200 से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा थी। सभी छोटे भाई विजय परमार को घोड़ी पर चढ़े देखकर आगबबूला थे।"
भरत के अनुसार सवर्णों का कहना था कि, उनका परिवार चमार बिरादरी से है और ठाकुरों की बराबरी नहीं कर सकता इसलिए घोड़ी पर बारात निकलने की अनुमति नहीं है। सभी लोग इसका विरोध कर रहे थे।
"पिता रामजी परमार ने मिन्नते भी की थी, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। आपसी कहासुनी में विवाद बढ़ गया और होमगार्डो की मौजूदगी में सवर्णों ने बारात पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया। बारात में भगदड़ मच गई। बूढ़े और बच्चे भीड़ में गिरकर कुचल गए। जबकि बारात में शामिल महिलाएं भाग न सकी और उन्हें चोट आई। बवाल की सूचना पर भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गया।" भरत परमार ने बताया।
मामले में 6 लोगों को हिरासत में लिया गया। जिसके बाद शाम 4 बजे पुलिस की कड़ी सुरक्षा में बारात पहुंच पाई। चूंकि, परिवार शादी में अब भी व्यस्त है और अब तक नहीं लौटा है, इसलिए मामले में प्राथमिकी भी दर्ज नहीं कराई गई थी। शुक्रवार को पुलिस ने पीड़ित परिवार की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है।
भरत ने आगे बताया, "गांव में अनुसूचित जाति को लेकर बहुत विरोध किया जाता है। ऊंची जाति का गांव में दबदबा होने के कारण अनुसूचित जाति के लोगों को हैंडपंप से पानी पीने तक की अनुमति नहीं है। पूर्व में हुई घटनाओं को देखते हुए अपने गांव के क्षेत्रीय थाने को बारात निकालने के दौरान सुरक्षा देने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया था। क्षेत्रीय थाने ने पुलिस भी भेजी थी, लेकिन पुलिस के नाम पर थाने में तैनात 6 होमगार्ड ही भेजे गए थे।"
DJ वालों के तोड़ दिए स्पीकर
भरत परमार घटना का जिक्र करते हुए बताते हैं कि, आक्रोशित भीड़ ने DJ वालों का नुकसान कर दिया और उनके स्पीकर तोड़ दिये। बग्गी वाले को भी धमकाया गया।
10 साल पहले शादी में दिखावे पर था प्रतिबंध
पाटन के एसपी विजय कुमार पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि, लगभग नौ से दस साल पहले भाटासन ग्रामसभा ने सभी समुदायों के लिए शादियों में बारात और दिखावे पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया था। उसके बाद से शादियां सादे तरीके से होने लगीं।
एसपी ने कहा कि, रामजी परमार और उसका परिवार अहमदाबाद में रहता है और विशेष रूप से शादी के लिए गांव आया था। वह ग्रामसभा के प्रस्ताव का पालन करने से असहमत था और जुलूस के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। पथराव की घटना की सूचना मिलते ही गांव में अतिरिक्त बल भेजा गया।
बारात निकालने पर अड़ा था परिवार
पटेल ने कहा कि, "गांव की पंचायत ने छह साल पहले शादी पर बेवजह के खर्च को रोकने के लिए प्रस्ताव पारित किया था जिसके तहत भले किसी भी जाति का व्यक्ति हो, शादी पर बारात निकालने की अनुमति नहीं थी लेकिन दूल्हे का परिवार बारात निकाले जाने पर जोर दे रहा था।"
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