ग्राउंड रिपोर्ट: कौन हैं छेद्दू चमार जिन्हें नामांकन स्थल से पुलिस अधिकारी ने धक्के मारकर किया था बाहर?

घटना के बाद छेद्दू चमार ने द मूकनायक को बताया कि वह इतनी बार चुनाव लड़ चुके हैं जितनी बार यूपी से सीएम-डिप्टी सीएम ने भी चुनाव नहीं लड़ा होगा। उन्होंने कहा, "मैं हर बार चुनाव हार जाता था, तो इतना दुःख नहीं होता था। लेकिन इस बार मुझे बहुत दुःख हुआ है। जिंदगी में मैं पहली बार खुद को गरीब और पिछड़ा महसूस कर रहा हूं।"
छेद्दू चमार के घर में रखा हुआ सामान.
छेद्दू चमार के घर में रखा हुआ सामान.तस्वीर- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक
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उत्तर प्रदेश। 'चल भाग यहां से, तेरी औकात है यहां बजाने की, दिमाग ठीक कर दूंगा', यह कहते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के एक अधिकारी की वीडियो सोशल मीडिया पर दो दिन से सुर्ख़ियों में है. कौशांबी जिले में 3 मई को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान कथित तौर पर उच्च जाति के सीओ ने एक दलित प्रत्याशी छेद्दू चमार को उक्त बातें कहते हुए धक्का मारकर बाहर कर दिया था। अगले दिन इस प्रत्याशी का पर्चा भी खारिज कर दिया गया था। इन सब मामलों की तह तक पहुंचने के लिए द मूकनायक की टीम कौशांबी पहुंच गई।

कौशांबी के जिला मुख्यालय मंझनपुर से सिराथू रोड पर 10 किमी की दूरी पर स्थित तैबापुर श्मशाबाद गांव में हमें एक कच्चे मकान और उसके पास बिखरे बर्तनों का दिखा है। यह वाई घर था जिसमें छेद्दू चमार रहते हैं।

खपरैल और मिटटी से बना हुआ कच्चा मकान छेद्दू चमार का है.
खपरैल और मिटटी से बना हुआ कच्चा मकान छेद्दू चमार का है.तस्वीर- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

पुराने खपरैलों से सजी हुई छत मिट्टी की दीवारों पर टिकी हुई है। इसके दूसरी तरफ खाली पड़े प्लाट पर खुले में एल्युमिनियम और स्टील के टूटे पुराने बर्तन पड़े हुए हैं। पास में ही एक साईकिल मिट्टी की एक छोटी सी दीवार के सहारे खड़ी हुई है, उस पर एल्युमिनियम के नए बर्तन लदे हुए हैं। यही छेद्दू चमार की रोजी रोटी का साधन है।

साईकिल पर रखे हुए एल्युमिनियम के बर्तन, यही छेद्दू के रोजगार का साधन हैं.
साईकिल पर रखे हुए एल्युमिनियम के बर्तन, यही छेद्दू के रोजगार का साधन हैं.तस्वीर- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

द मूकनायक से बातचीत करते हुए छेद्दू कहते हैं कि, "साहेब मेरे साथ बहुत गलत हुआ है। मैं उनके परिवार से हूं, जिसने भारत का संविधान लिखा है। मैं आज से चुनाव नहीं लड़ रहा हूं, चुनाव लड़ते-लड़ते मुझे 24 साल हो गए हैं। इतनी बार तो यूपी से सीएम-डिप्टी सीएम ने भी चुनाव नहीं लड़ा होगा। मैं हर बार चुनाव हार जाता था, तो इतना दुःख नहीं होता था। लेकिन इस बार मुझे बहुत दुःख हुआ है। जिंदगी में मैं पहली बार खुद को गरीब और पिछड़ा महसूस कर रहा हूं। पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ है कि मैं बूढा हो चूका हूं।"

छेद्दू चमार की पत्नी ने बताया उस दिन क्या हुआ था?

छेद्दू चमार की पत्नी बताती हैं कि, "मैंने उन्हें कभी चुनाव लड़ने से नहीं रोका है। इसमें उनकों ख़ुशी मिलती है। उस दिन उनके साथ बहुत गलत हुआ। मैं उनके साथ मौजूद थी। इस चुनाव में मैं उनकी प्रस्तावक भी हूं। हम सब नामांकन का पर्चा दाखिल करके बाहर आये थे। कई सारे मीडिया वाले भी खड़े थे। मेरे पति ने गले में डुगडुगी डाल रखी थी, मीडिया वालों ने उसे बजाकर दिखाने को कहा था, मेरे पति ने एक बार ऐसा करने से मना किया। लेकिन जब मीडिया वालों ने बार-बार कहा तो उन्होंने डुगडुगी बजा दी। इस पर पुलिस के अधिकारी भड़क गए। उन्होंने मेरे पति को धक्के मारते हुए अपशब्द कहे और नामांकन स्थल से बाहर निकाल दिया।"

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो का अंश जिसमे छेद्दू को सीओ धक्का मार रहे हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो का अंश जिसमे छेद्दू को सीओ धक्का मार रहे हैं. तस्वीर- साभार, सोशल मीडिया

मिट्टी के घर में रहने वाले छेद्दू चमार को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास का लाभ

छेद्दू चमार बहुत ही गरीब परिवार से हैं। वह परिवार का पेट पालने के लिए बर्तन बेचने का काम करते हैं। छेद्दू की पत्नी बताती हैं कि, "लगातार चुनाव लड़ने के कारण हमें कालोनी नहीं दी गई है। हम इसी दो कमरे के मिटटी के बने मकान में अपना गुजरा कर रहे हैं।"

छेद्दू का कमरा यही कोई पांच बाई दस का होगा। इस कमरे में बाएं तरफ रसोई बनी हुई है। इस रसोई में मिटटी का एक चूल्हा और लकड़ियां रखी हुई हैं, जबकि दूसरी तरफ लेटने-बैठने के लिए चारपाई पड़ी हुई है। इस कमरे से दूसरे कमरे में जाने का रास्ता है। इस घर की छत लकड़ी और बांस से बनाई हुई है। कमरे में एक कोने में राशन की कुछ बोरियां हैं जबकि दूसरी तरफ पुराना पंखा और बर्तन पड़े हुए हैं। इन बर्तनों पर जमी धूल और कमरे की स्थिति छेद्दू की गरीबी और बेबसी भरी जिंदगी की कहानी बताती है।

तैबापुर शमसाबाद गांव में मौजूद छेद्दू चमार का कच्चा मकान.
तैबापुर शमसाबाद गांव में मौजूद छेद्दू चमार का कच्चा मकान.तस्वीर- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

चुनाव में जीतकर बीडीसी बने थे

छेद्दू बताते हैं कि, "वर्ष 2000 में मैंने शमसाबाद क्षेत्र पंचायत से अपने सगे चाचा धर्मराज को 195 मतों से शिकस्त देकर क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) का चुनाव जीता था। बीडीसी का चुनाव जीतने के बाद पिछले 24 सालों से मैं लगातार क्षेत्र व ग्राम पंचायत के अलावा लोकसभा और विधानसभा के दो-दो और जिला पंचायत के तीन चुनाव लड़ चुका हूं।"

गौरतलब है कि यूपी के कौशांबी जिले में बीते 3 मई 2024 को नामांकन स्थल पर डुगडुगी बजाने पर सुरक्षा में तैनात सीओ मंझनपुर ने छेद्दू चमार को धक्के मारकर नामांकन स्थल से बाहर निकाल दिया था। इस घटना का वीडियो जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसके बाद 4 मई 2024 को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करने वाले छेद्दू का पर्चा खारिज हो गया।

छेद्दू आरोप लगाते हुए द मूकनायक से कहते हैं कि, "मेरा पर्चा जान बूझकर खारिज किया गया है। मुझे चुनाव में लगने वाले सभी कागजों की जानकारी है। मैंने सभी कागजों को अपने और सरकारी वकील दोनों से सत्यापित कराया था। नामांकन वाले दिन सीओ मंझनपुर ने मुझे धक्का मारकर भगाया था, जिसका वीडियो वायरल हुआ। जो लोग मुझे नहीं जानते थे, जनता ने मेरे साथ हुए बर्ताव को देखा। जनता ने मेरा समर्थन किया। मुझे इस बार जनता का समर्थन मिल रहा था और मैं चुनाव जीत जाता बस इसी डर से मेरा पर्चा जबरन खारिज किया गया।"

भारत निर्वाचन आयोग की जिला निर्वाचन के सामने नहीं चलती!

छेद्दू कहते हैं, "मेरा पर्चा खारिज किया गया। मामला ऊपर तक गया। भारत निर्वाचन आयोग ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन डीएम ने मनमुताबिक रिपोर्ट बनाकर भेजी है। दिल्ली में बैठे निर्वाचन अधिकारी इस पर चुप हैं। इस जिला निर्वाचन अधिकारी के आगे उनकी भी नहीं चलती है।"

जहां से होगा चुनाव वहां से लड़ेंगे

पर्चा खारिज होने से नाराज निर्दलीय प्रत्याशी छेद्दू चमार नाराजगी जाहिर करते हुए कहते हैं, "इस डीएम ने भले ही मेरा पर्चा खारिज कर दिया है। लेकिन आने वाले चरणों में मैं दूसरे जिले से चुनाव लडूंगा। मैं हार नहीं मानूंगा। यदि किसी कारण वश किसी लोकसभा प्रत्याशी की सीट खाली होती है, तो मैं उस पर भी चुनाव जरूर लडूंगा।"

भीम आर्मी और आसपा ने किया छेद्दू का समर्थन

छेद्दू चमार के साथ सीओ द्वारा अभद्रता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी (आसपा) ने छेद्दू चमार का समर्थन किया। कार्यालय प्रभारी अमित गौतम ने द मूकनायक को बताया कि, "छेद्दू चमार के साथ जो अभद्रता हुई है, उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। आजाद समाज पार्टी ने छेद्दू का समर्थन करते हुए आसपा के प्रत्याशी सुनील कुमार का नमांकन वापस ले लिया था। लेकिन बाद में अगले दिन इसकी जानकारी हुई कि उनका पर्चा खारिज कर दिया गया है।"

भीम आर्मी के कार्यकर्ता और प्रत्याशी ढांढस बांधने पहुंचे

भीम आर्मी और आसपा के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार अपनी टीम के साथ.
भीम आर्मी और आसपा के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार अपनी टीम के साथ.तस्वीर- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

छेद्दू चमार का 4 मई को पर्चा खारिज कर दिया गया। भीम आर्मी के प्रत्याशी रहे सुनील कुमार अपनी टीम के साथ रविवार सुबह छेद्दू चमार के घर पहुंचे। सुनील ने कहा कि सरकार तानाशाह हो गई है। छेद्दू का पर्चा जानबूझकर योजनाबद्ध तरीके से खारिज किया गया है। कुछ भी हो जाए भविष्य में होने वाले चुनावों में हम छेद्दू का पूरा समर्थन करेंगे।

डिप्टी सीएम के खिलाफ लड़ा था चुनाव

सिराथू तहसील के तैबापुर शमशाबाद निवासी छेद्दू डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ भी सिराथू विधानसभा से 2022 में चुनाव लड़े थे। छेद्दू का चुनाव लड़ना उनका जुनून है। इसके लिए वह अपनी तमाम जरूरतों में कटौती करते हैं पैसे जुटाते हैं ताकि चुनाव का खर्च निकल सके। छेद्दू क्षेत्र में साइकिल से घूम-घूम डुगडुगी बजाकर अपना चुनाव प्रचार करते हैं। उनके गले में एक बैनर होता है, जिस पर अपील लिखी रहती है और दूसरे हाथ से नगाड़ा बजाकर वह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

इस मामले में द मूकनायक ने जिला निर्वाचन अधिकारी से सम्पर्क करने की कोशिश की। जिला निर्वाचन अधिकारी के स्टेनो द्वारा उनके मीटिंग में व्यस्त होने की बात कही गई। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ जिला निर्वाचन अधिकारी राजेश कुमार राय ने बताया कि छेद्दू का पर्चा कागज पूरा न होने के चलते खारिज किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कई और लोगों का पर्चा खारिज हुआ है, जिसकी जानकारी मीडिया को दी जाएगी।

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