Ground Report: भोपाल के दलित किसान की 28 एकड़ ज़मीन SBI ने कर दी नीलाम, परिवार ने बैंक अधिकारियों पर लगाए ये आरोप!

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्य अनुसूचित जाति आयोग को लिखा पत्र, कहा बैंक के अधिकारियों का षड्यंत्र की उच्च स्तरीय जांच हो।
घर के आंगन में बैठी शांतिबाई
घर के आंगन में बैठी शांतिबाई फोटो: अंकित पचौरी, द मूकनायक
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भोपाल। मध्य प्रदेश के बैरसिया तहसील के ग्राम गरेठियादांगी में एक दलित किसान परिवार की 28 एकड़ बेशकीमती कृषि भूमि को नीलाम कर दिया गया। जिस जमीन पर उनका जीवन टिका था, वो अब उनके हाथों से छिन चुकी है। शांतिबाई मेहर, जो इस पीड़ित परिवार की सदस्य हैं, उनकी आंखों में आंसू हैं जब वह द मूकनायक से बातचीत में बताती हैं, "हम पीढ़ियों से इस जमीन पर खेती कर रहे थे, यहीं हमारा घर है, जहां हमारे 17 सदस्यों का परिवार पलता था। लेकिन बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से हमारी पूरी जमीन नीलाम कर दी गई।" उनकी आवाज में बेबसी झलकती है, जब वह कहती हैं कि उनका बेटा नर्मदाप्रसाद बैंक के सामने गिड़गिड़ाया, पैसे देने की पेशकश की, लेकिन उनकी जमीन फिर भी छीन ली गई। अब उनके पास घर भी नहीं बचा।

शांतिबाई आगे कहती हैं, "हम इसी जगह पर जिये हैं और इसी पर मरेंगे बैंक अधिकारियों ने षणयंत्र कर हमारी 28 एकड़ जमीन को नीलाम कर दिया। जिससे हमारा परिवार पल रहा था।"

जानिए पूरा मामला?

भोपाल से करीब 45 किलोमीटर दूर बैरसिया क्षेत्र में गरेठियादांगी गाँव है। जहां एक दलित परिवार ने भारतीय स्टेट बैंक की बैरसिया शाखा से वर्ष 2008 में ट्रेक्टर के लिए 4,86,000 रुपये और इसी वर्ष किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 5 लाख रुपये खेती का ऋण लिया था। जिसका आधा भुगतान परिवार कर चुका था। पारिवारिक समस्याओं के चलते कुछ किस्तों का भुगतान नहीं कर पाने के कारण बैंक ने उनके ऋण खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित कर दिया। इसके बाद बैंक ने उनके ऋण की वसूली के लिए उनकी 28 एकड़ की जमीन की नीलामी कर दी।

द मूकनायक प्रतिनिधि को कागजात दिखाते नर्मदाप्रसाद मेहर
द मूकनायक प्रतिनिधि को कागजात दिखाते नर्मदाप्रसाद मेहरफ़ोटो: अंकित पचौरी, द मूकनायक

पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनकी करोड़ों रुपये की जमीन को बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर नीलाम किया गया। वर्तमान में उस क्षेत्र में जमीन की कीमत 20 से 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के आसपास है, लेकिन बैंक ने यह नीलामी बेहद कम कीमत पर की है, जिससे यह संदेह होता है कि बैंक के अधिकारी इस प्रक्रिया में गड़बड़ी कर रहे हैं।

पीड़ित परिवार के नर्मदा प्रसाद ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, उन्होंने बैंक अधिकारियों सहित सरकार को शिकायत की पर कोई सुनवाई नहीं हुई उन्होंने कहा, "ऋण का आधा पैसा जमा करने के बाद भी हमारी जमीन छीन ली गई, इससे यह प्रतीत होता कि बैंक अधिकारी और नीलाम करने वाली संस्था सहित इसे खरीदने वालों ने षणयंत्र के तहत कौड़ियों के भाव करोडों की जमीन को खरीद लिया। हमारा परिवार मरते दम तक न्याय के लिए लड़ते रहेंगे।

नीलामी में पारदर्शिता पर सवाल

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी सरकार सहित राज्य अनुसूचित जाति को पत्र लिखा है, सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि नीलामी प्रक्रिया पूरी तरह से संदिग्ध है और इसमें पारदर्शिता की कमी है। बैंक द्वारा नीलामी की सूचना उन समाचार पत्रों में प्रकाशित की गई जिनकी प्रसार संख्या बेहद कम है, जबकि भोपाल से प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्रों में इसे कोई स्थान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि यह पूरा प्रकरण गंभीर जांच का विषय है और अनुसूचित जाति के कर्जदार किसान परिवार की जमीन को कोड़ियों में बेचने के लिए बैंक के अधिकारियों द्वारा षड्यंत्र रचा गया है।

दलित परिवार का खेत
दलित परिवार का खेतफोटो: अंकित पचौरी, द मूकनायक

दलित परिवार को संरक्षण नहीं मिला

दिग्विजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन इस मामले में इस दलित किसान परिवार को कोई मदद नहीं दी गई। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के परिवारों को कर्ज माफी या पुनर्वास के लिए विशेष सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन इस प्रकरण में किसान परिवार को संरक्षण देने की बजाय उनकी ज़मीन की नीलामी कर दी गई।

आयोग ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले में गंभीरता से संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखकर जांच कराने और जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। आयोग ने कहा कि नीलामी की प्रक्रिया की पारदर्शिता और इसमें शामिल बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनुसूचित जाति वर्ग के परिवारों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

किसान की मांग: नीलामी रद्द हो और ऋण जमा कराने का अवसर मिले

शांतिबाई कहना है, कि उनकी ज़मीन की नीलामी को रद्द किया जाए और उन्हें ऋण की शेष राशि पेनाल्टी सहित जमा कराने का अवसर प्रदान किया जाए। उनका कहना है कि जमीन उनकी आय का एकमात्र स्रोत है और इसे बेचने से उनका परिवार बुरी तरह प्रभावित होगा। इस संबंध में द मूकनायक प्रतिनिधि ने भारतीय स्टेट बैंक की शाखा बैरसिया के प्रबंधक आशीष तिवारी को कई बार फोन किया पर उनसे बात नहीं हो सकी।

संवैधानिक दृष्टिकोण

अनुच्छेद 19(5) का उल्लंघन: संविधान के अनुच्छेद 19(5) के तहत अनुसूचित जातियों के भूमि अधिकारों की सुरक्षा के प्रावधान हैं, लेकिन इन अधिकारों का हनन हो रहा है। अनुसूचित जातियों की जमीनें गैर-कानूनी तरीकों से छीनी जा रही हैं, और पुनर्वास योजनाओं में इन्हें अनदेखा किया जा रहा है। यह संवैधानिक प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है, जिससे वंचित, शोषित वर्गों की आर्थिक सुरक्षा और भूमि अधिकार खतरे में हैं।

यह मामला न केवल अनुसूचित जाति के किसान परिवार के अधिकारों का मुद्दा है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली और प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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