जयपुर। राजस्थान में जाति-आधारित घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कहीं मूछ रखने पर तो कहीं घोड़ी चढ़ने पर दलितों की हत्याएं कर दी गई। पिछले कुछ अरसे से शिक्षण संस्थानों में भी जाति आधारित घटनाएं बढ़ने लगी हैं। यह चिंता का विषय है। गत वर्ष जालौर के सुराणा में मटकी से पानी पीने पर शिक्षक द्वारा पीटने से छात्र की मौत का मामला सुर्खियों में रहा था। अब राजस्थान के ही भरतपुर जिले के बयाना उपखण्ड मुख्यालय पर सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले दलित छात्र द्वारा कैंपर से पानी पीने पर शिक्षक द्वारा पीटने का मामला सामने आया है। शिक्षक की पिटाई से डरा हुआ छात्र घटना के बाद से ही स्कूल नहीं जा रहा है। इससे उसकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
पुलिस की माने तो छात्र के भाई की शिकायत के आधार पर शिक्षक पर मारपीट व अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी शिक्षक गंगाराम गुर्जर अभी न्यायिक अभिरक्षा में है।
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भीमनगर में घटित हुई जाति आधारित घटना की सत्यता जानने के लिए द मूकनायक की टीम राजधानी जयपुर से 174 किलोमीटर दूर बयाना उपखण्ड मुख्यालय पहुंची। वैर-भरतपुर तिराहे से भीमनगर में लगभग डेढ़ किलोमीट चलने के बाद द मूकनायक टीम पीड़ित छात्र के घर पहुंची, जहां घर के बाहर छात्र के परिजनों के साथ गांव के कुछ लोग बैठकर घटना पर चर्चा कर रहे हैं।
द मूकनायक ने घटना की सत्यता जानने के लिए कक्षा सात में पढ़ने वाले पीड़ित छात्र से बात करने का प्रयास किया। पहले छात्र ने घटना को लेकर बात करने से मना कर दिया। उसकी आंखो में डर नजर आ रहा था। बार-बार कह रहा था कि मुझे डर लग रहा है। बाद में परिजनों की समझाईश पर छात्र द मूकनायक के कैमरे पर बोलने को राजी हो गया।
पीड़ित छात्र ने परिजनों की मौजूदगी में द मूकनायक के कैमरे पर स्कूल में हुई घटना के बारे में विस्तार से बताया। छात्र ने कहा कि 8 सितम्बर की सुबह वह स्कूल गया था, और अन्य बच्चे भी स्कूल पहुंचे थे। हमारे सामने ही स्कूल का ताला खोला गया था।
छात्र ने कहा कि "ताला खोलने के बाद एक अध्यापक नवल सर ने हम से स्कूल में झाड़ू लगवाई थी। इसके बाद हमने प्रार्थना बोली थी। लगभग 11 बजे इंटरवेल (मध्यान्ह भोजन का समय) के बाद हम स्कूल में बनी पानी की टंकी में पानी पीने गए थे। टंकी में पानी नहीं था। स्कूल परिसर में पानी के कैंपर रखे थे। दो बच्चे कैंपर से पानी रहे थे। मेने सौंचा मैं भी पी लेता हूं। बच्चों के साथ मेने भी कैंपर से पानी पी लिया."
"इस दौरान गंगाराम गुरूजी ने हम सभी बच्चों को बुलाया। दो दूसरे बच्चे जो गुरुजी की जाति के थे उनको तो वापस बैठा दिया। मुझे खड़ा कर दिया", छात्र ने ऑन कैमरा कहा कि पहले मुझे मुर्गा बनाया। फिर मुझे घूसे मारे। फिर दस एक डंडे दिए। मेरी थूथरी (जबड़ा) भींच दिया। मुझे जाति सूचक शब्द बोलकर कहा कि तेरी हिम्मत कैसे हुई इन कैंपरों से पानी पीने की। यह तो हमारे लिए है। छात्र कहता है कि जब मेरी पिटाई हो रही थी तो वहां खड़े नवल सर कह रहे थे कि मजा आ गया, मजा आ गया।
छात्र ने द मूकनायक को बताया कि "स्कूल से छुट्टी होने के बद मैंने घर अकर नहीं बताया। मुझे डर लग रहा था। भैया भी मुझ से कहते कि तूने कैंपर से पानी क्यों पिया। मेरे मम्मी पापा नहीं हैं."
आपकों को बता दें कि घटना के बाद से ही पीड़ित दलित छात्र स्कूल भी नहीं गया है। ना ही स्कूल से छात्र को लेने कोई अध्यापक आया है। छात्र से स्कूल जाने के बारे में पूछा तो उसने द मूकनायक को बताया कि स्कूल जाने से अब डर लग रहा है। इसलिए नहीं गया। छात्र ने कहा कि पढ़ाई करने का मन है, लेकिन स्कूल में सर पीटेंगे इसलिए डर लग रहा है।
पीड़ित छात्र के बड़े भाई रनसिंह कहते हैं कि छोटी सी उम्र में हमारे मां-बाप छोड़कर दुनिया से चले गए थे। मैंने गरीबी को करीब से देखा है। दिन रात मजदूरी कर छोटे भाई और बहनों को पढ़ा रहा हूं। मैं यह सोंचता हूं कि मेरे छोटे भाई भी पढ़ लिखकर काबिल बने, लेकिन स्कूलों में जातिवादी सोच के लोग हमारे सपनों को साकार होने में बाधा बन रहे हैं। रनसिंह कहता है कि यह सच है। ऊंची जाति के लोग अभी भी हमारी जाति से छुआछूत करते हैं। इसलिए मैं हमेशा बच्चों को अपनी पानी की बोतल देकर स्कूल भेजता हूं। उस दिन मेरा छोटा भाई पानी की बोतल भरकर नहीं ले गया था।
रनसिंह ने द मूकनायक को बताया कि बच्चा स्कूल से आने के बाद सो गया था। पड़ोसियों और स्कूल के कुछ अध्यापकों द्वारा बताने पर मैंने इसके शरीर पर निशान देखे थे। बहुत सारे डंडो के निशान थे। इसके बाद मैंने गांव व सामज के लोगों से मेरे भाई पर हुए अत्याचार के खिलाफ न्याय की गुहार लगाई थी। समाज के लोग मेरे साथ पुलिस थाने पहुंचे।
रनसिंह कहता है कि में स्कूल में रिपोर्ट लेकर गया था। दो तीन बार तो पुलिस ने मुझे वापस भेज दिया था। पहले तो मेरी रिपोर्ट नहीं ली। बाद में मेरे समाज के लोग साथ गए तो रिपोर्ट ली। रनसिंह ने कहा कि हमे पता चला है कि मास्टर हमारे खिलाफ प्रदर्शन करने की बात कह रहे हैं। राजीनामा का दबाव बनाने के लिए शिक्षक गंगाराम ने हमारे व गांव वालों के खिलाफ ही झूठा पुलिस केस दर्ज करवा दिया है।
रनसिंह ने कहा कि मेरे भाई को पीटने के दूसरे दिन 9 सितम्बर सुबह 6 बजे एक स्कूल का हेडमास्टर व एक शिक्षक नवल किशोर मेरे घर पर आए थे। इन्होंने हमसे बोला था कि दो लाख रुपए ले लो और इस मामले में पुलिस कार्रवाई मत करो। रनसिंह कहते हैं कि हमें पैसा नहीं न्याय चाहिए। शिक्षण संस्थानों में मासूम बच्चों से जाति के कारण भेदभाव करने वाले शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई हो।
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों द्वारा पीड़ित छात्र के घर जाकर राजनीनामे के लिए दो लाख रुपए का ऑफर देने की बात बिडयारी ग्राम पंचायत के उपसरपंच बाबू लाल ने भी पुष्टि की है। उप सरपंच बाबू लाल ने द मूकनायक को बताया कि स्कूल का हेड मास्टर व नवल किशोर बीएलओ घर पर आए थे। छात्र के परिजनों ने पैसा लेने से मना कर दिया। आरोपी पक्ष की ओर से छात्र के परिवार पर राजीनामा के लिए दबाव दिया जा रहा है। यह लोग कह रहे हैं कि राजीनामा कर लो, नहीं तो तुम्हारे साथ कुछ भी घटना हो सकती है। दबाव बनाने के लिए गांव वालों के खिलाफ भी आरोपी शिक्षक की ओर से पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया गया है।
आरोपी शिक्षक गांगाराम की ओर पुलिस में दर्ज मुकदमे में आरोपी बनाए गए दीप चंद ने द मूकनायक को बताया कि अखबार में खबर छपने पर मुझे पता चला है कि मेरे उपर भी मास्टर ने मुकदमा दर्ज करवाया है। दीप चंद कहते हैं कि हमारे यहां का बीएलओ नवल सिंह इसी स्कूल में पढ़ाता है। उसी ने मतदाता सूची से नाम निकाल कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में मरने वालों के भी नाम है। मेरे पिता रेवती लाल को मरे 11 साल हो गए। भाई जगदीश तीन साल पहले दुनिया से चल बसा। दोनों को भी अखबार की खबर में मास्टर से मारपीट का आरोपी बनाया गया है। इससे साफ है कि राजीनामा के लिए ग्रामीणों के मनमाने नाम लिखे गए हैं।
भीम नगर की महिलाओं ने भी द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि हमारे बीएलओ ने ही एक तरफ से मतदाता सूची से नाम निकाल कर दिए हैं। यही नाम रिपोर्ट में लिखे गए हैं। महिलाएं कहती हैं कि छात्र के परिवार पर राजीनामा के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक नवल सिंह बूथ लेवल अधिकारी भी हैं। इन पर भी ग्रामीणों और छात्र के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। घटना वाले दिन नवल सिंह ही स्कूल के इंचार्ज थे। द मूकनायक की टीम पीड़ित छात्र व ग्रामीणों से बात करने के बाद स्कूल पहुंची। जहां उक्त घटना को लेकर शिक्षक विभाग की तीन सदस्यी टीम घटना की जांच कर रही थी। टीम के सदस्य स्कूल के शिक्षकों से घटना के बारे में एक एककर पूछताछ कर रहे थे। इस दौरान द मूकनायक ने जांच समिति से बात करने का प्रयास किया, लेकिन जांच पूर्ण होने से पहले जांच कमेटी ने घटना पर कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया। द मूकनायक की टीम ने प्रधानाध्यापक से भी बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने घटना वाले दिन खुद को अवकाश पर होने की बात कहकर कुछ नहीं बोला।
द मूकनायक की टीम ने घटना वाले दिन स्कूल इंचार्ज रहे शिक्षक नवल सिंह से बात की। उन्होंने कहा कि घटना के समय में कक्षा आठ में पढ़ा रहा था। बाकी शिक्षक भी पढ़ा रहे थे। परिसर में दो चार बच्चे इकट्ठ हो रहे थे। यहां शिक्षक नवल सिंह ने दलित छात्र को आरोपी शिक्षक गंगाराम द्वारा डांटने की बात स्वीकारते हुए कहा कि मैं जब क्लास से निकलकर बाहर आया तो गंगाराम शिक्षक इस बच्चे को डांट रहे थे। मैंने उनसे बच्चे को डांटने का कारण पूछा कि आप क्यों डांट रहे हो तो उन्होंने बताया कि यह बच्चा कैंपर से पानी पी रहा था।
हालाँकि, उन्होंने कहा कि मेरे सामने तो बच्चे को पीटा नहीं। जब द मूकनायक ने स्कूल में आरोपी शिक्षक के साथ मारपीट की सत्यता की जानकारी चाही तो नवल सिंह ने कहा कि स्कूल में शिक्षक के साथ क्या हुआ मुझे नहीं पता। स्कूल की तरफ से कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। गंगाराम ने दी हो तो मुझे पता नहीं। एक सवाल के जवाब ने नवल सिंह ने कहा कि मैं बीएलओ हूं, लेकिन मैंने मतदाता सूची से किसी के नाम पुलिस को नहीं दिए हैं। यह आरोप निराधार हैं। मैं ऐसा क्यों करूंगा? स्कूल में कोई जातिवाद की घटना नहीं हुई। जब द मूकनायक की टीम स्कूल में पहुंची तो वहां से कैंपर भी हटा दिए गए थे। टंकी में भी पानी भर दिया गया था।
पुलिस के अनुसार पीड़ित छात्र के साथ पुलिस थान पहुंचे भाई रनसिंह ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि प्रार्थी भीमनगर के पहरियार में रहता है। प्रार्थी का भाई राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भीमनगर में कक्षा सात में पढ़ता है। 8 सितम्बर को स्कूल में पढ़ने गया था। खाने के बाद टंकी में पानी पीने गया। टंकी में पानी नहीं था। दो छात्रों के साथ दलित छात्र ने भी कैंपर से पानी पी लिया। इस पर शिक्षक गंगाराम ने छात्र को मुर्गा बनाकर लात घूसों व डंडों से पीटा। शिक्षक ने जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए कहा कि तूने कैंपर से पानी कैसे पी लिया, यह हमारे लिए है। प्रार्थी छात्र के साथ दो शिक्षक की जाति के बच्चों ने भी कैंपर से पानी पिया था। उन्हें कुछ नहीं कहा।
उक्त शिकायत पर पुलिस ने मारपीट व जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने के आरोप में शिक्षक गंगाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच वृताधिकारी अनिता मीना को सौंपी है। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने आरोपी शिक्षक गंगाराम को गिरफ्तार कर लिया।
उधर छात्र से जातिय भेदभाव व कैंपर से पानी पीने पर मारपीट के आरोपी शिक्षक गंगाराम ने भी छात्र के परिजनों सहित 26 लोगों को नामजद करते हुए स्कूल परिसर में घुसकर मारपीट करने का आरोप लगाते हुए पुलिस थाने में प्राथमिक दर्ज कराई है। शिक्षक के रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मारपीट व राजकार्य में बाधा डालने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है।
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