महाराष्ट्र के नांदेड जिले में डॉ. आंबेडकर की जयंती मनाने पर एक 24 वर्षीय दलित युवक की ऊंची जाति के लोगों ने हत्या कर दी। पुलिस ने इस मामले में 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। वहीं आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। वंचित बहुजन अघाडी बोंढार शाखा के पदाधिकारी अक्षय भालेराव से जातिवाद मानसिकता से ग्रषित ऊंची जाति के लोगों ने पहले बेरहमी से मारपीट की फिर चाकू घोंप कर उसकी हत्या कर दी। इस मामले के बाद से महाराष्ट्र सहित देशभर के दलित समुदाय के लोगों में रोष व्याप्त है। द मूकनायक टीम ने अक्षय की बेहरहमी से की गई हत्या के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए नांदेड़ के बोंधर हवेली गांव पहुँची। पढ़िए दलित युवक की हत्या की पड़ताल करती हुई यह ग्राउंड रिपोर्ट..
महाराष्ट्र के बोंधर हवेली गांव के रहने वाले 24 वर्षीय दलित युवक अक्षय भालेराव की गुरुवार शाम को जातिवादी कुंठा से ग्रसित लोग हत्या कर देते हैं। हत्या के पीछे का कारण था कि अक्षय ने 14 अप्रैल को डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाने के लिए प्रशासन और पुलिस से अनुमति ली थी। अक्षय के इस पहल से गाँव के इतिहास में पहली बार डॉ. अम्बेडकर की जयंती मनाई गई। इस दौरान गाँव में जयंती जुलूस भी निकाला गया था। इसी बात से नाराज उच्च जाति के आरोपियों ने अक्षय को टारगेट किया था।
गुरुवार शाम को गाँव में आरोपी एक बारात में शामिल थे। वहीं अक्षय और उसका भाई आकाश गाँव की दुकान पर घर का कुछ सामान लेने गए थे। उसी दौरान आरोपियों ने अक्षय और उसके भाई को जातिसूचक अपशब्द कहना शुरू कर दिया। विरोध करने पर आरोपियों ने कहा कि 'तुम नीची जाति के लोग हो तुम्हारा हमारी बस्ती में क्या काम। तुम अम्बेडकर की जयंती मनाते हो हमारे यहाँ से जुलूस निकालते हो!' कह कर विवाद शुरू कर दिया। करीब एक दर्जन लोंगो ने अक्षय और उसके भाई आकाश की बुरी तरह मारपीट की और बाद में अक्षय के पेट में चाकू घोंप दिया।
परिवार के लोग अक्षय को अस्पताल लेकर पहुँचें लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों ने अक्षय को मृत घोषित कर दिया। अक्षय की मौत की खबर सुनते ही गाँव में सनसनी फैल गई। मौके पर पहुँची पुलिस ने घटना स्थल पर बेरिकेड्स लगाकर पुलिस बल तैनात कर दिया। घटना के चश्मदीद अक्षय के भाई आकाश ने पुलिस को घटना के बारे में बताया जिसके बाद 9 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। नांदेड के पुलिस अधीक्षक श्रीकृष्ण कोकाटे ने कहा की “हमने हत्या का मामला दर्ज किया है और आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों पर हत्या समेत अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की संबंधित धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।“
अक्षय भालेराव की हत्या और आकाश भालेराव के साथ मारपीट के आरोप में नांदेड़ पुलिस ने कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया है। यह सभी लोग गाँव के ही सवर्ण समाज के लोग हैं। पुलिस के मुताबिक संतोष संजय तिडके, दत्ता विश्वनाथ तिडके, कष्णां गोविंद तिडके, निळकंठ रमेश तिडके, नारायण विश्वनाथ तिडके, शिवाजी दिगंबर तिडके, महादु गोविंद तिडके, बाबुराव सोनाजी तिडके और बालाजी मुंगल के खिलाफ हत्या, मारपीट और एससी/एसटी एक्ट में मामला दर्ज किया गया है। सभी 9 आरोपियों में से आठ की गिरफ्तारी की जा चुकी है। वहीं एक आरोपी फरार बताया जा रहा है।
अक्षय भालेराव गाँव में काफी सक्रिय था, और दलित समाज को उनके अधिकारों के प्रति सजग रहने की बात करता था। गाँव में 14 अप्रैल को डॉ. अम्बेडकर की जयंती मनाई गई थी। अक्षय ने ही प्रशासनिक कार्यवाही कराकर जयंती और जुलूस निकालने की अनुमति ली थी। अक्षय के परिवारजनों ने बताया कि गाँव के इतिहास में पहली बार बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर की जयंती मनाई गई थी। उन्होंने बताया, जब अक्षय ने जयंती कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी थी तभी उसे ऐसा करने से मना किया था। लेकिन बाबा साहब के द्वारा समाज के उत्थान के लिए किए गए कार्यों से प्रभावित अक्षय भालेराव ने जयंती मनाई और धूमधाम से जुलूस निकाला। बैंड और डीजे के साथ जय भीम के घोष से उच्च जाति के लोगों ने इसे अपनी तौहीन मान लिया और जातिवादी झुंड ने उसकी बेरहमी से हत्या कर दी।
गुरुवार को गाँव में निकली एक बारात में आरोपी शामिल हुए थे। बारात के फोटो जो सामने आ रहे है, यह खुद आरोपियों ने सोशल मीडिया पर शेयर किए थे। फोटो में वह हाथों में तलवार, खंजर आदि धारदार हथियार लहराते नजर आ रहे थे। अक्षय भालेराव की हत्या के बाद फरार आरोपियों ने सोशल मीडिया हथियारों के साथ फोटो वीडियो भी अपलोड किए थे।
नांदेड़ में दलित युवक अक्षय भालेराव की दर्दनाक हत्या की घटना के पीछे हर एक पहलू को समझने के लिए द मूकनायक की टीम नांदेड़ के बोंन्धार हवेली पहुचीं। अक्षय के घर पर तमाम सामाजिक संगठनों के लोगों का आना-जाना लगा था। माता-पिता के लिए अपने जवान बेटे की असमय मौत की घटना भारी होती है। अक्षय के घर मातम पसरा हुआ था। द मूकनायक से बात करते हुए अक्षय की माँ बंदना भालेराव ने कहा कि "जिस बेटे को उन्होंने अपने पेट (कोख) से जन्म दिया जातिवादियों ने उसी बेटे के पेट की आन्तड़िया बाहर निकाल दी।" अक्षय की माँ को जैसे ही पता लगा कि उनके बेटे से बारात में शामिल लोग विवाद कर रहे हैं। वह तुरंत घटना स्थल पर पहुँच गई। लेकिन जब तक आरोपियों ने अक्षय के पेट में चाकू घोंप दिया था। खून से लतपथ अक्षय जमीन पर गिरा पड़ा था।
अक्षय की माँ ने कहा, चाकू से पेट फट गया और अक्षय की आन्तड़िया बाहर आ गई थी। अक्षय को अस्पताल ले जाते समय वह अपने हाथ से आँतड़ियों पकड़ कर पेट से सटाएं हुईं थी। वहीं अक्षय के पिता श्रवण नामदेव भालेराव ने बताया कि गाँव में पहली बार डॉ. अम्बेडकर जयंती निकली गई थी। इसी से नाराज जातिवादी लोगों ने उनके बेटे को निशाना बनाया, और मौका पाकर उसकी हत्या कर दी।
अक्षय भालेराव का बड़ा भाई आकाश भालेराव पूरी घटना का चश्मदीद है। द मूकनायक से बातचीत में आकाश ने बताया कि गुरुवार शाम को अक्षय और वह गाँव की ही एक दुकान पर घर का सामान लेने गए थे। "इसी दौरान बारात में शामिल कुछ लोग हमें जातिसूचक गालियां देने लगे। हमारे विरोध करने पर उन्होंने मारपीट शुरू कर दी", आकाश ने कहा कि "वह कह रहे थे अम्बेडकर की जयंती इस गाँव में निकालने की हिम्मत कैसे हुई, इसके लिए इसे मार देना चाहिए। इसके बाद अक्षय के उन्होंने हाथ-पैर पकड़ कर पेट में चाकू घोंप दिया। अक्षय जमीन पर गिर पड़ा, तब तक मेरी माँ घटना स्थल पहुँच चुकी थी। अक्षय खून से लतपथ सड़क पर गिरा पड़ा था। आरोपियों ने माँ पर भी हमला कर दिया था। हम उसे रिक्शा से अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि अक्षय नहीं रहा।" आकाश ने बताया डॉ. अम्बेडकर की जयंती का जुलूस निकालने के कारण आरोपी नाराज थे। ऊंची जाति के लोगों ने पहले ही मना किया था कि, जो कभी इस गाँव में नहीं हुआ वह अब करने की क्यों कोशिश कर रहे हो।
नांदेड़ पुलिस को दिए गए बयान के मुताबिक आकाश ने कहा, "उनमें से एक ने कहा कि इन लोगों को गांव में भीम जयंती मनाने के लिए मार दिया जाना चाहिए। इसके बाद कुछ लोगों ने अक्षय को पीटना शुरू कर दिया।" आकाश ने अपनी शिकायत में कहा, "आरोपियों ने मेरे भाई पर लाठियों से हमला किया। इस बीच कुछ लोगों ने मेरे भाई के हाथ और पैर पकड़े, फिर दो आरोपियों ने उसके पेट में चाकू घोंप दिया। इस दौरान शिकायतकर्ता ने अपने भाई को बचाने का प्रयास किया तो आरोपितों ने उसे भी चाकू मार दिया।"
मृतक के बड़े भाई संदेश ने कहा “आकाश के बाएं हाथ में चोटें आई हैं। बेटों को बचाने के लिए जब मां दौड़ी तो आरोपियों ने उन पर पथराव शुरू कर दिया और वह घायल हो गयीं। परिजन बुरी तरह जख्मी थे, अक्षय को तत्काल रिक्शे से पास के अस्पताल लेकर भागे, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।"
बोंन्धार हवेली गाँव में पहुँचते ही हर तरफ पुलिस बल तैनात था। गाँव के चप्पे-चप्पे पर पुलिस लगी हुई थी। गाँव की दुकानें बंद थी, और गली मोहल्ले में पुलिस मौजूद थी। जिस दुकान के सामने अक्षय की हत्या की गई थी उस गली को पुलिस ने बेरिकेड्स लगा कर बंद किया हुआ था। पुलिस लगातार गश्त कर रही थी। पुलिस के मुताबिक गाँव में शांति है। लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते गाँव में भारी पुलिसबल तैनात किया गया है।
बोंधार हवेली गाँव में अक्षय भालेराव की हत्या की बाद से गाँव के अन्य दलित डर से सहमे हुए है। जातिवाद मानसिकता के कारण अक्षय को जान गवानी पड़ी। गाँव के दलित समुदाय के लोगों ने बताया कि अक्षय की हत्या होने बाद से ही गाँव में सन्नाटा पसरा है। लोगों का कहना है कि अनुसूचित जाति वर्ग के लोग घटना के बाद से ही भय में हैं।
अक्षय भालेराव हत्याकांड के बाद से महाराष्ट्र में दलित समुदाय में आक्रोश है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए युवा पैंथर के संस्थापक और अध्यक्ष राहुल प्रधान ने बताया कि महाराष्ट्र में जातिवादी मानसिकता के लोग दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा "अपने अधिकारों के लिए आगे आ रहे युवाओं की हत्या कर दी जाती है। अक्षय की हत्या महाराष्ट्र का पहला मामला नहीं यहाँ हर रोज दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं। अक्षय की हत्या जातिवाद मानसिक और स्थानीय राजनीतिक साजिश है।" दूसरी ओर युवा पैंथर के सम्राट ने इस घटना में शिवसेना सिंदे गुट के जिलाध्यक्ष आनंद बोंढारकर पर आरोप लगाए हैं। सम्राट ने बताया कि "गाँव के सरपंच पति और जिलाध्यक्ष एक दूसरे के नजदीकी हैं, और इन्हीं के शह पर यह पूरी घटना हुईं है।"
गाँव में दलित समुदाय की करीब 350 लोगों की आबादी है। जिसमें महिला पुरुष और बच्चे हैं। इसके अलावा गाँव मराठा सवर्ण समाज बहुल है। दरअसल यह पूरा मामला वर्ष 2017 में शुरू हुआ था। उस बक्त बोंन्धार हवेली गाँव में अम्बेडकर की जयंती मनाए जाने की चर्चा के बाद ही ऊंची जाति के लोगों ने दलित समुदाय की बस्ती पर पथराव कर दिया था। गाँव में बने बौद्ध बिहार में तोड़फोड़ की थी। जिसके बाद करीब एक दर्जन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। उस वक्त डॉ. अम्बेडकर की जयंती नहीं मनाई गई थी। लेकिन पांच वर्ष बाद जब अक्षय भालेराव ने जयंती मनाई तो जातिवादी गुंडों ने उसे जान से खत्म कर दिया। गाँव में अन्य दलित समुदाय के लोगों ने बताया कि उनके गांव में पीढ़ियों से जातिवाद होते चला आ रहा है। गाँव के सवर्ण दलितों के साथ जानवरों से भी ज्यादा बुरा बर्ताव करते हैं।
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