उत्तर प्रदेश: इस साल नवंबर में जब दीनानाथ को अपने बिजली का बिल मिलता है तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। दलित समाज से आने वाले दीनानाथ जिनके घर में मात्र तीन बल्ब और एक पंखा है, का बिजली बिल 58 लाख रुपए से भी ज्यादा आ गया. दीनानाथ के गरीबी का आलम यह है कि गाँव में जब दूसरे घरों में मजदूरी करते हैं तब शाम को परिवार का पेट भरने का इंतजाम हो पाता है. बिजली विभाग की इस बड़ी चुक की वजह से दीनानाथ का परिवार सदमें में जी रहा है. क्योंकि उनके पास इतने पैसे जमा करने के लिए न जमीन है न कोई कारोबार. द मूकनायक टीम दीनानाथ के परिवार की हकीकत और उनके आर्थिक स्थिति का जायजा लेने उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के हर्रैया तहसील क्षेत्र के गाँव चकमा पहुंची.
राजधानी लखनऊ से करीब 205 किमी पूरब में स्थित बस्ती जिले के हर्रैया तहसील अंतर्गत दुबौलिया ब्लॉक के चकमा गांव निवासी दीनानाथ (35), के परिवार में सिर्फ दीनानाथ की मजदूरी ही ऐसा जरिया है जिससे उनकी पत्नी कोकिला (32), और तीन बच्चों (एक बेटी-दो बेटे) का गुजर-बसर [परिवार का भरण-पोषण] होता है. जब द मूकनायक की टीम दीनानाथ के घर पहुंची तब दीनानाथ गाँव में ही किसी के घर गन्ना छिलने गए थे. दीनानाथ की पत्नी भी गांव में थीं. उनके बच्चे स्कूल से लौटकर घर के सामने पड़े खाट पर बैठकर स्कूल का काम पूरा कर रहे थे.
दीनानाथ के घर से जुड़े उनके बड़े भाई का भी घर है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दीनानाथ के परिवार के सिर पर छत तो आ गई है लेकिन घर की दीवारों में दिख रहे खुरदुरे ईट और सीमेंट यह समझने के लिए पर्याप्त थे कि उसके आगे घर का काम कराने के लिए या तो आवास का बजट ख़त्म हो गया है या परिवार के पास उससे आगे काम कराने का सामर्थ्य नहीं है.
पास में मौजूद दीनानाथ की भाभी ने बताया कि जब से इस परिवार को 58 लाख का बिजली बिल आया है तब से पूरे परिवार की नीद-चैन उड़ी हुई है. “भैया (दीनानाथ) एक महीने से साइकिल लेकर दौड़ रहे हैं. कभी सब-स्टेशन जाते हैं, कभी तहसील जाते हैं. लेकिन कोई सुन नहीं रहा”.
घर पर कुछ लोगों के आने की सूचना पाकर दीनानाथ की पत्नी कोकिला भी घर आ पहुंची. कोकिला ने पहले तो दीनानाथ के आने के बाद ही कुछ बताने की बात कही, लेकिन कुछ देर बाद वह खुद घर के अंदर से बिजली विभाग से मिले कई कागजात लाकर द मूकनायक को दिखाने लगीं.
कोकिला इतनी डरी हुई दिख रही थी कि उसे लगा कि हम बिजली विभाग से आए हैं. लेकिन हमारा परिचय जानकर बाद वह थोड़ा सहज भाव में आई. दीनानाथ के साथ क्या हुआ है यह पूरे गाँव में चर्चा है. द मूकनायक टीम के पहुंचने के बाद लोग उत्सुकतावश दीनानाथ के घर पर जमा होने लगे, क्योंकि लोगों को लग रहा था कि शायद कोई बिजली विभाग से आया होगा. हालांकि, गांव के लोगों में दीनानाथ को मिले 58 लाख रुपए के बिजली बिल के खिलाफ गुस्सा भी था. दीनानाथ के घर पर कुछ ही देर में 7-8 महिलाएं पहुंच गईं. गांव की एक महिला ने द मूकनायक टीम से कहा कि, “दीना-बहू (दीनानाथ की पत्नी) की हालत बहुत बिगड़ गई थी. परिवार में किसी को कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता….”.
दीनानाथ की पत्नी कोकिला ने द मूकनायक को बिजली विभाग से प्राप्त कुछ रशीदों और बिल के प्रिंटआउट दिखाए. द मूकनायक के पास इन सभी कागजातों के छायाप्रति मौजूद हैं. रशीदों और कम्प्यूटरीकृत पेपर्स से मालूम हुआ कि 20 सितम्बर 2014 को दीनानाथ ने अपने नाम से बिजली कनेक्शन कराया था. 30 अप्रैल 2017 को दीनानाथ ने बिजली बिला का पूरा भुगतान 6043 रुपए कर दिया था. उसके बाद अगले साल 2018 में भी पिछला पूरा बकाया दीनानाथ ने जमा कर दिया, लेकिन यह भुगतान-बिल दीनानाथ से गायब हो गया है. कोकिला ने बताया कि, पैसा बकाया जमा न होने के कारण नवंबर 2022 से जून 2023 के बीच तक घर की लाइट काट दी गई थी. 10 जून 2023 को दीनानाथ ने 1000 रुपए जमा किया तब कनेक्शन फिर से जोड़ा गया और उसी दिन घर पर मीटर लगा दिया गया. मीटर लगने के बाद 5वें महीने, इसी साल नवम्बर माह में 58,40,000 (अठावन लाख चालीस हजार रुपए) बिजली का बिल आ गया.
यहां यह उल्लेखनीय है कि 2018 के बाद से जून 2023 तक दीनानाथ ने बिजली का बिल भुगतान नहीं किया. लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि मात्र 3 एलईडी बल्बों और एक पंखें के उपयोग पर दीनानाथ ने 2017 में कुल भुगतान 6043 रुपए किये थे. लेकिन बीच के साढ़े चार सालों में, जिसमें कोई भुगतान नहीं हुआ, का बिजली बिल 58 लाख रुपए कैसे आ सकते हैं.
दीनानाथ को मिले 58 लाख 40 हजार रुपए के मौजूदा बिजली बिल के हिसाब से, पांच सालों में (2018 के बाद से 2023 तक) दीनानाथ ने प्रतिवर्ष लगभग 11 लाख से भी ज्यादा की बिजली उपयोग की है. वहीं अगर इसकी गणना महीने वार करें तो, दीनानाथ ने प्रतिमाह लगभग 97 हजार रुपए की बिजली का उपभोग किया है. यह तब है जब दीनानाथ के घर में द मूकनायक टीम को कोई भी भारी बिजली के उपयोग का विद्युत् उपकरण नहीं मिला, सिवाय 3 एलईडी बल्ब और एक पंखे के.
कुछ देर घर पर ठहरने के बाद कोकिला ने द मूकनायक टीम से बात करने के लिए दीनानाथ को फोन करके बुला लिया. दीनानाथ 15-20 मिनट के बाद घर आ पहुंचे, जो गांव में किसी के खेत में गन्ना छिलाई का काम (मजदूरी करना) कर रहे थे.
दीनानाथ ने द मूकनायक को बताया कि, “2017 में बिजली का बिल बेबाक (सम्पूर्ण भुगतान) कर दिया. 2018 में भी पूरा बिल भुगतान किया. 2022 में 13 हजार बिजली का बिल आया. फिर 41 हजार रुपए का बिल आया, फिर 72 हजार का बिल आया. उसके बाद एक लाख आया, और इस नवम्बर में 58 लाख 40 हजार रुपए बिजली का बिल आ गया”.
यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि प्राप्त कागजातों के अनुसार दीनानाथ के घर बिजली का मीटर इस साल 2023 में जून माह में लगा है. पूर्व के सालों में, दीनानाथ का बिजली बिल साल भर का लगभग साढ़े छः हजार रुपए ही आता था. लेकिन 2018 के बाद दीनानाथ का बिजली बिल लगातार बढ़ता ही चला गया. ऐसे में सवाल यह उठता है कि विभागीय गड़बड़ी का शिकार दीनानाथ लगातार होते रहे.
दीनानाथ ने बताया कि जब उन्हें 58 लाख रुपए के बिजली का बिल मिला तब से वह अधिकारियों के पास इसे ठीक कराने के लिए दौड़ रहे हैं. “हर्रेया गया, छावनी गया, यहां एप्लीकेशन दिया तो उन लोगों ने कहा कि ठीक हो जाएगा. पावर हाउस पर गया तो वहां के लोगों ने कहा कि यहां न दौड़ों, कहीं और से ठीक कराओ. विशेसरगंज भी गया, वहां बोले कि अप्लिकेशन दे दीजिये ठीक हो जाएगा. लेकिन एप्लीकेशन देने के बाद भी बिल ठीक नहीं हुआ”, दीनानाथ ने अपनी कठिनाईयों के बारे में बताया.
दीनानाथ को इस बारे में कोई आइडिया नहीं है कि उनके बिजली बिल में कहां गड़बड़ी हुई. वह चाहते हैं कि उनका बिजली बिल दुरुस्त कर दिया जाए. दीनानाथ ने बताया कि गाँव में इनके-उनके यहां मजदूरी करते हैं. कभी-कभी कोई काम नहीं मिलता तो घर ही बैठना पड़ता है. दीनानाथ मजदूरी के लिए कभी घर छोड़कर बाहर नहीं गए.
इसी गाँव के पलकधारी द मूकनायक से कहने लगे कि, “आप लोग देख सकते हैं कि इनके घर (दीनानाथ) क्या है. कोई फैक्ट्री तो चल नहीं रही है. यह विभाग वाले बताएं कि कहां से किस तरह से इतना बिल लाकर जोड़ दिए हैं. हम लोग चाहते हैं कि दीनानाथ का बिजली मीटर ठीक करके वाजिब बिजली बिल दें.”
चकमा गांव के विरेन्द्र कुमार भी दीनानाथ के बिजली बिल पर एतराज जताते हैं. उन्होंने कहा कि दीनानाथ की पत्नी की तबीयत ख़राब है. वह पत्नी का इलाज करा रहे हैं. छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो परेशान हैं. दीनानाथ हर जगह दौड़ चुके, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. “इस गांव में ऐसा सिर्फ दीनानाथ के साथ हुआ है. ये लोग अपने आप को बेंच भी देंगे तब भी इतना पैसा जमा नहीं कर पाएंगे”, विरेन्द्र कुमार ने द मूकनायक को बताया.
बिजली विभाग की गड़बड़ी में पिसते दीनानाथ के मामले पर द मूकनायक ने अधिशासी अभियंता हर्रेया, अंकुर अवस्थी को कई बार फोन किया, लेकिन अधिकारी ने फोन नहीं उठाया. द मूकनायक के कई प्रयासों के बाद दुबौलिया सब-डिविजन के एसडीओ मनोज साहू से बात हो सकी. एसडीओ ने दावा किया कि, दीनानाथ का बिजली बिल ठीक कर दिया गया है. “इनके बिल कई बार RDF, CDF, तरह-तरह की बिलें बनी. इसी बीच इन्होंने 6 महीने पहले अपना मीटर बदलवा दिया. इसी कारण इतना पैसा गड़बड़ी के कारण बिल आ गया.”
एसडीओ ने द मूकनायक को बताया कि “एक या डेढ़ लाख रुपए बकाया के कारण दीनानाथ का बिजली कनेक्शन डिस्कनेक्ट था, जो इस साल जून में 1000 रुपए देने के बाद जोड़ा गया. और पुराने मीटर को बदलकर नया मीटर लगा दिया गया”.
यहां पर फिर यह सवाल उठता है कि जब दीनानाथ एक साल का लगभग 3600 रुपए (एक महीने में लगभग 250 या 300 रुपए) बिजली बिल भुगतान करते आ रहे हैं तब 4 से साढ़े सालों में बिजली बिल एक लाख या ढेढ़ लाख कैसे हो गया. हालांकि, एसडीओ से यह पूछे जाने पर कि क्या विभागीय फाल्ट पहले से ही था, उन्होंने कहा कि, “अगर दीनानाथ जून में मीटर न बदलवाते तो विभाग स्वतः संज्ञान लेता. लेकिन उन्होंने मीटर बदलवा दिया था.”
ज्ञात हो कि उक्त रिपोर्ट में हमें यह बात रेखांकित किया है कि दीनानाथ एक माह से तहसील, जिला मुख्यालय और विद्तुत केंद्र, विद्युत् उपकेन्द्र के चक्कर लगा रहे थे, ऐसे में इस बात का क्या भरोसा था कि विभाग स्वतः दीनानाथ के बिजली बिल का स्वयं संज्ञान लेता.
लगभग 4 साल पहले, यूपी में सरकारी विभागों, आवासों, थानों, अस्पतालों ने लगभग दो दशकों का बिजली बिल बकाया रखा था। तत्कालीन योगी आदित्यनाथ सरकार सरकारी आवासों और दफ्तरों पर बिजली बिल के बढ़ते बकाए को और ज्यादा झेलने के लिए तैयार नहीं होने की बात भी कही थी। इसके लिए सरकार ने इन बंगलों और कार्यालयों के लिए 1 लाख प्रीपेड मीटर मंगवाने का आदेश भी जारी किया था। तत्कालीन प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का बयान था कि, "सरकारी दफ्तरों और आवासों पर बकाया 13,000 करोड़ रुपये को पार कर चुका है। इतनी बड़ी रकम की वसूली के लिए हमनें किश्तों में पैसे जमा करने का विकल्प दिया है। हमनें 1 लाख प्रीपेड मीटर मंगवाने का भी आदेश दिया है, जो कि नेताओं और अधिकारियों के सरकारी कार्यालयों, आवासों पर लगाए जाएंगे।”
जहां खुद सरकारी विभाग और नेताओं, मंत्रियों के ऊपर लाखों करोड़ों के बिजली बिल बकाए के मामले सामने आ चुके हैं, वहीं गरीब और हाशिए के समाज से आने वाले परिवारों, जिनके पास वास्तविक रूप से उतनी बिजली उपभोग के इलेक्ट्रिक उपकरण भी नहीं हैं, वह बिजली विभाग की गड़बड़ियों का शिकार हो रहे हैं.
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