नई दिल्ली। भ्रष्टाचार का मामला उजागर करने की कीमत जान देकर चुकाने वाले राजस्थान के 25 वर्षीय दलित ग्राम विकास अधिकारी (VDO) ललित बेनीवाल की आत्महत्या के मामले में एक हफ्ते से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। ललित बेनीवाल राजस्थान की अजीतगढ़ पंचायत समिति के गांव चीपलाटा की ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर पिछले दस महीनों से कार्यरत थे।
पिछले दिनों पंचायत में वित्त वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के दौरान हुए लेन-देन और कार्यों की ऑडिटिंग हुई थी जिसमें पांच लाख बीस हज़ार और ग्यारह रुपये के सरकारी पैसे की अनियमितता सामने आई। इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर अजीतगढ़ ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी (BDO) अजय सिंह के मौखिक आदेश पर ललित बेनीवाल ने थोई थाने में पंद्रह फरवरी को चीपलाटा सरपंच मनोज गुर्जर और पूर्व सरपंच बीरबल गुर्जर के खिलाफ़ सरकारी पैसे के गबन की एफ़आईआर दर्ज करवाई थी।
पीड़ित परिवार और मृतक द्वारा लिखे गए नौ पेज के सुसाइड नोट के मुताबिक, एफ़आईआर दर्ज होने की सूचना के बाद सरपंच बीरबल और अन्य लोगों ने ललित बेनीवाल को डराया और मानहानि का केस दर्ज कराने की धमकी दी। इन धमकियों और प्रताड़ना से तंग आकर अठारह फरवरी को ललित ने अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में नामजद होने के बावजूद पुलिस अभी तक किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। हालांकि, 22 फरवरी को उनके परिवार के बयान दर्ज कर लिए गए हैं।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अजीतगढ़ के डिप्टी एसपी राजेंद्र सिंह का कहना है कि, “ललित की आत्महत्या के दिन अठारह फरवरी को सात नामजद अभियुक्तों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर लिखी गई है। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है, मोबाइल जब्त किया है। पीड़ित परिवार के बयान लिए गए हैं। सुसाइड नोट और परिजनों के आरोप हैं कि अभियुक्तों की ओर से परेशान और धमकाया जा रहा था, ग़लत तरह से उनसे ओटीपी लेकर पैसों का ट्रांजेक्शन किया गया है। इसकी अभी जांच चल रही है। पुलिस इस मामले में सबूत इकट्ठा कर रही है। जल्दी ही मुलजिमों को गिरफ्तार किया जाएगा।”
IIT से ग्रेजुएट, IAS बनने का था सपना
ललित ने वर्ष 2019 में आईआईटी कानपुर से इकोनॉमिक्स में बीएससी ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। उन्होंने 2021 में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) की आरएएस भर्ती की मेन्स परीक्षा दी और 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की आईएएस भर्ती की मेन्स परीक्षा दी। इस बीच 2023 में उनका चयन राजस्थान सरकार में ग्राम विकास अधिकारी पद पर हो गया और उन्होंने घर की परिस्थितियों को देखते हुए यह नौकरी जॉइन कर ली। इसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और नौकरी करते हुए लगातार दूसरी बार यूपीएससी सिविल सर्विस की मेन्स परीक्षा दी। उनका सपना IAS बनने का था और इसके लिए वह नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई भी कर रहे थे।
तीन बहनों का इकलौता भाई था ललित
मृतक ललित के परिवार में माता-पिता के अलावा उनकी तीन छोटी बहनें हैं। ललित की मां आंची देवी मनरेगा के तहत मजदूरी करती हैं और पिता हीरालाल पंजाब में ईंट भट्टों पर मजदूरी का काम करते हैं। हीरालाल पांच साल पहले पैरालिसिस से पीड़ित हो गए थे, बीते साल कुछ ठीक होने पर वह फिर से काम करने लगे थे। ललित की तीनों बहनें पढ़ाई कर रहीं हैं। ऐसे में पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी।
ललित की तीनों बहनें सरकारी स्कूल से पढ़ाई के साथ स्कूल टॉपर रहीं हैं। ललित की सबसे छोटी बहन अनीता सीकर से नीट की तैयारी कर रही है। दूसरी बहन अन्नू ने राजस्थान विश्वविद्यालय के महारानी कॉलेज से डिस्टिंक्शन के साथ ग्रेजुएशन किया है और वह अब यूपीएससी की तैयारी कर रही है। जबकि, तीसरी बहन पूजा ने बीएससी किया है और अब बीएड कर रही है।
नौकरी से परेशान होकर रिजाइन देने की कोशिश
ललित ने अपने नौ पेज के सुसाइड नोट में लिखा था, “मैं पंद्रह तारीख को पंचायत समिति अजीतगढ़ में रिजाइन लेटर देने गया था। क्योंकि मैं चीपलाटा पंचायत में इस नौकरी से बहुत स्ट्रेस में रहता हूँ। अब मुझसे प्रेशर हैंडल नहीं होता। मैंने बीडीओ को बोला कि ट्रांसफर करा दो या रिजाइन ले लो। उन्होंने कहा कि पहले एफ़आईआर कराओ फिर प्रधान से ट्रांसफर की बात करता हूँ। मैं पहले से ही बहुत डरा हुआ था और डिप्रेशन में था।”
ललित ने लिखा है कि “मैं आईआईटी ग्रेजुएट हूँ, यूपीएससी करते करते ग्राम विकास अधिकारी जॉब में फंस गया और न अब मुझसे यूपीएससी हो रही है।” आखिर में उन्होंने अपनी बहनों के लिए लिखा है, “जो मैं नहीं कर पाया, वो तुम तीनों कर के दुनिया को दिखाना। मैं नहीं लड़ पाया, तुम खूब लड़ना, खूब आगे बढ़ना…”
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.