मध्य प्रदेश: दलित युवाओं की लोन स्कीम से सरकार ने खत्म कर दिया ऋण अनुदान

शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश
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भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम मर्यादित के द्वारा संचालित हो रही योजनाओं में सरकार ने दलित हितग्राहियों को मिलने वाले ऋण अनुदान को खत्म कर दिया है। इससे पहले द मूकनायक ने अपनी पड़ताल में बताया था कि, किस तरह सरकार की बेरूखी से दलित युवाओं को व्यावसायिक रोजगार से जोड़ने के लिए संचालित योजनाओं को सिर्फ कागजों तक समेट दिया गया था। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे सरकार ने योजनाओं में दिए जाने वाले ऋण से अनुदान खत्म कर दिया है। पढ़िए हमारी खास रिपोर्ट…

मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को सरकार की योजनाओं का लाभ पहले से ही नही मिल पा रहा है। एक तरफ सरकार इस वर्ग को लुभाने के लिए तमाम योजनाएं बनाती है। पर धरातल पर इनका संचालन शून्य के जैसा दिखाई पड़ता है। अब इस मामले में सरकार की मिलीभगत साफ सामने आ गई है। दरअसल अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की संचालित सभी योजनाओं से सरकार ने वर्ष 2019 में ऋण अनुदान को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। 

द मूकनायक से बातचीत करते हुए अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के सहायक प्रबंधक एसके जैन ने बताया की 2019 में ही सरकार ने इन योजनाओं से ऋण अनुदान को खत्म कर दिया है। निगम के सहायक प्रबंधक ने बताया कि 2019 के पहले 15 से 30 प्रतिशत तक का ऋण अनुदान दिया जाता था। उन्होंने बताया कि दो करोड़ वाली मुख्यमंत्री उद्यमी योजना में 15 प्रतिशत और डॉ. भीमराव अंबेडकर आर्थिक योजना में 30 प्रतिशत का ऋण अनुदान दिया जाता है। जब हमने सहायक प्रबंधक एसके जैन से पूछा कि योजनाओं से ऋण अनुदान को खत्म करने का क्या कारण था? तो उन्होंने कहा कि यह तो सरकार ही बता पाएगी की आखिर योजनाओं से ऋण अनुदान क्यों खत्म किया है! 

निर्धारित लक्ष्य सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों ने किया आवेदन

अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम वर्तमान में 4 योजनाओं को संचालित कर रहा है। इन योजनाओं के तहत दलित युवाओं को व्यवसायिक रोजगार से जोड़ना और आर्थिक रूप से मजबूत करने की मंशा है। लेकिन निगम की योजनाओं का लाभ दलित युवाओं को नही मिल रहा है। निगम के द्वारा योजनाओं के लिए निर्धारित लक्ष्य के आवेदन 20 प्रतिशत से कम है वहीं योजनाओं में स्वीकृत आवेदन 10 प्रतिशत से कम है। इसके साथ ही एक योजना में आवेदन की संख्या शून्य है। निगम और सरकार संचालित योजनाओं का प्रचार प्रसार ही नहीं करती है। इसके पहले हम अपनी पूर्व की रिपोर्ट में बता चुके है। इसके साथ ही दलित युवाओं का अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की योजनाओं में आवेदन नहीं करने का एक बड़ा कारण ऋण से अनुदान को समाप्त कर देना है। 

सिर्फ ब्याज में मिलता है 7 प्रतिशत का अनुदान 

वर्ष 2019 के पहले तक अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की सभी योजनाओं पर अधिकतम 30 प्रतिशत तक का ऋण अनुदान दिया जाता था। सरकार ने ऋण अनुदान को समाप्त कर अब सिर्फ ब्याज पर अनुदान दिया जा रहा है। वह भी सिर्फ अधिकतम 7 प्रतिशत तक।

ऐसे समझे ऋण और ब्याज अनुदान

2019 में योजनाओं पर ऋण अनुदान दिया जाता था..

उदाहरण: यदि हितग्राही को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत 10 लाख का लोन स्वीकृत किया गया तो योजना पर 30 प्रतिशत का ऋण अनुदान दिया गया।  हितग्राही को सिर्फ 7 लाख बैंक ब्याज सहित किश्तों में लौटने होते थे। तब भी 5 प्रतिशत तक का ब्याज अनुदान भी दिया जाता था।

2019 के बाद योजना से ऋण अनुदान समाप्त होने के बाद..

उदाहरण: यदि हितग्राही को 10 लाख का लोन स्वीकृत किया गया है। तो सिर्फ बैंक के ब्याज पर 7 प्रतिशत का ब्याज अनुदान मिलेगा। यानि को बैंक को 10 लाख की रकम सहित शेष ब्याज प्रतिशत सहित किश्तों में लौटना होगा। 

सरकार के पास बजट का टोटा! सरकार की अनुशंसा से खत्म हुआ था ऋण अनुदान 

अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को दिए जाने वाले लोन स्कीम से ऋण अनुदान खत्म करने के कारण की द मूकनायक ने पड़ताल की। मध्यप्रदेश वित्त विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार के पास बजट का संकट है। जैसे कि हमने पिछली खबर में यह बताया था कि बजट के कारण सरकार स्वीकृत राशि का आवंटन नहीं कर सकी थी। जब हमने इस संबंध में वित्त विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली तो पता लगा कि बजट ड्राफ्ट में ऋण अनुदान को हटा दिया गया। जिसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेज कर ऋण अनुदान को खत्म करने की अनुशंसा कर दी गई थी। जिसके बाद सरकार ने अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की संचालित योजनाओं से 30 प्रतिशत तक का मिलने वाले ऋण अनुदान को खत्म कर दिया। 

वर्तमान में योजनाओं और आवेदनों की स्थिति

2022-23 के वित्तीय वर्ष में प्रगति दिनांक 31 अक्टूबर 2022 तक संत रविदास योजना का लक्ष्य संख्या 1000 हजार है। जिनमें 2219 आवेदन निगम को प्राप्त हुए। 241 आवेदन स्वीकृत किए गए और अंत में सिर्फ 251 लोगों को लोन वितरित हो सका। 

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत निगम ने 10,000 (दस हजार) का लक्ष्य निर्धारित किया था। इस योजना के अंतर्गत सिर्फ 1592 आवेदन ही अनुसूचित वित्त विकास निगम को मिले है। इनमें सिर्फ 35 आवेदनों को स्वीकृत किया गया इनमें भी 21 लोगों को योजना का लाभ मिल पाया। 

सावित्रीबाई फुले स्व-सहायता समूह योजना के अंतर्गत महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को ऋण दिया जाना था। इस योजना का लक्ष्य 500 रखा गया है। जिसमें सिर्फ 19 आवेदन निगम को प्राप्त हुए। 10 आवेदनों को स्वीकृत किया गया वहीं इस योजना में प्रगति दिनांक तक वितरित संख्या शून्य है। यानी किसी भी दलित महिलाओं के स्व-सहायता समूह को इसका लाभ नही मिला है। 

मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना में दलित युवाओं को उधोग के लिए दो करोड़ तक के लोन वितरण का प्रावधान है। लक्ष्य संख्या मात्र 10 है। प्रगति दिनांक तक आवेदनों की संख्या शून्य है। यानि इस योजना के अंतर्गत एक भी आवेदन नही किया गया।

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