द मूकनायक ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबरें।
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राज्य अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम को आखिरकार 38 करोड़ का फंड दे दिया गया है। इस मामले को लेकर लगातार द मूकनायक ने अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम में स्वीकृत राशि का आवंटन नहीं किए जाने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद सरकार ने इस मामले में संज्ञान लिया और स्वीकृत राशि का आवंटन कर दिया गया।
क्या था मामला?
दरअसल द मूकनायक इस पूरे मामले में अभी तक तीन खबरें प्रकाशित की जिसमें योजना से लेकर सिस्टम से जुड़े हर पहलू की पड़ताल की गई है। हमने अपनी पहली खबर में बताया था कि…मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम को सरकार द्वारा स्वीकृत 40 करोड़ की राशि का आवंटन आज तक नहीं हो पाया है। अब अनुसूचित जाति निगम प्राप्त आवेदनों को एकत्रित कर स्वीकृत राशि का इंतजार कर रहा था। अनुसूचित जाति निगम 4 योजनाओं के तहत दलित युवाओं को लोन देती है जिससे वह स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें।
दूसरी खबर में हमने बताया कि कैसे दलितों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हमने बताया की अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम वर्तमान में 4 योजनाओं को संचालित कर रहा है। इन योजनाओं के तहत दलित युवाओं को व्यावसायिक रोजगार से जोड़ना और आर्थिक रूप से मजबूत करने का लक्ष्य है, लेकिन निगम की योजनाओं का लाभ दलित युवाओं को नहीं मिल रहा है। निगम के द्वारा योजनाओं के लिए निर्धारित लक्ष्य के आवेदन 20 प्रतिशत से कम है। वहीं योजनाओं में स्वीकृत आवेदन 10 प्रतिशत से भी कम है।
2022-23 के वित्तीय वर्ष में प्रगति दिनांक 31 अक्टूबर 2022 तक संत रविदास योजना का लक्ष्य संख्या 1000 हजार है, जिनमें 2219 आवेदन निगम को प्राप्त हुए। 261 आवेदन स्वीकृत किए गए और अंत में सिर्फ 251 लोगों को लोन वितरित हो सका। इसी तरह से संचलित चारों योजनाओं में प्राप्त और स्वीकृत आवेदनों की संख्या की पड़ताल की खबर लिखी गई।
वहीं तीसरी खबर में हमने लिखा कि किस तरह से सरकार इन योजनाओं को बना कर भूल गई। हमने बताया था कि मध्यप्रदेश सरकार दलितों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और व्यावसायिक रोजगार से जोड़ने की नियत से राज्य अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से 4 योजनाओं को संचालित कर रही है। जिसमें दलित युवाओं को 50 हजार से 2 करोड़ तक के लोन देने का प्रावधान है। लेकिन योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य से प्रतिशत से कम आवेदन किए गए और स्वीकृत लोन 10 प्रतिशत से कम है। इसके साथ ही लोन वितरण की संख्या लगभग 5 प्रतिशत से कम है। असल में योजनाओं में निगम को आवेदन नहीं मिलने का कारण संचालित योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं होता है।
जब हमने इस विषय में पड़ताल की तो पता लगा कि सरकार ने अन्य कार्यक्रमों और योजनाओं के लिए करोड़ों के विज्ञापन जनसंपर्क संचालनालय के माध्यम से जारी किए पर अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम की किसी भी योजना का एक भी विज्ञापन प्रदेश स्तर पर जारी नहीं किया।
द मूकनायक ने इस मामले में प्रमुखता से खबरों को प्रकाशित किया था। जिसके बाद वित्त विभाग हरकत में आया और अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम को स्वीकृत राशि 40 करोड़ में से 38 करोड़ का आवंटन कर दिया गया। आपको बता दें कि, वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह राशि स्वीकृत की गई थी मगर निगम को 6 महीने बाद यह राशि आवंटित की गई है।
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