“भाइयों की नौकरी गई, सरकार ने भी रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया, अब रोज पेशी के लिए लगा रहे कोर्ट के चक्कर” — लखीमपुर खीरी रेप पीड़िता के भाई

लखीमपुर खीरी के पॉक्सो कोर्ट में रोजाना मामले की होती है सुनवाई। 80 दिनों में 11 गवाह पेश किए गए। [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
लखीमपुर खीरी के पॉक्सो कोर्ट में रोजाना मामले की होती है सुनवाई। 80 दिनों में 11 गवाह पेश किए गए। [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
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लखीमपुर खीरी में दलित बहनों की रेप के बाद हत्या का मामला, सरकार द्वारा किए गए वादे अधूरे, आर्थिक मदद से ही पेशी पर आने-जाने का खर्चा व रोजमर्रा की जरूरतों की हो रही पूर्ति। पीड़ित परिवार ने कहा, खेती चौपट हो गई ऊपर से ये पेशी पर आने-जाने का खर्च हमारे लिए चुनौती बन गया है। पेश है द मूकनायक की ग्राउंड रिपोर्ट..

उत्तर प्रदेश। आज से 95 दिन पहले तक रवि प्रकाश (बदला हुआ नाम) दिल्ली में पेपर रैपिंग कम्पनी में नौकरी करके आजीविका कमाता था। उसका छोटा भाई नमन प्रकाश भी उसी कंपनी में काम करता था। दोनों की इतनी आमदनी हो जाती थी कि उनका खर्च अच्छे से चल जाता था। कुछ पैसे बचाकर वह अपने गांव में मां-बाप के पास भेज देते थे, लेकिन 14 सितम्बर 2022 के बाद सबकुछ बदल गया। इस दिन गांव में दोपहर दो बाइक सवार लड़कों ने उनकी दोनों बहनों का कथित तौर पर अपहरण किया। घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर उनके साथ रेप किया। उसके बाद दोनों बहनों की गला दबाकर हत्या कर दी। दोनों के शव एक ही दुपट्टे के सहारे पेड़ की डाल से टांग दिए गए।

दोनों भाई दिल्ली में काम पर थे। फोन पर जब इस घटना की जानकारी मिली तो दोनों को सदमा लगा। उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्यों और कैसे हो गया। रवि अपनी दोनों बहनों से एक महीना पहले ही रक्षाबंधन पर मिलकर गया था। दोनों की जिद पर नया कूलर भी खरीदा था। रक्षाबंधन के बाद दिल्ली जाते समय बहनों से सिलाई मशीन लाने का वादा किया था। सारे सपने एक साथ टूट कर बिखर गए। अब सबकुछ बदल चुका था।

भाई भी दिल्ली से अपने गांव पहुँच गए थे। बहनों के शव घर के आंगन में रखे हुए थे। मां शव के पास फूट-फूटकर रोए जा रही थी। पूरे गांव में डर और दहशत का माहौल था। गांव पुलिस बल और मीडियाकर्मियों से भरा हुआ था। तमाम नेता भी मौके पर पहुंच रहे थे। दोनों बेटियों के अंतिम संस्कार के लिए परिवार सहित गांव के लोग तैयार नहीं हो रहे थे। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने जब तमाम वादे किए तब जाकर यह परिवार अंतिम संस्कार को राजी हुआ। इसके बाद दोनों बहनों को न्याय दिलाने की लड़ाई शुरू हुई, जिसकी जिम्मेदारी दोनों भाइयों पर आ गई।

जानिए क्या था पूरा मामला?

यूपी के लखीमपुर खीरी के निघासन थाना क्षेत्र के एक गांव में बीते 14 सितंबर 2022 के दिन दो सगी दलित बहनों की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। उनके शवों को गन्ने के खेत में लगे पेड़ से लटका दिया गया था। इस घटना के बाद यूपी सरकार विपक्षियों के निशाने पर आ गई थी। खबर पूरे देश भर में वायरल हुई थी। इस घटना के 24 घन्टे के भीतर ही पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने मामले में न्यायालय में चार्जशीट पेश की। तब से दोनों भाई पेशी पर कोर्ट के चक्कर लगा रहे है।

वाहन के पास खड़े पीड़ित परिजन [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
वाहन के पास खड़े पीड़ित परिजन [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

वहीं पीड़ित परिवार पुलिस सुरक्षा में रहने को मजबूर है। आमदनी का कोई साधन नहीं है। जो पैसे सरकार ने आर्थिक सहायता के रूप में भेजे थे, उसी से ही घर खर्च चल रहा है। वापस काम पर न जाने के कारण दोनों भाई की नौकरी भी चली गई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने के कारण पीड़ित परिवार रोजाना निघासन से लगभग 65 किमी दूर जिला पॉक्सो कोर्ट में किराए के वाहन से पेशी के लिए जाते हैं। अब तक लगभग 2 लाख रुपए पेशी में केवल वाहन और आने-जाने पर खर्च हो चुके हैं।

रवि ने बताया, "हम किराए की गाड़ी से रोजाना पेशी के लिए आते हैं। अब तक लगभग 80 बार कोर्ट के फेरे लग चुके हैं। हर फेरे पर 1500 रुपए किराए पर गाड़ी बुक करनी पड़ती है। साथ में सिर्फ एक असलहाधारी सिपाही गाड़ी में ही साथ में बैठकर आता-जाता है।"

बंटाई पर लिए खेत की फसल भी हो रही बर्बाद

पीड़ित दलित परिवार के कृषि योग्य भूमि नहीं के बराबर है। वे दूसरों के खेत बटाई पर लेकर गुजर-बसर करते हैं। घटना के बाद सरकार ने खेत पट्टे पर देने का वादा किया था। वह अब तक नहीं मिल सका है। पीड़ित पिता जिस खेत को बटाई पर लेकर खेती कर रहा था उस फसल की देखभाल भी ठीक तरीके से नहीं कर पा रहा है। 24 घन्टे पुलिस सुरक्षा में रहने के कारण खेत में कम समय दे पा रहे हैं।

रात में घर से निकलने में लगता है डर

घटना के 90 दिन बीत चुके हैं। पीड़ित परिवार आज भी उस दिन को नहीं भुला पाता है जिस दिन यह घटना हुई थी। परिवार के सदस्य रात में घर से निकलने से डरते हैं। वहीं पेशी पर आने-जाने में भी उन्हें डर लगता है। हालांकि उनके साथ हमेशा एक पुलिसकर्मी रहता है।

सरकार के किए वादे अधूरे, ये थे पांच वादे

बिंदु 1- एससी/एसटी एक्ट के तहत 16/09/2022 को 16 लाख रुपए की राशि आर्थिक सहायता के रूप में पिता के खाते में भेजी जाएगी।

बिंदु 2- रानी लक्ष्मी बाई योजना के तहत अनुमन्य धनराशि अभियोग की विवेचना समाप्ति पर तत्काल देय होगी।

बिंदु 3- प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास प्रदान करने हेतु ब्लॉक कार्यालय के माध्यम से शीघ्र कार्यवाही की जाएगी।

बिंदु 4- नौकरी एवं अनुमन्य अन्य अधिक सहायता प्रदान किए जाने हेतु आवेदन प्राप्त कर जरिए उचित माध्यम प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जाएगा।

बिंदु 5– घटना में संलिप्त अभियुक्तों को शीघ्र कठोरतम सजा फांसी कराने हेतु फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाएगा।

जानिए कौन से वादे हुए पूरे..

बिंदु संख्या 1 व 5 शासन और अधिकारियों की ओर से अब तक 16 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।

यह वादे नहीं हुए पूरे

बिंदु 2, 3 और 4 में किए गए वादे शासन और उनके अधिकारी पूरे नहीं कर सके हैं। पूरे मामले की विवेचना समाप्त करते हुए 28 सितम्बर 2022 को चार्जशीट दाखिल कर दी गई। लेकिन बिंदु 2 में वादे के अनुसार रानी लक्ष्मी बाई योजना के तहत मिलने वाली राशि विवेचना के 82 दिन बीत जाने के बाद भी पीड़ितों को नहीं मिल पाई है।

क्या बोले विवेचक?

इस पूरे मामले की विवेचना क्षेत्राधिकारी निघासन एस एन तिवारी कर रहे थे। उन्होंने द मूकनायक को बताया, "मामले की विवेचना पूरी कर चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। किए गए वादे के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई योजना के तहत दी जाने वाली राशि के लिए समाज कल्याण विभाग से पत्राचार किया गया है। अब फाइल कहां रुकी है। इसकी जानकारी मुझे नहीं है।"

जानिए क्या है रानी लक्ष्मीबाई योजना?

इस योजना के तहत जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं व बालिकाओं को लाभ दिया जाता है। अगर किसी महिला व बालिका पर जानबूझ कर तेजाब डाला जाता है। दहेज उत्पीड़न से मृत्यु हो जाती है तो सरकारी नियमों के अनुरूप पीड़ित परिवार के लोगों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसमें तीन लाख से लेकर दस लाख रुपए की सहायता दी जाती है। प्रत्येक माह कार्रवाई पर सुनवाई की जाती है। महिला की मृत्यु के बाद बच्चों की देखभाल इस धनराशि से की जा सकती है।

नहीं मिलेगा प्रधानमंत्री आवास?

बिंदु संख्या 3 के मुताबिक किये गए वादे के अनुसार पीड़ित परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास प्रदान करने हेतु ब्लॉक के माध्यम से शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। लेकिन वर्तमान बीडीओ राकेश कुमार सिंह ने बताया, "परिवार को पूर्व में प्रधानमंत्री योजना के तहत आवास का लाभ दिया जा चुका है। नियमानुसार एक बार यदि इसका लाभ किसी व्यक्ति को दिया गया हो तो इसका लाभ दोबारा नहीं दिया जा सकता। शासन से जैसा आदेश आएगा उसका पालन किया जाएगा।"

बिंदु संख्या 4 के मुताबिक नौकरी एवं अनुमन्य अन्य अधिक सहायता प्रदान किए जाने हेतु आवेदन प्राप्त कर जरिए उचित माध्यम प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जाएगा। इस मामले में पीड़ित परिवार के सदस्यों द्वारा बताया गया कि नौकरी के लिए घटना के 95 दिन बाद भी आज तक कोई पत्राचार नहीं किया गया। इस मामले को लेकर जिलाधिकारी लखीमपुर से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया परन्तु खबर लिखने तक जिलाधिकारी से बात नहीं हो सकी।

सरकार मदद करना भूली

द मूकनायक ने पीड़ित परिवार से बात की। मृतक दलित बहनों के भाई ने बताया, "अभी तक बस 16 लाख ही सरकार की तरफ से मिले हैं। दूसरे वादे जो किए गए हैं, उसमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया है।"

अब तक केस में क्या हुआ?

सरकार ने मुकदमा फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाने के आदेश दिए थे। जिसके बाद पुलिस ने घटना के दो सप्ताह के भीतर चार्जशीट दाखिल कर दी। फास्ट ट्रैक में मुकदमा भी शुरू हो गया। अब तक लगभग 80 पेशी हो चुकी हैं। कुल 11 लोगों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए जा चुके हैं।

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