राजस्थान: अलवर के तिलकपुरा गांव में पहली बार दलित दूल्हा घोड़ी चढ़ा

पुलिस सुरक्षा में बारात निकासी, भीम सेना कार्यकर्ताओं ने दूल्हे के चारों तरफ बनाया सुरक्षा कवच
राजस्थान: अलवर के तिलकपुरा गांव में पहली बार दलित दूल्हा घोड़ी चढ़ा
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राजस्थान। प्रदेश के अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ थाना इलाके के तिलकपुर गांव में अनुसूचित जाति का दूल्हा पहली बार घोड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हन लेने पहुंचा। कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच डीजे पर बजते गानों पर बाराती नाचते-गाते नजर आए। पुलिस कर्मियों के अलावा भीम सेना के कार्यकर्ता भी इस बारात में शामिल हुए। भीम सेना कार्यकर्ताओं ने घोड़ी पर सवार दूल्हे के चारों तरफ सुरक्षा कवच बना रखा था ताकि किसी भी अनहोनी को टाला जा सके। बताते हैं कि इससे पहले राजस्थान के इस गांव में कभी किसी अनुसूचित जाति के दूल्हे की घोड़ी पर बैठ कर बारात नहीं निकली। जिसने भी घोड़ी पर सवार होकर बारात निकाली तो उसे बेइज्जत होना पड़ा।

डिजिटल भारत में आज भी अनुसूचित जाति के लोगों की यह दशा समानता की वास्तविकता दर्शाती है जहां पुलिस सुरक्षा में बारात की निकासी होती है।

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बेटी के बाप ने मांगी थी बारात के लिए सुरक्षा

लक्ष्मणगढ़ तहसील के तिलकपुरा निवासी ज्ञानचंद बैरवा ने बेटी रीना की शादी समारोह में विघ्न की आशंका के चलते जिला प्रशासन और भीम सेना को अलग-अलग पत्र लिख कर सुरक्षा की गुहार लगाई थी। पिता के पत्र को गम्भीरता से लेते हुए जिला कलक्टर ने उपखण्ड अधिकारी लक्ष्मणगढ़ सुभाष यादव को निर्बाध विवाह की जिम्मेदारी सौंपी थी। शनिवार को आखातीज की व्यस्तताओं के बीच उपखण्ड अधिकारी यादव ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। पर्याप्त पुलिस जाब्ते की निगरानी में तिलकपुरा गांव में पहली बार अनुसूचित जाति के दूल्हे की बारात घोड़ी पर बैठाकर निकलवाई। एसडीएम के इस कदम की हर तरफ तारीफ हो रही है। 

इसलिए जताई थी व्यवधान की आशंका

भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रविकुमार मेघवाल ने बताया कि इससे पूर्व 10 मार्च 2015 को ज्ञान चंद बैरवा की बड़ी बेटी किरण का विवाह हुआ था। बारात दौसा जिले की महवा तहसील के रशीदपुर गांव से आई थी। उस समय गांव में बाहुल्य जाति विशेष के मनबढ़ों ने झगड़ा फसाद किया था। 

उस समय दूल्हे की गाड़ी में तोड़फोड़ भी की गई थी। बारातियों के साथ भी झगड़ा-फसाद और अभद्र व्यवहार किया था। उन्होंने कहा इस घटना के बाद पीड़ित ने थाना लक्ष्मणगढ़ में भी शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे मनबढ़ों के हौसले बुलंद थे। 

ज्ञानचंद ने शिकायत पत्र में इस बात का भी जिक्र किया था कि हाल ही 9 मार्च को भी गांव में धर्मसिंह बैरवा की बेटी अंजू का विवाह संपन्न हुआ था। उक्त विवाह में भी जाति विशेष के असामाजिक तत्वों ने दूल्हे को घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया था। डीजे के सामने स्वयं द्वारा मंगवाई गई घोड़ियों को नचाया था। बारातियों को भगा दिया था। यही वजह है कि प्रार्थी को इस बात की आशंका थी कि बारात निकासी वाले दिन विरोधी पक्ष दूल्हे को घोड़ी पर नहीं चढ़ने देंगे, और झगड़ा फसाद कर बारातियों को भगा देंगे।  

भीम सेना से भी लगाई थी मदद की गुहार

दुल्हन के पिता ने प्रशासन के अलावा एक पत्र भीम सेना को भी लिखा था। इस पत्र में 22 अप्रैल को अपनी बेटी रीना के विवाह में कुछ लोगों द्वारा व्यवधान डालने की आशंका जताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी। पिता के पत्र के बाद भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रविकुमार मेघवाल ने भी बिना व्यवधान के शादी सम्पन्न करवाने तथा दूल्हे को घोड़ी पर बैठा कर सम्मान के साथ बारात की चढ़ाई करवाने का भरोसा दिया था। 

दुल्हन के पिता से किए गए वादे के मुताबिक भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष शनिवार को आखातीज पर अपने दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ तहसील के तिलकपुरा गांव पहुंचे। जहां बारात की चढ़ाई में शामिल भी हुए तथा बेटी के कन्यादान कार्यक्रम भी उपस्थित रहे। इस दौरान रवि मेघवाल ने कहा हमने दुल्हन के पिता से किया वादा निभाया। सम्मान के साथ बारात की चढ़ाई व दुल्हन की विदाई भी हुई। 

'एसडीएम यादव का आभार'

रवि कुमार कहते हैं यह मामला संवेदनशील था। यहां प्रशासन सतर्कता नहीं बरतता तो जातीय टकराव की संभावना थी। विशेष कर उपखण्ड अधिकारी सुभाष यादव ने यहां जातीय टकराव टालने पर काम किया। दोनों पक्षों को बैठाकर संवाद कायम किया। एसडीएम ने प्रार्थी पक्ष को भरोसा दिलाया था कि बिना विवाद के शादी सम्पन्न करवाना अब उनकी जिम्मेदारी है। भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष ने कहा एसडीएम यादव अपने वादे पर खरे उतरे हैं। उन्होंने पुलिस को ज्ञानचंद बैरवा की पुत्री की शादी में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे। एसडीएम के निर्देश पर पुलिस ने गांव में जाकर आरोपियों को किसी भी तरह शादी में व्यवधान नहीं डालने के लिए पाबन्द किया तथा बारात की चढ़ाई के दौरान पुलिस मुस्तैद रही। 

भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष ने यहां सवाल भी खड़े किए कि आखिर आज भी भारत में ऐसी स्थिति क्यों है। अनुसूचित जाति के लोगों को विवाह जैसे कार्य आजादी से नहीं करने दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जातीय भेद खत्म करने के लिए सरकारों को कड़े कदम उठाने की जरूरत है। 

इस संबंध में द मूकनायक ने लक्ष्मणगढ़ उपखण्ड अधिकारी सुभाष यादव से बात की। एसडीएम ने बताया कि 4 अप्रैल को पीड़ित ज्ञानचंद ने जिला कलक्टर को पत्र लिखा था। इस पर सम्बन्धित वृत्ताधिकारी को शादी के दिन पर्याप्त पुलिस जाब्ता तैनात करने के निर्देश दिए थे। विवाह में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिसकी आशंका थी। दूल्हा घोड़ी चढ़कर बारात लेकर पहुंचा। बिना विवाद के शादी सम्पन्न हुई।

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