राजस्थान। चित्तौड़गढ़ के कपासन उपकारागृह में न्यायिक अभिरक्षा में रहे बंदी सुरेश कंजर (55) की विगत गुरुवार को जिला अस्पताल में हुई मृत्यु के 5 दिनों बाद भी दोषी जेलकर्मियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज नहीं होने से परिजनों और समाजजनों में रोष है। गत सोमवार को परिजनों और समाज के कुछ लोगों ने एसडीएम से मुलाकात कर मामले में जल्दी कार्रवाई की मांग की।
परिजनों का आरोप है कि गुरुवार को मोर्चरी से सुरेश के देह को नहीं क्लेम करने को लेकर जब वे अड़ गए थे, तब सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाइश कर सभी मांगों को स्वीकार कर लिया था, लेकिन अब चूंकि दाह संस्कार सब सम्पन्न हो गया है तो अधिकारियों ने मामला टालना शुरू कर दिया है। बताया गया कि ना तो दोषी पुलिस वालों के विरुद्ध कोई एफआईआर रजिस्टर की गई और ना ही परिवार को कोई सहायता राशि मुहैया करवाई गई है।
इस मामले में राजस्थान विमुक्त घुमन्तु एवं अर्द्ध घुमन्तु जाति कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष चतराराम देशबंधु तथा अतिरिक्त जिला कलक्टर चित्तौड़गढ़ के बीच बीते शुक्रवार को समाज एवं सामाजिक कार्यकर्ता के साथ कलेक्टर आफिस में इस प्रकरण को लेकर बातचीत हुई, जिसमें सभी मुद्दों को लेकर सहमति होने की बात बताई गई थी।
मृतक के पुत्र राकेश ने द मूकनायक को बताया कि पिता की हिरासत में मृत्यु मामले में परिवार और समाजजन जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक से मिले। इस प्रकरण में चल रही जांच के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाही, जिसमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने प्रतिनिधियों को बताया कि 3 दिन से छुट्टियां चल रही थीं , सोमवार को ऑफिस खुला है, हम जांच कर रहे हैं।
"साथियों द्वारा एफआईआर दर्ज करने की बात कही, जिसमें एडीएम ने कहा कि आप मुकदमे के बारे में एसपी साहब से मिल लीजिए उसके बाद सभी साथी जिला पुलिस अधीक्षक से मिले और जांच के बारे में जानना चाहा, जिस पर एसपी ने कहा कि पूरी जांच मजिस्ट्रेट साहब के पास है। वह जांच कर रहे हैं दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा जांच रिपोर्ट हमारे पास में आने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। आप विश्वास रखिए हम पूरी कार्यवाही करेंगे।" राकेश ने कहा कि अधिकारी इस तरह एक दूसरे पर बातें टाल रहे हैं।
इस मामले में राजस्थान कंजर समाज महापंचायत ने मामले में राजनीति होने से निराशा जाहिर की। महापंचायत के प्रदेशाध्यक्ष ग्यारसीलाल गोगावत ने द मूकनायक से कहा कि राजस्थान राज्य विमुक्त घुमंतु अर्द्ध घुमंतु जाति कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष चतराराम देशबंधु के नेतृत्व में शामिल लोगों ने राजनीतिक रोटियां सेकने के कारण जिस तरह से मृतक सुरेश के परिवारजनों को अपने विश्वास में लेकर जो मौखिक रूप में सहमति बनाई गई थी। वो निराशाजनक है।"अखिल राजस्थान कंजर समाज महापंचायत की ओर से इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा जायेगा।"
अब तक का प्रकरण
गौरतलब है कि कपासन में मेवदा कॉलोनी निवासी सुरेश पुत्र नारायण कंजर को 1998 के एक लंबित मामले में स्थायी वारंटी होने से कपासन पुलिस द्वारा 27 मार्च को कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उंसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया था। परिजनों का आरोप है कि जब वे 5 मार्च को सुरेश से मिलने जेल गए तो उन्हें जेल कार्मिकों ने बताया कि सुरेश की तबीयत खराब होने से उंसे जिला अस्पताल भर्ती करवाया गया है। परिजन जब बुधवार को अस्पताल पहुंचे तो सुरेश की हालत गंभीर थी। वो आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। सुरेश के पुत्र राकेश ने बताया कि उसके पिताजी के शरीर पर मारपीट के निशान थे। शरीर नीला पड़ गया था, जिससे प्रतीत होता है कि उन्हें जेल में यातनाएं दी गईं। परिजनों का यह भी दावा है कि जेल से छूटे मेवदा कॉलोनी में ही रहने वाले उनके समाज के दो अन्य लोगों ने सुरेश के साथ जेल में पिटाई की बात बताई। इस मामले में जेल प्रहरी विनीत शर्मा ने बंदी के साथ किसी भी तरह की मारपीट नहीं होने की बात कही थी।
न्यायिक अभिरक्षा में बन्दी की मृत्यु के आरोपों की जांच स्वयं कोर्ट द्वारा की जा रही है। पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता प्रकाश कंजर ने बताया कि यदि मामले में प्रथम दृष्ट्या कोई संदेह उजागर होता है तो कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज करेगी।
इधर, समाजजनों द्वारा मृतक के परिजनों को क्षतिपूर्ति के रूप में पचास लाख रुपए और एक आश्रित को सरकारी नौकरी की मांग की जा रही है।
हमेशा होता है पक्षपात
बताया जाता है कि पुलिस चोरी और अन्य अपराधों के निराधार आरोपों पर सुरेश और कंजर समुदाय के अन्य सदस्यों को परेशान कर रही थी। चित्तौड़गढ़ के विभिन्न थानों में दलित समुदाय के पुरुषों के खिलाफ 260 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इस घटना से समुदाय में व्यापक आक्रोश फैल गया है, लोग सुरेश के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं।
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