नई दिल्ली। राजस्थान में नीमकाथाना ज़िले में दलित अधिकारी ललित बेनीवाल की आत्महत्या के मामले में आठ दिन बाद सोमवार को पहली गिरफ़्तारी हुई। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने एफ़आईआर में दर्ज नामजद अभियुक्त मनोज गुर्जर को मुंबई से गिरफ़्तार किया है। इधर, आईआईटी कानपुर एल्युमिनी एसोसिएशन ललित के परिवार की मदद के लिए आगे आई है। ललित बेनीवाल मेमोरियल फंड की स्थापना कर अब तक करीब 32 लाख रुपए जुटाए गए है, 60 लाख रुपए का लक्ष्य रखा गया है। यह राशि जल्द परिवार को दी जाएगी।
मनोज चीपलाटा ग्राम पंचायत सरपंच हैं। मृतक ललित बेनीवाल राजस्थान की इसी अजीतगढ़ पंचायत समिति के गांव चीपलाटा की ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर पिछले दस महीनों से कार्यरत थे।
फरार अन्य अभियुक्तों की तलाश की जा रही है
बीबीसी के रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले के जाँच अधिकारी और अजीतगढ़ के डिप्टी एसपी राजेंद्र सिंह ने कहा, "घटना के बाद से ही सरपंच मनोज फरार थे और बचने के लिए अपनी जगह बदल रहे थे। पुलिस टीम ने मनोज को पुणे से सत्तर किलोमीटर दूर स्थित एक ठिकाने से गिरफ़्तार किया है।"
रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में सात लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। फरार अन्य अभियुक्तों की तलाश की जा रही है। सभी पर आईपीसी की धारा 306, 120 बी और एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज है।
सरकारी पैसे के गबन की दर्ज करवाई थी एफ़आईआर
पिछले वित्त वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के दौरान हुए लेन-देन और कार्यों की ऑडिटिंग हुई थी जिसमें पांच लाख बीस हज़ार और ग्यारह रुपये के सरकारी पैसे की अनियमितता सामने आई। इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर अजीतगढ़ ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी (BDO) अजय सिंह के मौखिक आदेश पर ललित बेनीवाल ने थोई थाने में 15 फरवरी को चीपलाटा सरपंच मनोज गुर्जर और पूर्व सरपंच बीरबल गुर्जर के खिलाफ़ सरकारी पैसे के गबन की एफ़आईआर दर्ज करवाई थी।
परिवार वालों और ललित द्वारा लिखे सुसाइड नोट के मुताबिक, एफ़आईआर दर्ज होने की सूचना के बाद सरपंच बीरबल और अन्य लोगों ने ललित बेनीवाल को डराया और मानहानि का केस दर्ज कराने की धमकी दी। जिसके बाद इन धमकियों और प्रताड़ना से तंग आकर ललित ने अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। 18 फरवरी की सुबह ललित बेनीवाल के घर से उनका शव बरामद हुआ हुआ था।
ललित बनीवाल ने अपने सुसाइड नोट में चीपलाटा सरपंच मनोज, पूर्व सरपंच बीरबल, पंचायत कर्मचारी और ठेकेदार समेत सात लोगों पर भ्रष्टाचार और प्रताड़ित करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे।
मैं नहीं लड़ पाया, तुम खूब लड़ना, खूब आगे बढ़ना…”
ललित ने अपने नौ पेज के सुसाइड नोट में लिखा था, “मैं पंद्रह तारीख को पंचायत समिति अजीतगढ़ में रिजाइन लेटर देने गया था। क्योंकि मैं चीपलाटा पंचायत में इस नौकरी से बहुत स्ट्रेस में रहता हूँ। अब मुझसे प्रेशर हैंडल नहीं होता। मैंने बीडीओ को बोला कि ट्रांसफर करा दो या रिजाइन ले लो। उन्होंने कहा कि पहले एफ़आईआर कराओ फिर प्रधान से ट्रांसफर की बात करता हूँ। मैं पहले से ही बहुत डरा हुआ था और डिप्रेशन में था।"
ललित ने लिखा - “मैं आईआईटी ग्रेजुएट हूँ, यूपीएससी करते करते ग्राम विकास अधिकारी जॉब में फंस गया और न अब मुझसे यूपीएससी हो रही है।” आखिर में उन्होंने अपनी बहनों के लिए लिखा है, “जो मैं नहीं कर पाया, वो तुम तीनों कर के दुनिया को दिखाना। मैं नहीं लड़ पाया, तुम खूब लड़ना, खूब आगे बढ़ना…”
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