पैड गर्ल के नाम से मशहूर हुई बिहार की दलित बेटी के सामने आर्थिक परेशानियां, लेकिन मन में है कुछ कर गुजरने का जज्बा: ग्राउंड रिपोर्ट

पटना, कमला नेहरू मलिन बस्ती स्थित अपने घर में रिया [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
पटना, कमला नेहरू मलिन बस्ती स्थित अपने घर में रिया [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
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पटना। बिहार की राजधानी पटना की एक कच्ची बस्ती जिसे आम बोलचाल की भाषा में 'स्लम' कहा जाता है। वहां से बुलंद आवाज में एक मांग की गई है, "सरकार लड़कियों के लिए नैपकिन (सेनेटरी पैड) की व्यवस्था करे।" यह आवाज उठाने वाली लड़की कमला नेहरू स्लम की रहवासी रिया पासवान है जो उस वक्त चर्चा में आई जब वो महिला एवं बाल विकास निगम की एमडी और आईएएस अधिकारी हरजोत कौर भामरा से मुफ्त नैपकिन की मांग को लेकर भिड़ गई थीं। नाराज महिला आईएएस अधिकारी ने उसे पाकिस्तान जाने तक की सलाह दे दे थी। पूरी नोकझोक का वीडिया इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो गया था।

पटना, कमला नेहरू मलिन बस्ती स्थित रिया के घर का रसोई कक्ष [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
पटना, कमला नेहरू मलिन बस्ती स्थित रिया के घर का रसोई कक्ष [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

आइए जानते हैं रिया के बारे में

रिया कुमारी बिहार की राजधानी पटना के कमला नेहरू नगर की मलिन बस्ती की रहने वाली हैं। उसके पिता विजय पासवान की दो साल पहले कोरोना के दौरान मौत हो चुकी है। वह अपनी मां महेश्वरी और तीन भाइयों के साथ रहती हैं। रिया के बड़े भाई भोसू पासवान की शादी हो चुकी है। भोसू के तीन बच्चे हैं। रिया का एक भाई पूरी तरह से मूक बाधिर है, जबकि छोटा भाई मात्र 14 साल का है। बड़ा भाई कुली का काम करके अपने बीबी-बच्चों सहित अपनी मां-बहन और भाइयों का पेट पालता है। रिया की अन्य तीन बहनों की शादी हो चुकी है।

क्या थी घटना?

बिहार की राजधानी पटना में महिला एव बाल विकास निगम और समाज कल्याण विभाग की ओर से सशक्त बेटी समृद्ध बिहार विषय पर हाल में सेमिनार आयोजित किया गया था। इस सेमिनार में महिला विकास निगम के एमडी हरजोत कौर भी मौजूद थीं। प्रोजेक्ट की टैगलाइन थी "टुवर्ड्स एनहेंसिंग द वैल्यू ऑफ गर्ल्स।" इस कार्यक्रम में रिया ने आईएएस हरजोत कौर से कहा, "सरकार सबकुछ देती है। जैसे पोषाहार, छात्रवृत्ति तो क्या सरकार लड़कियों को 20-30 रुपए का सैनेट्री पैड नहीं दे सकती है।"

रिया के इस प्रश्न से पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। रिया के इस प्रश्न पर महिला आईएएस अधिकारी भड़क उठीं। उन्होंने जवाब देते हुए कहा, "क्या मांगों का कोई अंत है। कल आप कहेंगे कि सरकार जींस, खूबसूरत जूते दे सकती है। आखिर में जब परिवार नियोजन की बात आती है, तो आपको मुफ्त कंडोम भी चाहिए।"

आईएएस हरजोत कौर ने आगे कहा, "आपको सरकार से चीजें लेने की आवश्यकता क्यों है? यह सोच गलत है।" जब लड़कियों ने इस बात का विरोध किया कि सरकार वोट के लिए चुनाव के दौरान बहुत कुछ करने का वादा करती है, तो हरजोत कौर ने कहा कि, "वोट मत दो। चले जाओ पाकिस्तान। क्या आप पैसे और सेवाओं के लिए वोट करते हैं?"

आपको बता दें कि आईएएस अधिकारी हरजोत कौर राज्य के महिला एवं बाल विकास निगम की प्रमुख हैं। निगम ने 27 सितम्बर 2022 को यूनिसेफ और अन्य संगठनों के साथ साझेदारी में एक समारोह का आयोजन किया था।

द मूकनायक से बात करते हुए रिया ने कहा, "मैंने सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि सभी लड़कियों के लिए यह सवाल पूछा था। हम वहां अपनी चिंता रखने के लिए गए थे। लड़ने के लिए नहीं।"

आईएएस महिला अधिकारी का माफ़ीपत्र
आईएएस महिला अधिकारी का माफ़ीपत्र

फजीहत होने के बाद मांगी माफी

मीडिया में मामला आने के बाद आईएएस महिला अधिकारी ने पूरे मामले पर खेद प्रकट किया। अधिकारी ने अपने लिखित पत्र में कहा अगर मेरी बातों से किसी लड़की की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं खेद प्रकट करती हूं। मेरा इरादा किसी को अपमानित करने या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।

घर में बैठी रिया की मां [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
घर में बैठी रिया की मां [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

रिया को सेनेट्री पैड कम्पनी से मिला ऑफर

रिया ने द मूकनायक को बताया कि एक पैड निर्माता कंपनी की ओर से उसे एक साल के लिए मुफ्त नैपकिन उपलब्ध कराने का ऑफर दिया गया। लेकिन उसका कहना है कि स्लम में ऐसी हजारों लड़कियां हैं जो आज भी कपड़ा प्रयोग करती हैं। कमला नेहरू स्लम का हाल बताते हुए उसने कहा कि, उसकी बस्ती में ऐसी लड़कियां हैं जो मुश्किल दिनों में कपड़े का प्रयोग करती हैं। "इतना ही नहीं वो कपड़े को पलट-पलट कर प्रयोग करने को मजबूर हैं।" रिया कहती है, मेरी वजह से अगर इन लड़कियों को भी कुछ मदद मिल जाती तो खुशी होती।" रिया जहां रहती है उस बस्ती में अधिकांश लोग रिक्शा, ठेला और गाड़ी चलाने का काम करते हैं। इन परिवारों की लड़कियों के लिए पैड खरीदने के लिए 10-20 रुपए भी कई बार भारी हो जाते हैं। रिया ने कहा सरकार अगर उसके इलाके की लड़कियों के लिए पैड की व्यवस्था नहीं कराती वो उसे मिले सेनेट्री नैपकिन को इन्हीं जरूरतमंद लड़कियों को दे देगी।

विज्ञापन का ऑफर ठुकराया

पैड गर्ल रिया को एक अन्य सेनेटरी पैड निर्माता कंपनी की ओर से एक साल का मुफ्त सेनेट्री नैपकिन देने का वादा किया गया। साथ ही उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने और विज्ञापन के लिए भी ऑफर दिया गया है। रिया ने सेनेट्री नैपकिन लेने से मना कर दिया है। रिया का कहना है कि उसकी बस्ती में और बिहार में उसके जैसी लाखों रिया हैं। जिसे पैड की जरूरत है। रिया ने कम मेहनताने की वजह से पैड कंपनी का विज्ञापन करने से भी इंकार कर दिया।

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