राजस्थान: भारत बंद का इन दलित समुदायों ने किया विरोध, क्यों मानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ?

वाल्मीकि, नट, बावरी, कालबेलिया, कंजर, धानका, और सपेरा सहित 30 से अधिक जातियों के लोगों ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के सामने सद्बुद्धि यज्ञ और रामधुनि की।
करौली जिले में भारत बंद के दौरान ली गई तसवीरें
करौली जिले में भारत बंद के दौरान ली गई तसवीरें क्रेडिट: हंसराज मीणा (ट्राइबल आर्मी)
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जयपुर - राजस्थान में बुधवार 21 अगस्त को आयोजित भारत बंद का प्रभाव विभिन्न जिलों में देखा गया, जिसमें विशेषकर जयपुर, अलवर, सीकर, करौली , भरतपुर और भीलवाड़ा प्रमुख थे। दुकानें बंद रही, बस और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद रहे , जुलूस निकाले गए, कहीं कहीं हिंसक झड़पें भी हुई।

लेकिन इस दिन, कई दलित समुदायों ने भारत बंद के विरोध में विशेष गतिविधियाँ कीं और सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के समर्थन में अपनी स्थिति स्पष्ट की। एससी/एसटी संघर्ष समिति, राजस्थान और अन्य जाति समूहों ने सद्बुद्धि यज्ञ और रामधुनि आयोजित कर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को सही मानते हुए उसकी दिशा में समर्थन प्रकट किया। जानिए कि इन दलित समुदायों ने बंद के दौरान क्या कदम उठाए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को क्यों सही ठहराया।

विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त बयान में कहा कि संविधान के लागू होने के बाद से वंचित और शोषित वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिला है, और सरकारों से आग्रह किया कि वे निम्न वर्ग को मुख्य धारा में लाने के लिए उचित कदम उठाएं।

इस बंद का असर प्रमुख क्षेत्रों में महसूस किया गया, लेकिन यह सर्व समाज से व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं कर सका।

इस दिन, एससी/एसटी संघर्ष समिति, राजस्थान और विभिन्न जाति समुदायों ने इस बंद का विरोध करने के लिए विशेष गतिविधियाँ आयोजित कीं। वाल्मीकि, नट, बावरी, कालबेलिया, कंजर, धानका, और सपेरा सहित 30 से अधिक जातियों के लोगों ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के सामने सद्बुद्धि यज्ञ और रामधुनि की। इन आयोजनों का उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले के विरोधियों के लिए सद्बुद्धि की प्रार्थना करना था और सरकारों से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करने की अपील करना था।

समिति के प्रदेश संयोजक राकेश बिदावत ने बताया कि विद्याधरनगर की कालबेलिया बस्ती में सांसी और बावरी समाज के लोगों ने यज्ञ में भाग लिया। ब्रह्मपुरी स्थित वाल्मीकि समाज की बस्ती में रामधुनि की गई और भगवान से प्रार्थना की गई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने वालों को सद्बुद्धि मिले और सरकारों को फैसले को लागू करने की हिम्मत मिले।

यज्ञ और रामधुनि के बाद अधिवक्ता रामधन सांसी, वाल्मीकि समाज के एडवोकेट महेंद्र सिंह चौहान, धानका समाज के सीताराम लुगरिया, नट समाज के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल राजवंशी, घनश्याम ग्वारिया, दिनेश सपेरा, काशीराम सांसी, कानाराम, नरेंद्र सहित तीस समाजों के लोगों ने संयुक्त बयान में कहा, जब से संविधान लागू हुआ है तब से वंचित और शोषित वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिला। सरकारें निम्न वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ प्रदान कर उन्हें मुख्य धारा में लाएं।

विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने सरकारों से आग्रह किया कि वे निम्न वर्ग को मुख्य धारा में लाने के लिए उचित कदम उठाएं।

उज्जैन में बहुजन संगठनों का प्रदर्शन।
उज्जैन में बहुजन संगठनों का प्रदर्शन।

बंद बेतुका, भारत बंद करने की कोई जरूरत नहीं - किरोड़ी लाल मीणा

इस बीच, बीजेपी के वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा ने सुप्रीम कोर्ट के क्रीमीलेयर को लेकर फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए और इसे लागू किया जाना चाहिए। मीणा ने उदाहरण के रूप में अपने गांव की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि जब वह खुद डॉक्टर और उसका एक भाई IAS-RAS बन गया, वहीं उनके पड़ोसी अभी भी परंपरागत काम कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आवश्यक है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत बंद के आयोजक राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा कर रहे हैं और कांग्रेस पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया। मीणा ने सुझाव दिया कि जो लोग आरक्षण से वंचित हैं, उन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए।

इस प्रकार, 21 अगस्त का भारत बंद राजस्थान के कई जिलों में प्रभावी रहा, लेकिन विभिन्न समाजों द्वारा विरोध और सद्बुद्धि यज्ञ ने इस मुद्दे पर एक नई दिशा प्रस्तुत की। राजस्थान के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में इस दिन के घटनाक्रम ने एक नया मोड़ लाया है, जिसमें विभिन्न समुदायों ने अपनी आवाज उठाई और सरकारों से संवैधानिक फैसले को लागू करने की मांग की।

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