दिल्ली कैंटः 9 साल की बच्ची के साथ हुई रेप की घटना क्या हुई राजनीति का शिकार ?

दिल्ली कैंटः 9 साल की बच्ची के साथ हुई रेप की घटना क्या हुई राजनीति का शिकार ?
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देश की राजधानी दिल्ली में कैंट इलाके के पास पुरानी नांगल गांव के श्मशान घाट में 1 अगस्त को रेप की घटना को अंजाम दिया जाता है. इस घटना में श्मशान घाट का पुजारी अपने तीन कर्मचारियों द्वारा एक नौ वर्षीय वाल्मीकि समाज की लड़की के साथ कथित तौर पर रेप कर हत्या कर देता है साथ ही उस बच्ची को जला दिया जाता है. वहीं दिल्ली पुलिस नाबालिग बच्ची की मां के बयान के आधार पर चार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करती है।
इस मामले में पीड़ित महिला का आरोप था कि रविवार 1 अगस्त को उनकी बेटी के साथ बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी गई और उनकी सहमति के बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। जब इस मामले में पीड़ित परिवार से बात की गई तो उन्होंने बताया की किस तरह श्मशान घाट का पुजारी उनकी बच्ची को लालच देकर अपने पास बुलाता था. पीड़ित महिला ने जब-जब बात की तो उन्होंने अपनी बेटी के लिए न्याय मांगा. उनका कहना था कि उनको हमेशा डर रहता था कि कहीं उनकी बेटी के साथ कुछ गलत ना हो जाए और इसी डर से वह अपनी बेटी को कभी अकेला नहीं छोड़ती थी साथ ही उन्होंने अपनी बेटी को कभी स्कूल भी नहीं जाने दिया. पीड़िता के मन में यह डर काफी पहले से था और इस बात का जिक्र वह कई बार कर चुकी थी.
वहीं उस बच्ची के लिए जो लोग धरना दे रहे थे उनमें से कुछ लोग राजनीति का शिकार हो गए. बच्ची के लिए न्याय मांगते-मांगते अपनी राजनीति रोटियां सेकन में लग गए. राजनीति ऐसी कि हर कोई मंच पर चढ़ना चाहता हो, मंच पर चढ़ कर मंच पर लगे पोस्टर के साथ फोटो खिचवाता और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उसको शेयर करते और इस तरह दिलवाते उस 9 साल की वाल्मीकि समाज की बच्ची को न्याय. इस दौरान आरोप और प्रत्यारोप का दौर जोरों पर था. कांग्रेस बीजेपी को बीजेपी केजरीवाल को और केजरीवाल मोदी सरकार को दोष दे रहे थे.
राजनीतिक लोग आए पीड़ित परिवार से मिले उनकी बात सुनी और आर्थिक सहायता दी, लेकिन सवाल ये कि क्या आर्थिक सहायता से बच्ची को न्याय मिल पाएगा. देखा यही जाता है कि पीड़ित परिवार को कुछ आर्थिक मदद देकर उनके दुख को दूर करने की कोशिश की जाती है लेकिन ये आर्थिक मदद उनके दुख को कैसे दूर कर सकती है जबकि पीड़ित परिवार बस न्याय की मांग करता है.
बात हम आंकड़ों की करें तो भारत में बलात्कार महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे आम अपराध माना जाता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2019 की सालना रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में बलात्कार के 32 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, यानी हर रोज औसतन 88 मामले दर्ज हुए. एनसीआरबी के मुताबिक, 2018 में 51.9 फीसदी दुष्कर्म पीड़िताएं (17,636) 18 से 30 आयुवर्ग की थीं, 18 प्रतिशत (6,108) की उम्र 30 से ज्यादा और 45 वर्ष से कम थी, 2.1 फीसद (727) की उम्र 45 से ज्यादा और 60 वर्ष से कम थी जबकि 0.2 प्रतिशत (73) की उम्र 60 साल से ज्यादा थी. इन आंकड़ों को देख आप समझ सकते हैं कि भारत में महिलाओं की स्थिति क्या है.

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