फॉलोअप: 9 दिन बाद मिले दलित मछुआरों के शव, ऐसे हुआ था हादसा..

31 जनवरी को टोंक जिले के बीसलपुर बांध में लापता हो गए थे मछुआरे। देवली में किया गया अंतिम संस्कार।
टोंक बीसलपुर बांध में मिले लापता मछुआरों के शव। देवली में हुआ अंतिम संस्कार
टोंक बीसलपुर बांध में मिले लापता मछुआरों के शव। देवली में हुआ अंतिम संस्कार
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जयपुर। राजस्थान के टोंक जिले के बीसलपुर बांध में 31 जनवरी की शाम लापता हुए तीनों दलित मछुआरों के शव गुरुवार दसवें दिन मिल गए। प्रारम्भिक पड़ताल में पुलिस ने तीनों की मौत का कारण पानी में डूबना माना है।

तीनों शव मिलने के बाद पुलिस ने रेस्क्यू रोक दिया, लेकिन अभी तक नाव नहीं मिलने से तीनों मछुआरों की मौत पहेली बनी है, लेकिन पुलिस तूफानी हवाओं के कारण नाव पलटने के बाद तीनों की डूबने से मौत मान रही है।

मामले की जांच कर रहे हेड कांस्टेबल ओमप्रकाश यादव ने द मूकनायक को बताया कि पप्पू साहनी (26) का शव 8 फरवरी बुधवार सुबह 10 बजे ठेकेदार के मछली कांटे की तरफ तैरता नजर आया था। इसके बाद गुरुवार 9 फरवरी सुबह 6:30 बजे सीताराम सहानी (60) का शव पानी मे तैरता दिखा। अभी सीताराम के शव को पानी से बाहर निकाल ही रहे थे कि विनोद साहनी (52) का शव भी थोड़ी दूरी पर पानी मे नजर आ गया।

लापता मछुआरों के शव निकालती बचाव टीम
लापता मछुआरों के शव निकालती बचाव टीम

गांव तक शव ले जाने के नहीं थे पैसे, पुलिस ने जन सहयोग से करवाया अंतिम संस्कार

बुधवार 8 फरवरी को जवान बेटे का शव देख बुजुर्ग जय नारायण साहनी फफक पड़ा। अन्य साथी मजदूरों के भी आंसू छलक गए। बेटे का शव सामने होने के बावजूद इस पिता की निगाहें बीसलपुर बांध के पानी में कुछ ढूंढ रही थी। बुधवार शाम तक भी पप्पू साहनी के दो साथियों के शव मिले थे।

उधर पुलिस ने शव के पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। अब जय नारायण के पास बेटे का शव गांव रसलपुर थाना पटोरी जिला समस्तीपुर (बिहार) ले जाने के पैसे भी नहीं थे। ऐसे में पिता देवली में ही बेटे का अंतिम संस्कार करना चाहता था, लेकिन अंतिम संस्कार का खर्च भी इस बेबस पिता की जेब में नहीं था।

हेड कांस्टेबल ओमप्रकाश यादव ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि, उन्होंने पीड़ित पिता की मजबूरी समझते हुए पूरे मामले से वृत्ताधिकारी सुरेश कुमार को अवगत कराया। इसके बाद पुलिस ने जनसहयोग से पप्पू साहनी की देवली में ही अंतिम संस्कार की क्रियाएं पूरी करवाई।

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पिता के लापता होने की खबर गांव से मिली तो उदयपुर से आया लालदेव

सीताराम साहनी टोंक के बीसलपुर में मछली पकड़ रहा था, जबकि बेटा लालदेव साहनी उदयपुर में। लालदेव साहनी ने द मूकनायक को बताया कि 31 जनवरी को पिता के लापता होने की खबर गांव से मिली तो वह उदयपुर से यहां चला आया। तब से पुलिस प्रशासन व साथी मछुआरों के साथ पिता व उसके साथियों की तलाश कर रहा था। गुरुवार सुबह पिता व उसके साथी विनोद का शव पानी मे तैरते मिले। पुलिस सहयोग से दोनों का देवली में ही अंतिम संस्कार करवा दिया। लालदेव कहते हैं कि पिता के शव को गांव ले जाना मुश्किल था। इसलिए यहीं अंतिम संस्कार किया गया।

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तीनों के आश्रित नाबालिग बच्चों का पालनहार कौन होगा?

लालदेव कहते हैं की ठेकेदार के यहां मछली पकड़ने के दौरान हादसे में जान गंवाने वाले पप्पू की पत्नी व बच्चे गांव में है। उनके 6 बच्चे हैं। सबसे बड़ी बेटी 12 वर्ष की है। सबसे छोटा बेटा डेढ़ वर्ष का है। पप्पू के बाद परिवार का पालन पोषण करने वाला कोई नहीं है। जिस ठेकेदार के यहां मछली पकड़ कर परिवार का पालन पोषण कर रहा था। उससे कोई उम्मीद नहीं है।

सीताराम के भी दो नाबालिग बेटे हैं। नाबालिग बेटों का पालनहार कोई नहीं है। वह खुद व उसके बालिग भाई अपने अपने बच्चों के साथ जीवनयापन कर रहे हैं। विनोद के भी पत्नी व नाबालिग बच्चे हैं। इनका नाबालिग बच्चों व मृतकों की विधवा पत्नियों के पालनहार कौन होगा। यह एक बड़ा सवाल है।

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5 से 10 रुपये किलो मिलती है मजदूरी

मछली पकड़ने का काम करने वाले लालदेव साहनी ने द मूकनायक को बताया कि वह अनुसूचित जाति से आते हैं। गांव व परिवार के लोग मछली पकड़कर परिवार की आजीविका चलाते हैं। मछली पकड़ने की एवज में ठेकेदार उन्हें 5 से 10 रुपए किलो से मजदूरी देता है। इस काम मे जान के रिश्क के साथ एक व्यक्ति को दिनभर मेहनत करने के बाद तीन से चार सौ रुपये मिल जाते हैं।

लालदेव कहते हैं उनके पिता भी टोंक जिले के बीसलपुर बांध में मछली पकड़ने का काम कर रहे थे। 31 जनवरी की शाम अपने दो साथियों के साथ वापस टापू पर जा रहे थे। मौसम खराब होने से तेज हवाएं भी चल रही थी। लालदेव ने भी हवा से नाव पलटने के कारण हादसा होने की आशंका जताई है।

आपको बता दें कि, राजस्थान के टोंक जिले के बीसलपुर बांध में 31 जनवरी की शाम 4 बजे किनारे पर लगे ठेकेदार के कांटे ओर मछली तूलाई के बाद सीताराम सहानी (60), विनोद साहनी (52) व पप्पू सहानी (26) निवासी बिहार नाव में सवार होकर वापस टापू के लिए निकले थे। रास्ते में हादसा होने के कारण नाव डूब गई। इससे तीनों साथियों की मौत हो गई।

वृत्ताधिकारी देवली सुरेश कुमार ने द मूकनायक से बताया, "तीनों के शव मिलने की पुष्टि हो चुकी है। प्रारम्भिक पड़ताल व मृतकों के साथी मछुआरों तथा परिजनों से पूछताछ में बताया कि 29 व 30 जनवरी को यहां बारिश हुई थी। 31 जनवरी को भी तेज हवाएं चल रही थी। तीनों मृतक शाम को नाव पर वापस टापू पर जाने के लिए निकले थे। अंधेरा होने से दिशा भटक गए। सम्भवतः तेज हवा में नाव पलट गई। तीनों तैरना जानते थे, लेकिन अंधेरे में किनारा नहीं मिलने से तीनों की डूबने से मौत हो गई। उन्होंने कहा कि पानी ठंडा होने से शवों को ऊपर आने में समय लग गया। जन सहयोग से तीनों का अंतिम संस्कार करवा दिया गया है।"

10 दिन तक तीन टीमों के साथ दो दर्जन से अधिक मछुआरे भी कर रहे थे तलाश

बीसलपुर बांध में तीन लोगों के गायब होने की सूचना के बाद 4 जनवरी से ही देवली पुलिस थाने के 4 गोताखोर, अजमेर एसडीआरएफ के 10 जवान व टोंक सिविल डिफेंस के 6 गोताखोर निरंतर रेस्क्यू करते रहे। पुलिस ने पानी मे तलाशी के लिए ड्रोन का भी सहारा लिया, लेकिन सफलता नहीं मिली। 8 व 9 फरवरी को शव स्वतः ही तैरकर ऊपर आए। तब सभी ने राहत की सांस ली। इस दौरान दो दर्जन से अधिक मछुआरे भी निजी नावों से बांध के पानी मे रात दिन अपनों को तलाशते रहे थे।

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