हरिद्वार: गंगा में विसर्जित अस्थियों की राख से दो वक्त की रोटी खोजते हैं दलित!

हरिद्वार में हरि की पौड़ी के घाटों के पास गंगा नदी में पैसे व कीमती धातुओं को खोजते दलित समुदाय के लोग [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
हरिद्वार में हरि की पौड़ी के घाटों के पास गंगा नदी में पैसे व कीमती धातुओं को खोजते दलित समुदाय के लोग [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
Published on

हरिद्वार में हरि की पौड़ी पर दीपावली के बाद पड़ने वाले गंगा स्नान की सफाई के लिए नदी का पानी रोक दिया जाता है। करीब दो सप्ताह तक महादलित समुदाय के लोग अपनी जीविका चलाने के लिए गंगा नदी चैनल में अस्थियों के साथ विसर्जित किए गए सोना-चांदी, सिक्के व अन्य सामान एकत्र करते हैं।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 107 पायदान पर आए भारत में गरीबी और भुखमरी की स्थिति को भले ही केन्द्र सरकार ने मानने से इंकार कर दिया हो, लेकिन परिस्थिति अनुकूल नहीं हो और दो जून की रोटी नहीं मिले तो लोग पेट पालने के लिए कुछ ऐसा करते हैं जो कहने-सुनने व देखने में अजीब लगता है। देवभूमि उत्तराखण्ड की धार्मिक नगरी हरिद्वार में 'हरि की पौड़ी' पर सफाई के लिए गंगा नदी का पानी रोकने पर ऐसे ही नजारा दिखाई देता है। यहां कुछ महादलित परिवार आत्मा की शांति के लिए बहाई गईं दिवंगतों की अस्थियों में रोजी-रोटी तलाशते हैं। कड़ी मेहनत के बाद मिले सोने-चांदी के टुकड़े व सिक्के ही इनकी कमाई हैं।

गंगा नदी की तलहटी में मिले सिक्कों को साफ करता दलित युवक [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
गंगा नदी की तलहटी में मिले सिक्कों को साफ करता दलित युवक [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

दशहरा के बाद लगभग दो सप्ताह हरि की पौड़ी पर गंगा नदी का पानी दीपावली के बाद पड़ने वाले गंगा स्नान की सफाई के लिए रोक दिया जाता है। इन दिनों में महादलित समुदाय के लोग अस्थियों से सामान इकट्ठा करते आसानी से देखे जा सकते हैं।

जानिए कैसे पैसा इकट्ठा करते हैं लोग?

उत्तराखंड का हरिद्वार और वहां मौजूद गंगा घाटों को हिन्दू संस्कृति सभ्यता और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पवित्र और मोक्ष के स्थान के रूप में माना गया है। हिन्दू धर्म में मौत के बाद हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार दाह-संस्कार के बाद अस्थियों को विसर्जित किया जाता है।
द मूकनायक संवाददाता सत्यप्रकाश भारती ने उन घाटों पर लोगों के रहन-सहन, धार्मिक आस्था व अर्थतंत्र को समझने की कोशिश की। संवाददाता के अनुसार, "हरि की पौड़ी घाट पर मैंने देखा कि कुछ बच्चे, महिलाएं व पुरुष गंगा नदी की तलहटी में छिछले पानी में हाथ में छोटा सा कटोरा लिए तल से राख-बालू और कंकड़ को निकालकर उसमें कुछ खोजते हुए नजर आए। मैंने उनमें से एक व्यक्ति के पास जाकर पूछा- भइया आप नदी तल में बालू कंकड़ और हड्डियों में क्या ढूंढ रहे हो?"

अनिल वर्मा नाम के व्यक्ति जो दलित समाज से आते हैं, ने बताया, "हरि की पौड़ी के घाटों की सफाई के लिए दशहरे के बाद गंगा नदी के पानी को रोक दिया जाता है। दीपावली के बाद इसे फिर से चालू कर दिया जाता है। अभी चैनल 15 दिन के लिए बन्द किया गया है। ऐसा हर साल होता है। ऐसे में हम लोग इन दिनों में नदी के तल में राख और मिट्टी में सोना-चांदी व अन्य कीमती सामान खोजते हैं जो अस्थि विसर्जन के दौरान गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया जाता हैं।"

गंगा नदी की तलहटी में कीमती चीजों व सिक्कों की तलाश करता दलित युवक [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
गंगा नदी की तलहटी में कीमती चीजों व सिक्कों की तलाश करता दलित युवक [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

वर्मा ने आगे बताया, "मैं इसमें सोना-चांदी खोज रहा हूं। अस्थियों के साथ इन्हें पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। इसमें कुछ लोग रुपये भी डालते हैं। इन सब सामान को इकट्ठा करने पर खाने भर का पैसा इकट्ठा कर लेता हूँ।"

कितना कमा लेते हैं? इस सवाल पर वर्मा हंसते हुए कहते हैं, "भइया… कहां इतना सोना निकलता है। किस्मत अच्छी रही तो मिल जाता है। उसकी कीमत भी एक दो हजार ही मिलती है। बाकी चांदी की बिछिया, सिक्के और लोहा, पीतल और स्टील का सामान निकलता है, जिसे बेंचकर चार-पांच सौ रुपए मिल जाते हैं।"

गंगा नदी की तलहटी में मिले सिक्कों को दिखती महिला [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]
गंगा नदी की तलहटी में मिले सिक्कों को दिखती महिला [फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक]

हजारों की संख्या में सोना-चांदी ढूढने पहुंचते हैं लोग

वर्मा ने बताया, "जब सफाई के लिए नदी का पानी 15 दिन के लिए रोका जाता है तब हजारों की संख्या में लोग यहां सोना-चांदी और अन्य चीजें खोजने विभिन्न राज्य और जिले से आते हैं। इनमें यूपी, बिहार व राजस्थान से ज्यादा लोग आते हैं। इनमें वाल्मीकि, रेगर व जाटव समाज के लोग होते हैं जो दलित समाज से आते हैं। कुछ अन्य जातियों के लोग भी होते हैं, लेकिन इनकी संख्या नहीं के बराबर होती है।"

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com