उत्तर प्रदेश। यूपी के पीलीभीत में दलित किसान की बेटी को अगवा कर लिया गया। इसकी सूचना लेकर जब किसान थाने पहुंचा तो कोई सुनवाई नहीं हुई। परिजनों का आरोप है कि बेटी के साथ दरिंदगी होता रहा लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। इस दौरान पिता पुलिस वालों के आगे कार्रवाई करने के लिए हाथ जोड़ता रहा लेकिन पुलिसकर्मियों का दिल नहीं पसीजा।
हालांकि बच्ची को उसके फूफा अगले दिन घर छोड़ गए थे। आरोप है कि पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने के कारण आरोपी लगातार किसान को बेइज्जत कर रहे थे और उस पर दबाव बना रहे थे। इससे आहात होकर किसान ने फांसी लगा ली। इस मामले में पुलिस ने किसान की मौत के बाद चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही कार्रवाई न करने के आरोप में थानेदार को सस्पेंड कर जांच बैठा दी गई है।
यूपी के पीलीभीत निवासी दलित किसान के बड़े बेटे ने बताया, "बीते 9 मई 2023 की मेरे पिता (45) और मेरी बहन (14) खेत में काम कर रहे थे। इस दौरान मेरे पिता ने बहन से घर जाकर पानी लाने को कहा। वह घर गई लेकिन शाम तक नहीं लौटी। पिता ने सोचा घर का काम करने लगी होगी। लेकिन जब पिता घर आये तो वह घर पर नहीं मिली। इसके बाद मेरे पिता ने उसे पूरे गांव में ढूढ़ना शुरू कर दिया। मैं भी काम से लौट आया। काफी देर तक खोजने के बाद जब वह नहीं मिली तब हम मदद मांगने थाने गए।"
किसान के बेटे ने आरोप लगाते हुए कहा, "मेरी छोटी बहन को सुबह फूफा लेकर आये, उसने बताया कि गांव के तीन लड़के उसे लेकर गए थे। जिसके बाद हम दोनों मामले में शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस के पास गए। लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार करते हुए मामले में समझौता करने का दवाब बनाया।"
परिजन का आरोप है कि "एसएचओ मुकेश शुक्ला ने पीड़ित और आरोपी पक्ष के बीच रिश्तेदारों की मौजूदगी में समझौते का दवाब बनाया था।"
किसान के बेटे ने बताया, "पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टा मामले में सुलह के लिए दबाव बना रही थी। इन सबके कारण आरोपी लगातार मेरे पिता को गांव में बेइज्जत करने की धमकी दे रहे थे। यही कारण था पिता कई दिन से खाना नहीं खा रहे थे। वह उदास रहने लगे थे। 17 मई को मेरे पिता कहीं चले गए थे। देर शाम हमें पुलिस ने सूचना दी कि आपके पिता ने फांसी लगा ली है। उन्हें सीएचसी लाया गया है। वहां जाकर पता चला उन्होंने घर से लगभग 7 किमी दूर जाकर फांसी लगाई थी। इन सबके लिए पुलिस वाले जिम्मेदार है।"
इस मामले में पुलिस ने किसान की आत्महत्या के बाद चार आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो की धारा में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं थानेदार को कार्रवाई न करने पर सस्पेंड कर दिया है। पुलिस के रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि पुलिस ने यदि ऐसी लापरवाही की है तो पुलिसवालों के खिलाफ भी आईपीसी की धारा 166ए के तहत केस दर्ज होना चाहिए।
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