मध्यप्रदेश: जय भीम गाना बजाने पर दलित युवक की पिटाई, 7 लोगों पर केस दर्ज!

पीड़ित दलित युवक के साथ समुदाय के लोग पहुंचे थाने
पीड़ित दलित युवक के साथ समुदाय के लोग पहुंचे थानेफोटो- सतीश भारतीय
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भोपाल। रतलाम जिले के जावरा तहसील में आने वाले गांव रेवास से एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति से मारपीट की घटना सामने आई है। यह वारदात के पीछे की वजह बताई जा रहा ही है कि, राकेश नामक व्यक्ति ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर से सरोकार रखने वाला गाना चलाया।

मारपीट की इस घटना को लेकर पीड़ित राकेश और उनके साथियों से द मूकनायक ने यह जानने के लिए बातचीत का सिलसिला शुरू किया कि, यह घटना कैसे घटी? और घटना के प्रति वे क्या महसूस कर रहें, उनकी प्रतिक्रियाएं क्या है?

राकेश ने बताया कि, ‘‘मेरा टैक्टर चल रहा था और टैक्टर में लगे टेप में यह गाना बज रहा था, ‘मैं छोरा च***र का’ इसको लेकर गांव रेवास के जितेंद्र सिंह ठाकुर सहित अन्य लोगों ने मेरा गलत वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम स्टेटस पर डाला। बाद में हमको फोन लगाकर गांव में बुलाया। हमारे पहुंचने पर उन्होनें कहा यह गाना क्यों चलाया। इस पर गाली-गलौच करते हुए, कहा तुम्हारा आरक्षण हट गया है। तुम लोगों को मारेगें। टांगे काट डालेगें। 'जातिवाद के खिलाफ तुम्हारा भीम क्या कर लेगा' मेरी कालर पकड़ कर दो-तीन थप्पड़ भी मुझे मारे गये।"

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राकेश के साथ यह अभद्रता यहीं नहीं थमीं। वह आगे बताते हैं कि, ‘‘ मेरे समाज से मेरे साथ में खड़े कच्छूलाल, घनश्याम सहित अन्य साथियों को भी गंदी गाली दी गयी। वहीं, महापुरुष डॉ. भीमराव आंबेडर को इतनी गंदी गालियां दी गयी कि मुझे बताने में बहुत शर्म आ रही है।"

राकेश ने आगे बताया,‘‘हमने जब मामले की सरसी चौकी में एफआईआर की, तब पुलिस उस दिन 3-4 चार आरोपियों को ले गयी थी। फिर आरोपियों को रात में छोड़ दिया था। मगर आरोपी सुबह हमें नजर नहीं आये। उसके बाद हमें आरोपियों की जानकारी नहीं है।’’

आगे घटना के बारे में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले मनीराम बताते हैं, ‘‘जितेन्द्र सिंह पिता कालू सिंह ने हमें बुलाकर कहा 'च***र हो तुम, तुम्हारी क्या औकात है, हमारे सामने खडे़ होने की औकात नहीं है।' जब आरक्षण को लेकर 8 तारीख को कर्णी सेना का आंदोलन था। तब उसका हम लोगों ने अपने मोबाईल पर स्टेटस डाल रखा था। इस स्थिति में (आरोपियोें ने) स्टेटस डालने के लिए हमें रोका था।’’

मनीराम आगे बोलते हैं कि, ‘‘केवल जाति की वजह हमसे यह कहा जाता है कि, ‘तुम लोग च***र समाज के होकर हमारे सिर पर बैठ गये हो’ हमारे एरिया में छुआछूत इतना है कि, गांव में उच्च और निम्न जाति एक साथ खान-पान नहीं कर सकती। हमें मंदिर नहीं जाने देते हैं। कहते हैं कि तुम नीची कास्ट के हो, इसलिए मंदिर में जाने का अधिकार नहीं।’’

वहीं के निवासी जगदीश द मूकनायक को बताते हैं, ‘‘गांव में हमें ‘जय भीम’ का नारा लगाने से रोका जाता है। जय भीम का हम स्टेट्स लागाते हैं। तब उच्च जाति के लोग कहते हैं कि जय भीम का स्टेटस क्यों लगाया।’’

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मामले पर नागेश्वर अपना दर्द यूं बयां करते हैं, ‘‘यहां जातिवाद की वजह से माहौल मरने-मारने जैसा है। राजपूत समाज वाले हम से यह कहते हैं कि, ‘बाबा साहब आंबेडकर का नाम मत लो, उनके झंडे घर पर मत लगाओ।‘ हमको डराया-धमकाया भी जाता है कि संत रविदास जयंती पर जुलूस मत निकालो। गांव में तुम गांड़ी (मोटरसाइकिल) पर मत घूमों। जुलूस में घोड़ी पर मत बैठो।’’

नागेश्वर आगे द मूकनायक को बताते हैं कि, "गांव में यह सब नियम के हिसाब से चलता है। जब हम इस सबका विरोध करते हैं, तब उच्च जाति के लोग लकड़ी (लाठियां) लेकर हमें मारने आते हैं।"

द मूकनायक ने नागेश्वर के सामने यह सवाल रखा कि, आप लोग क्या उच्च जाति के लोगों को यह नहीं समझाते कि हमारे साथ आप लोग जो बर्ताव कर रहे है वह गलत (संवैधानिक मूल्यों, मानवाधिकार, प्राकृतिक अधिकार के खिलाफ) है? तब नागेश्वर का उत्तर आता है कि, "हम यह सब समझाते हैं। लेकिन वो लोग (उच्च जाति के लोग) हमारी बात समझते ही नहीं और मारने के लिए तैयार हो जाते हैं।"

राकेश के साथ की गयी मारपीट और अभद्रता को लेकर उन्हानें पुलिस चौकी सरसी में जो प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराई है। उस रिपोर्ट की प्रति राकेश ने द मूकनायक के साथ भी साझा की।

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हालांकि, पुलिस चौकी सरसी में की इस प्रथम सूचना रिपोर्ट पर धारा 323, 294, 506, 34 और एसटी/एससी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

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