उत्तर प्रदेश। यूपी में बाराबंकी के फतेहपुर तहसील के एक गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। जिससे गांव के लगभग 25 घर अभी भी अंधेरे में जी रहे हैं। इसी गांव में रहने वाले एक दलित व्यक्ति ने ब्रेड फैक्ट्री भी लगा रखी है। इस फैक्ट्री में उसने गांव के ही 15 लोगों को नौकरी देकर उनके परिवार का पेट भरने में मदद करने का काम किया है। लेकिन लाइट ना होने के कारण उस व्यक्ति को रोजाना लगभग 3000 रुपए का डीजल लगाकर उत्पादन करना पड़ता है। उसने कई बार संबंधित विभाग को शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वह सीएम और जिलाधिकारी से भी कई बार शिकायत कर चुका है। यह हाल तब है जब उसकी पत्नी खुद उस क्षेत्र से बीडीसी है। हालांकि, इस मामले में जिलाधिकारी ने कार्रवाई करने की बात कही है।
यूपी के बाराबंकी में, फतेहपुर तहसील के निंदुरा ब्लाक के ग्रामसभा दीनपनाह में बिनवापुर गांव में लगभग 25 घर है। इनमें सबसे ज्यादा आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है। इसी गांव में राम सिंह रहते हैं। राम सिंह भी अनुसूचित जाति के व्यक्ति हैं। रमेश ने गांव में ब्रेड फैक्ट्री लगाकर गांव के ही लोगों रोजगार भी दिया है। लेकिन गांव में लाईट न होने के कारण उत्पादन में अधिक लागत आती है। उन्होंने बताया कि, रोजाना लगभग 3 हजार का डीजल जलाकर उत्पादन करना पड़ता है।
राम सिंह बताते हैं, "मेरा पढ़ने में मन नहीं लगता था। मेरे पिता मुझपर नाराज होते थे। कई बार इसे लेकर पिटाई भी हुई। परिवार बहुत बड़ा था। मेरी 7 बहनें और चार भाई थे। इसलिए आर्थिक रूप से समस्याएं होती थीं। मेरे पिता एक किसान थे। पिता ने पढ़ाई को लेकर एक दिन मेरी बहुत पिटाई की। मैं घर छोड़कर भाग गया। मेरी उम्र उस समय 14 साल थी। मैं लखनऊ के ऐशबाग में अपने पड़े भाई के साथ रहकर काम करने लगा। उस समय मुझे 300 रुपये महीना मिलता था।"
राम सिंह ने लगभग 5 साल उस फैक्ट्री में काम किया। राम सिंह बताते है, "फैक्ट्री में काम करके मुझे महसूस हुआ कि जब दूसरा व्यक्ति काम करके पैसे कमा सकता है तो मैं भी कर सकता हूँ। अगला व्यक्ति जब मालिक बन सकता है तो मैं भी बन सकता हूँ। इसी सोच के बाद मैंने किराए का मकान लेकर उसमें ब्रेड फैक्ट्री डाल दी।"
राम सिंह बताते हैं, "मैंने सआदतगंज में अपनी फैक्ट्री डाली थी। वह जगह 3 हजार रूपये किराए पर ली थी। उस स्थान पर बारिश में सबसे ज्यादा समस्या होती थी। पक्की छत नहीं थी। टीन की छत थी। बारिश में पानी टपकने लगता था। हमारे पास उस समय कच्ची भट्टियां होती थी। ज्यादा पैसा न होने के कारण हम मशीन नहीं खरीद पा रहे थे।"
"लगभग डेढ़ साल पहले मैंने अपने गांव में थोड़ी सी खेती की जमीन पर लोन लेकर यह फैक्ट्री लगाई है। इस फैक्ट्री में मैंने आधुनिक मशीनें भी लगाई है," राम सिंह ने बताया।
राम सिंह बताते हैं, "मेरे गांव में बिजली नहीं है। उत्पादन करने के लिए रोजाना लगभग 3000 रुपए का डीजल खर्च होता है। जनरेटर के जरिए बिजली पैदा करके हम उत्पादन करते हैं।"
राम सिंह की पत्नी मौजूदा समय में उस क्षेत्र से बीडीसी है। राम सिंह की पत्नी बताती है, "गांव में बिजली कनेक्शन के लिए कई बार लेटर लिखा गया। ब्लॉक ऑफिस में सेक्रेटरी तहसीलदार और जिलाधिकारी सभी को लेटर दिया गया लेकिन बिजली का कनेक्शन नहीं हो सका।"
इस पूरे मामले को लेकर जिलाधिकारी बाराबंकी अविनाश कुमार ने बताया, "द मूकनायक के जरिए मामला संज्ञान में आया है। संबंधित अधिकारी को दिशा निर्देश देकर इस गांव तक लाइट अवश्य पहुंचाई जाएगी।"
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