मोरबी- गुजरात के मोरबी जिले में एक दलित युवक को 15 दिन की बकाया सैलेरी मांगना भारी पड़ गया। आरोप है कि बकाया वेतन मांगने पर युवक को बन्धक बनाकर नग्न किया गया। मुंह मे जूता घुसाकर आरोपी युवकों ने पट्टे से पिटाई भी की। इस घटना में युवक की चमड़ी बुरी तरह उधड़ गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इस घटना के बाद पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुटी है।
गुजरात में मोरबी जिले के ए डिवीजन पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के अनुसार पीड़ित की पहचान नीलेश किशोरभाई दलसानिया के रूप में हुई है। वह 2 अक्टूबर तक रानीबा इंडस्ट्रीज के निर्यात विभाग में कार्यरत था। किसी कारण से 18 अक्टूबर को काम पर आने से इनकार कर दिया। इसके बाद कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन कंपनी से उसका वेतन नहीं आया तो उसने पहले अपनी सैलरी लेने के लिए फोन किया। जहां कार्यालय में आकर ले जाने को कहा गया। तब पीड़ित अपने पड़ोसी के साथ कंपनी पहुंचा। आरोप है कि वहां उसे बाल पकड़कर पीटा गया। उसके मुंह में जूता डाला गया। वहां पर मौजूद लोगों ने साथी को पीटकर भगा दिया। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि कमर में बांधी जाने वाली बेल्ट से उसकी पिटाई की गई।
पुलिस ने युवक को इलाज के लिए मोरबी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। नीलेश ने मोरबी ए डिवीजन पुलिस में विभूति पटेल उर्फ रानीबा समेत छह लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। अब पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ अत्याचार सहित आईपीसी की धारा 323, 504, 506 आदि के तहत अपराध दर्ज किया है। विभूति पटेल मामला दर्ज होने के बार फरार बताई जा रही है। सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो में विभूति पटेल लेडी डॉन के तौर खुद को प्रस्तुत करती रही हैं। इस घटना को लेकर अभी तक रानीबा इंडस्ट्रीज की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया समाने नहीं आई है।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए संसद को बताया कि गुजरात में 2015 के बाद से सात वर्षों में दलितों के खिलाफ अपराध के 9,178 मामले दर्ज किए गए। भारत सरकार द्वारा लोकसभा में उपलब्ध कराए गए एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार,गुजरात प्रदेश में 2015 में दलितों के खिलाफ अत्याचार के 1010 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से केवल 10 मामलों में दोषी ठहराया गया। 2016 में 1322 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें से केवल 22 लोगों को दोषी ठहराया गया। 2015 में सजा की दर केवल 3.2 प्रतिशत थी, लेकिन 2016 में यह बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गई। 2017 में, दलितों के खिलाफ अत्याचार की 1477 घटनाएं दर्ज की गईं, इसके बाद 2018 में 1426 मामले, 2019 में 1416 मामले, 2020 में 1326 मामले और 2021 में 1201 मामले दर्ज किए गए।
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