हरियाणा: पंचायत चुनाव में वोट नहीं देने पर दलित युवक का अपहरण कर बर्बरता से पिटाई

पांच आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज, पुलिस कर रही आरोपियों की तलाश
हरियाणा: पंचायत चुनाव में वोट नहीं देने पर दलित युवक का अपहरण कर बर्बरता से पिटाई
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हरियाणा। गुरुग्राम में उच्च जाति के व्यक्ति को दलित युवक द्वारा वोट नहीं देना महंगा पड़ गया। दलित युवक द्वारा पंचायत चुनाव में खड़े उच्च जाति के प्रत्याशी को वोट न देने पर प्रताड़ित किया गया। कथित तौर पर दलित युवक का अपहरण कर सुनसान स्थान पर ले जाकर बर्बरता से पिटाई की गई। आरोप है कि युवक को पिस्टल दिखाकर जान से मारने की धमकी दी गई। पिटाई के बाद युवक की हालत गम्भीर बनी हुई है। उसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। पुलिस ने इस मामले में पीड़ित परिजन की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

हरियाणा में गुरुग्राम के बिलासपुर क्षेत्र में राठीवास गांव पड़ता है। इसी गांव में पीड़ित दलित व्यक्ति रहता है। घटना 28 मई 2023 के रात करीब 10 बजे की है। पुलिस को दी तहरीर में दलित युवक ने बताया है कि गांव के ही रहने वाले मनीष और मोनू रात करीब 10 बजे गांव के हनुमान मंदिर के समीप उसके पास आए। उन्होंने उसे कहा कि राठीवास में सरपंच का चुनाव लड़ चुके संजीत राठी ने उसे अपने घर बुलाया है।

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पीड़ित ने बताया, "मैंने उनके साथ जाने से इनकार कर दिया, लेकिन वे जबरन मुझे राठी के घर ले गए, जहां दीपक और कालिया भी मौजूद थे। राठी और अन्य लोगों ने मुझे एक कमरे में बंद कर दिया और लाठियों से मेरी पिटाई की। उन्होंने मुझे जान से मारने की भी धमकी दी और जातिवादी टिप्पणियां कीं।"

पुलिस को की गई शिकायत के अनुसार, पीड़ित को पिस्तौल का डर दिखाकर दीपक ने पूछा कि उसने सरपंच चुनाव में राठी को वोट क्यों नहीं दिया। जब पीड़ित के माता-पिता राठी के घर पहुंचे तब उसे छोड़ा गया।

क्या कहते हैं जिम्मेदार?

इस मामले में बिलासपुर पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी राहुल देव ने कहा कि गत सोमवार को पुलिस ने बिलासपुर पुलिस थाने में पांच आरोपियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की। पांचों आरोपी रविवार रात से फरार हैं और पुलिस उन्हें पकड़ने का प्रयास कर रही है।

बढ़ रहे दलितों व आदिवासियों पर अत्याचार के आंकड़े

भारत में साल 2018 में दलितों के खिलाफ 42,793 आपराधिक मामले सामने आए थे। दो साल 2020 में बढ़ते बढ़ते 50 हजार पहुंच गए। वहीं आदिवासियों की बात करें तो उनके खिलाफ साल 2018 में 6,528 मामले सामने आए थे जो साल 2020 में बढ़कर 8,272 हो गए।

उत्तर प्रदेश और बिहार दलित उत्पीड़न में सबसे आगे है। साल 2018 की अगर बात करें तो उत्तर प्रदेश में 11,924 मामले दर्ज हुए थे जो साल 2019 में बढ़कर 11,829 और साल 2020 में 12,714 हो गए। वहीं बिहार में साल 2018 में 7,061 मामले सामने आए जो साल 2019 में कम होकर 6,544 पर पहुंचा, लेकिन साल 2020 में बढ़कर 7,368 पर पहुंच गया।

आदिवासियों के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश और राजस्थान में दर्ज हुए हैं। साल 2018 में आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले 1,868 थे तो साल 2019 में कम होकर 1,845 हुए लेकिन साल 2020 में बढ़कर ये आंकड़ा 2,401 पर जा पहुंचा। वहीं, राजस्थान में साल 2018 में 1,095 मामले दर्ज हुए तो साल 2019 में बढ़कर 1,797 मामले दर्ज हुए। साल 2020 में ये आंकड़ा कम होकर 1,878 पर पहुंच गया।

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