बिहार के औरंगाबाद जिले के देवकुंड क्षेत्र के एक गांव में होली की रात डीजे बजाने पर पुलिस ने दलित परिवार के बच्चों और महिलाओं की बेरहमी से पिटाई की। इस घटना के विरोध में गांव के लोगों का पुलिस प्रशासन के खिलाफ लगातार धरना जारी है।
बिहार में औरंगाबाद जिले के देवकुंड क्षेत्र में बनतारा गांव है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में 8 मार्च 2023 को होली का त्योहार मनाया जा रहा था। दलितों की बस्ती में डीजे लगाकर लोग नाच रहे थे। जानकारी के मुताबिक बनतारा थानाध्यक्ष सुबोध कुमार सिंह फोर्स लेकर गांव पहुंच गए थे। वह गांव में गश्त कर रहे थे। थानेदार पर आरोप है कि उन्होंने दलित समुदाय की महिलाओं, बच्चों के साथ मारपीट की थी। कुछ ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा भी लिख लिया था। इस घटना के खिलाफ सैकड़ों महिलाएं और पुरुष बनतारा गांव के देवी मंदिर के प्रांगण में अपने-अपने हाथों में तख्ती लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। इस दौरान लोगों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। धरना पर बैठे लोग थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग किये और ग्रामीणों के खिलाफ हुए मुकदमे को वापस करने की मांग भी की है।
सीपीआई के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने धरना में शामिल होकर आंदोलन का समर्थन किया। पीड़ितों ने कहा है कि यदि पुलिस का यही रवैया रहा तो वह सपरिवार गांव छोड़कर कहीं और चले जाएंगे। पीड़ित महिलाओं ने रोते-बिलखते हुए पुलिस की बर्बरता की दास्तां बयां की। कहा कि हम लोगों का कोई कसूर नहीं है। हम लोगों को बाल बच्चों समेत बेवजह बेरहमी से पीटा गया है। इसी वजह से वे देवकुंड थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई और फर्जी मुकदमा वापस लेने की मांग को लेकर गांव में ही बेमियादी धरना दे रहे हैं। इस मामले में उन्हें राहत नहीं मिली तो वह जिला मुख्यालय आकर भी धरना प्रदर्शन करेंगे और अंततः इंसाफ नहीं मिलने पर गांव छोड़कर दूर चले जाएंगे, जहां पुलिस का कोपभाजन नहीं बन सकें।
वहीं धरना का समर्थन कर रहे सीपीआई नेताओं-गोह के अंचल मंत्री सुरेश प्रसाद यादव, पूर्व जिला मंत्री जगनारायण सिंह विकल, कृष्णनंदन यादव एवं एलजेपीआर के प्रदेश सचिव विजय कुमार अकेला ने कहा कि देवकुंड थानाध्यक्ष सुबोध कुमार ने होली की रात गांव में पहुंचकर बनतारा गांव के लोगों पर जो अत्याचार किया है, वह गलत है। मामले में पुलिस ने मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए दलितों पर फर्जी मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने मासूम बच्चों और महिलाओं को बेरहमी से पीटा है। मामले में देवकुंड थानाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए और एसपी को मामले की उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए। साथ ही जितना जल्द हो सके फर्जी मुकदमा को वापस लेते हुए गांव में शांति अमन बहाल होना चाहिए। यहां के लोगों को न्याय मिलना चाहिए। आगे कहा कि बनतारा के लोगों पर जो पुलिसिया जुल्म ढाया गया है, वह कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है।
वहीं इस मामले में देवकुंड थानाध्यक्ष सुबोध कुमार ने कहा कि उन पर लगाए जा रहे सारे आरोप निराधार है। गांव में तेज और कर्कश आवाज वाला डीजे बजाया जा रहा था। इसी सूचना पर पुलिस होली के रात में गांव में गई थी। मना करने पर एक ग्रुप ने डीजे बजाना बंद कर दिया था। वहीं दूसरा ग्रुप डीजे बजाना बंद करने के बजाय पुलिस से उलझ पड़ा था। उनकी ओर से पुलिस पर हमला बोल दिया गया था। इसी कारण पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया था। इसी को तिल का ताड़ बनाया जा रहा है। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह जायज है और पुलिस किसी को भी परेशान नहीं कर रही है।
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