लखनऊ। यूपी के लखनऊ के आलमबाग में एक दलित महिला को उच्च जाति के लोग अपशकुनी और अछूत बोलते रहे। वहीं डायन बताकर पिटाई की और मोबइल भी तोड़ दिया । महिला ने थाने में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। महिला ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश के बाद दो महीने बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
जानिए क्या है पूरा मामला
यूपी के लखनऊ के आलमबाग क्षेत्र के भरतपुर में शोभा रहती हैं। शोभा अनुसूचित जाति की महिला है। शोभा ने बताया-"पड़ोस में रितु सिंह रहती है। वह आए दिन किसी न किसी बात को लेकर जातिसूचक शब्द कहती थी। हर समय हमपर दबाव बनाने की कोशिश करती रहती है।"
शोभा घटना का जिक्र करते हुए बताती है-" 10 अक्टूबर 2022 को शाम 6:30 बजे घर के लिए किराना का सामान लाने के लिए निकली थी। इन दौरान रितु सिंह घर के बाहर खड़ी थी। मुझे देखकर जातिसूचक गाली देने लगी औऱ बोली जब भी बाहर निकलती है देखकर अपशकुन होने लगता है। उसके साथ उसका पति उदय सिंह और बेटी अंजली भी मौजूद थी। इस बात का विरोध किया तो रितु की बेटी ने मेरा मोबाल छीनकर जमीन पर पटक दिया। वह पूरी तरह टूट गया। इसके बाद मेरी पिटाई की।"
पुलिस को सूचना दी, नहीं हुई कार्रवाई
शोभा बताती है-" बीते 30 सितम्बर को भी रितु सिंह ने परिवार सहित मेरे परिजन के साथ मारपीट और गाली-गलौज की थी। मैंने 112 पर पुलिस को शिकायत की थी। पुलिस की गाड़ी आई थी। पुलिस ने कोई कार्रवाई नही की। जब इसकी सुनवाई नहीं हुई तब इसकी शिकायत महिला आयोग,पुलिस के उच्चाधिकारियों सहित अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग को भी की थी।"
पुलिस ने कराया समझौता
पुलिसकर्मियों की एक टीम ने मुझे इस आश्वासन पर समझौता करने के लिए मजबूर किया कि आरोपी अपने कृत्य को नहीं दोहराएंगे, लेकिन उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला।
आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज
महिला ने कहा कि उसके पड़ोसियों ने उस पर हमला करना जारी रखा, लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया। उसने कहा, मैं पुलिस के पास गई, लेकिन चौकी प्रभारी मुझ पर चिल्लाया और मुझे सलाखों के पीछे डालने की धमकी दी। इसके बाद मैंने न्याय के लिए अदालत का रुख किया।
क्या बोले जिम्मेदार ?
इस मामले में एसएचओ आलमबाग एसएस दीवान ने कहा -"आरोपी के खिलाफ एसटी / एससी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।मामले की जांच की जा रही है।"
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