बात शुरू होती है झंड़ा फहराने को लेकर जो इतनी बढ़ जाती है कि चल जाती है लाठियां हो जाता है पत्थराव. जाटव महोल्ले में एक सरकारी जमीन है जहां पर बाबा साहेब आंबेडकर की मूर्ति लगी हुई है. उस जमीन पर जाटव समाज के कुछ लोग, महिलाएं और बच्चें 15 अगस्त के दिन झंड़ा फहराने जाते हैं लेकिन गुजर समाज का एक परिवार उनको झंडा फहराने से रोकता है. इस बात को लेकर जाटव समाज के लोग कई सवाल करते हैं जिसपर वह परिवार जातिसूचक शब्द बोलने लगता है साथ ही मारपीट पर उतारु हो जाता है. इसपर बात करने के लिए हमने उस पत्थराव में घायल एक महिला से बात की जिन्होंने बताया कि किस तरह ये मामला शुरू हुआ.