भोपाल। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बच्चों को स्कूल में मिलने वाले मिड-डे मील में जातिगत छुआछूत का मामला सामने आया है। बच्चों का आरोप है कि स्कूल में खाना बनाने वाली महिला उन्हें फेंककर रोटियां देती है। यह मामला छतरपुर जिले के बूंदौर गांव के दलित बस्ती के स्कूल का है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का आरोप है कि उनके साथ स्कूल में मिलने वाले मिड-डे मील में छुआछूत के चलते भेदभाव किया जाता है।
स्कूल में कक्षा 5वीं में पढ़ने वाले एक दलित छात्र के मुताबिक, उसे दूर से खाना दिया जाता है। रोटी थाली में न रखकर फेंक कर दी जाती है। छात्र का कहना है कि वह बच्चा जरूर है पर उसे सब समझ आता है। स्कूल में ही पढ़ने वाली एक और दलित बच्ची का कहना है कि स्कूल में खाना अच्छा नहीं बनता और जो खाना मिलता है, वह उसे फेंककर दिया जाता है। इस मामले में छात्रों का कहना है कि खाना फेंककर क्यों देते हैं? यह उन्हें खुद भी पता नहीं है। उनके साथ ऐसा क्यों किया जाता है?
इसके अलावा और भी कई बच्चों ने बताया कि उनके साथ छुआछूत का व्यवहार किया जाता है। रोटियां फेंककर दी जाती हैं। स्कूल में खाना बनाने वाली महिला हमेशा खाना फेंककर देती है। स्कूल में खाना बनाने वाली महिला एक ओबीसी समाज की व दूसरी सामान्य जाति की है। स्कूल में खाना बनाने वाली 2 महिलाएं हैं, जिनमें से एक महिला का नाम प्रेमवती सेन एवं दूसरी महिला का नाम जानकी गोस्वामी है। बच्चों का आरोप है कि उनके साथ इस तरह का व्यवहार इसलिए किया जाता है क्योंकि वह दलित जाति के हैं।
वहीं इस मामले में स्थानीय मीडिया में स्कूल के प्रधानाध्यापक मथुरा प्रसाद कौंदर ने इस बात को स्वीकारा कि बच्चे जो कह रहे हैं, वह सच ही कर रहे होंगे। "इस मामले में कई बार हमने खाना बनाने वाली महिलाओं से बात भी की है। इसके बाद भी शिकायत आ रही है।"
संबंधित मामले में डीपीसी आरपी लखेरा का कहना है कि, मामला बेहद गंभीर है। अगर बच्चे इस तरह का आरोप लगा रहे हैं तो मामले में जांच कराई जाएगी और सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले में तुरंत एक पत्र जारी किया गया। वहीं बीआरसी निरीक्षण के दौरान बच्चों के द्वारा मिली शिकायतों की पुष्टि करने के बाद बीआरसी से मध्यान भोजन के समूह का अनुबंध निरस्त कर दिया गया है।
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