बेंगलुरू: दलित कर्मचारी को मैनहोल साफ करने के लिए किया गया मजबूर, 3 लोगों पर केस दर्ज

Dalit employee forced to clean manhole
Dalit employee forced to clean manhole
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देश में दलित समुदाय के साथ दुर्यव्यहार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला बेंगलुरू से सामने आया है। बेंगलुरू के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में एक दलित कर्मचारी से जबरन मैनहोल साफ कराने का मामला सामने आया है। पीड़ित ने अपने साथ हुए इस व्यवहार के खिलाफ केस दर्ज कराया है, और अब इस मामले में 3 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

क्या है पूरा मामला

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, बेंगलुरू के एक अस्पताल में दलित कर्मचारी के साथ दुर्यव्यहार का मामला सामने आने के बाद 3 लोगों पर केस दर्ज किया गया है। इंदिरानगर में चिन्मय मिशन अस्पताल (सीएमएच) का ये मामला है। यहां के तीन कर्मचारियों ने अपने एक हाउसकीपिंग स्टाफ को परिसर में सीवर को मैन्युअल रूप से अनलॉग करने पर मजबूर किया।

पीड़ित का नाम दैवदीनम है। 53 साल के दैवदीनम दलित समुदाय की माला जाति से ताल्लुक रखते हैं और पिछले 21 साल से अस्पताल के स्थायी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे हैं। इसी बीच एक दिन अस्पताल के सुपरवाइजर ने उनको मैनहोल को साफ करने के लिए कहा।  हाउसकीपिंग विभाग में उनके सीनियर के द्वारा ऐसा करने के लिए कहने पर उन्होंने मैनहोल में काम करने से इनकार कर दिया था। उनके मना करने पर, उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी गई। नौकरी से निकालने की धमकी देकर उनको मजबूर किया गया।

मामले में कराई शिकायत

दैवदीनम खुद तो पुलिस के पास नहीं गए लेकिन कर्नाटक के एक सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। दैवदीनम की ओर से कर्नाटक समता सैनिक दल और समाज कल्याण विभाग में सहायक निदेशक मधुसूदन केएन की शिकायत के अनुसार इस मामले में कार्रवाई की गई थी। 15 दिसंबर को शिकायत दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में आरोपियों के नाम का उल्लेख किया गया था और बेंगलुरु के हलासुरु पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई। फिलहाल, हलासुरु पुलिस स्टेशन के एसीपी कुमार मामले की जांच कर रहे हैं।

दैवदीनम की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में उनके साथ हुई घटना का जिक्र है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने शारीरिक रूप से मैनहोल की सफाई से इनकार कर दिया, तो प्रबंधन ने कथित तौर पर कहा, "हाथ से मैला ढोना उसका कर्तव्य है"। जी हां प्रबंधन ने कहा कि हाथ से मैला ढोने का काम करना उसका कर्तव्य है। जोखिम भरा काम होने के बावजूद दैवदीनम को मैनहोल को खोलना पड़ा और सफाई करनी पड़ी।

पहले भी हो चुका है ऐसा बर्ताव

ऐसा बताया गया है कि ये पहली बार नहीं है जब पीड़ित दैवदीनम के साथ ऐसा बर्ताव किया गया हो। पहले भी वह इस तरह की घटनाओं से गुजर चुके हैं। पहले भी लोगों के कहने पर वो सीवर में उतर कर उसकी सफाई कर चुके हैं। एक बार एक सरकारी अधिकारी ने उन्हें ऐसा करते हुए देखा था और  चेतावनी के साथ छोड़ दिया था।

समता सैनिक दल की एक सामाजिक कार्यकर्ता कमला ने कहा, "दैवदीनम ने मैनहोल साफ करने के एक हफ्ते बाद 9 दिसंबर को हमसे संपर्क किया। उन्होंने शुरू में बताया था कि उन्होंने अपनी उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए काम करने से इनकार कर दिया था। इस उम्र में वह मैनहोल में जाकर अपनी सेहत को जोखिम में नहीं डाल सकते थे और ऐसा काम करते हुए कई लोगों की मौत हो गई, लेकिन उन्हें धमकी दी गई कि उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया जाएगा। जिस वजह से उन्होंने वो काम किया।"

देवदीनम के साथ अस्पताल के प्रबंधन की ओर से हमेशा बुरा बर्ताव किया जाता रहा है। उनके साथ काम करने वाले एक अन्य हाउसकीपिंग स्टाफ ने पुष्टि की कि दैवदीनम को हमेशा अस्पताल में शौचालयों की सफाई और कचरा साफ करने का ही काम सौंपा जाता रहा है।

मेडिकल फैसिलिटी से किया गया मना

पूर्व चिकित्सा तकनीशियन और सीएमएच कर्मचारी संघ के संयुक्त सचिव धनंजय ने कहा कि अस्पताल के संचालन में पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने अस्पताल के दोहरे रवैये की पोल खोलते हुए कहा कि "हाथ से मैला ढोने के लिए मजबूर होने के बाद देवदीनम को सांस लेने में तकलीफ हुई और उन्होंने सीएमएच में इलाज की मांग की। लेकिन हमने सुना है कि चिकित्सा उपचार के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था।"

दर्ज हुआ केस

आपको बता दें कि, फिलहाल इस मामले में पुलिस ने अस्पताल प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई की है। देवदीनम के द्वारा दर्ज कराए गए मामले में अस्पताल के हाउसकीपिंग सुपरवाइजर डी. राजा, गिल्बर्ट और प्रशासक पर केस दर्ज कर लिया गया है। इनपर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 की धारा 3(1)(जे) और हाथ से मैला ढोने और पुर्नवास अधिनियम -2013 के निषेध की धारा 7,8,9 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

फिलहाल अस्पताल की ओर से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

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