कुशीनगर। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं जिसकी तैयारी जोरों-शोरों से चल रही है। प्रदेश को नबंर एक बनाने के वादे हो रहे हैं। बहु-बेटियों को इस बार चुनावी वादों में पहली जगह दी गई है लेकिन उनकी रक्षा करने में सरकार अभी भी नाकाम है। अब एक बार फिर से सवर्णों द्वारा एक दलित समुदाय की लड़की से मारपीट की गई है। सिर्फ मारपीट ही नहीं उसके साथ कथित रूप से छेड़छाड़ की जाती है, उसके कपड़े तक फाड़ दिए जाते हैं लेकिन जब वह पुलिस के पास न्याय के लिए पहुंचती है तो वहां भी उसके साथ छल होता है।
क्या है पूरा मामला
पूरा मामला उत्तर प्रदेश के कुशीनगर का है। कुशीनगर के सपहा नौकाटोला की एक दलित लड़की के साथ गांव के ही कुछ सवर्ण लोगों ने मारपीट की। इस लड़की का नाम अलका रावत अग्निहोत्री है। ये मिशन गायिका है जो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के विचारों को गाने के जरिए गाकर लोगों को प्रेरित करती है।
द मूकनायक से अलका ने कहती हैं, "ये मामला 28 दिसंबर का है। मैं और मेरी मां हम दो लोग घर पर अकेले थे। उसी समय करीब 9 बजे गुंडे तूफानी चौहान, कन्हैया राय और उसका बेटा वहां आए। उनके साथ 25 गुंडे थे। गुंडो ने जमीन विवाद को लेकर मेरी मां को मारा शुरु कर दिया। उन लोगों ने मेरी मां को बहुत बुरी तरह से मारा और मैनें वीडियो बनाना शुरु कर दिया"
अलका ने बताया, "इन गुंडो ने मेरी मां को बहुत मारा। मैंने जब वीडियो बनाना शुरु किया तो उन्होंने मेरा फोन तोड़ दिया। उसके बाद उन्होंने मुझे कमरे में ले जाने की बात बोली। वो मुझे कमरे में ले गए और मेरे साथ छेड़खानी की। मेरे कपड़े फाड़ दिए। मुझे वो उठा कर ले गए और मेरे साथ छेड़छाड़ की। मेरे शरीर पर गंभीर चोटों के निशान हैं।"
पुलिस ने किया गलत व्यवहार
आगे अलका रावत ने बताया, "मै चमार हूं इसलिए पुलिस वालों ने भी हमारे साथ गलत व्यवहार किया। कुशीनगर का तहसील कसया है और जब हम थाने पहुंचे तो थाना अध्यक्ष हमारे ऊपर चिल्लाने लगे। थाना अध्यक्ष ने कहा कि मेरे सिर पर बैठेगो क्या? उधर जाकर बैठो। मैं और मेरी मां वहां जाकर बैठ गए। हमारे साथ कोई था नहीं और मुझे उस वक्त कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैनें उन्हें सब बताया तो पुलिस वालों ने बोला ऐसा कुछ नहीं हैं।"
अलका ने बताया कि जब पुलिस के आला अधिकारी आए तो उन्होंने उनके साथ जो भी हुआ उसको लिखित में देने की बात कही। अलका उस वक्त इतना डर गई थी की वो लिखने की हालत मे नहीं थी। अलका और उनकी मां बुरी तरह से सदमें में थी उन्होंने अधिकारी से ही लिख लेने की बात कही। अलका ने अपने साथ हुए पूरे अत्याचार को बताया और पुलिस के अधिकारी ने ही एक एप्लीकेशन लिखी। पुलिस ने एप्लीकेशन तो लिखी लेकिन उस एप्लीकेशन में इस पूरी घटना को एक मामूली बहस की घटना बता दिया गया। पुलिस ने मामूली सी बहस का मामला बताते हुए ऊंची जाति के लोगों को बचा लिया।
लगाई कम धाराएं
"पुलिस ने खुद से ही मनगढ़ंत धाराएं बना दी। एप्लीकेशन में पुलिस ने सवर्णों को बचाया। इसमें राजपूत, यादव और 4 लोग चौहान जाति के हैं। ऐसी चीजें लिखी जिसमें उनके ऊपर साधारण सी धाराएं लगाई गई है। उन्होंने छेड़छाड़ और मारपीट की बात उसमें लिखी नहीं थी। जिससे इन पर साधारण धाराएं लगी है। इसके बाद उन्होंने मेरी मां से उसपर साइन करा लिए।"- अलका ने बताया।
"उस दिन तो हम वापस आ गए लेकिन बाद में हम कई लोगों साथ आए। तब एसपी ने बोला कि आप लिख के दे दीजिए हम धाराएं बढ़ा देंगे।" -द मूकनायक को अलका ने बताया।
सवर्ण दे रहे धमकी
द मूकनायक को अलका ने बताया, "हम वापस आ गए। लगातार सवर्ण अभी भी हमें धमकी दे रहे है। वो लोग कई लोगों को लेकर मेरे घर के सामने आ जाते हैं। इन लोगों ने मेरे घर के सामने कैमरा लगा दिया है। मेरा बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। मैं बाहर नहीं जा पा रही हूं।"
"तूफानी चौहान और कन्हैया राय लगातार मुझे धमकी दे रहे हैं कि हमारा नाम लिया तो अच्छा नहीं होगा। मैं अपने घर में ही हूं। कैमरा लगातार ये मुझ पर नजर बनाए हुए हैं और मुझे कही आने जाने नहीं दे रहे हैं।" अलका ने कहा।
अलका ने ये भी बताया कि पुलिस ने कैमरा भी हटाने से मना कर दिया है। पुलिस न तो कैमरा हटा रही है और न ही मुझे सुरक्षा दे रही है। लोग लगातार मुझे धमकी मिल रही है।
फिलहाल अलका रावत अपने परिवार के साथ हैं। पुलिस से अलका इस मामले में छेड़छाड़ को लेकर धारा लगाने पर जोर दे रही है। द मूकनायक से अलका ने कहा "मुझे इस प्रशासन और कानून पर भरोसा नहीं है। जब मेरे घर के सामने से एक कैमरा नहीं हटवा सकते तो ये मुझे न्याय क्या देंगे।"
अलका ने कहा "न जाने मेरी जैसी कितनी दलित लड़कियां है जिनकी आवाज भी नहीं कोई उठा रहा है। देश में अत्याचार सिर्फ दलित लड़कियों के साथ ही ज्यादा होते हैं। राजपूत, यादव और चौहान जाति के लोग लगातार हमारे साथ अत्याचार कर रहे हैं और कानून प्रशासन हमारे लिए नहीं खड़ा है।"
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