संवाददाता, बबीता गौतम
दलितों पर अत्याचार की खबरें देश से लेकर विदेशों तक आपको देखने और सुनने को मिल जाती है. ऐसा ही एक मामला दिल्ली के कड़कड़डूमा गांव से सामने आया जहां ठाकुर समाज के लोगों ने जाटव समाज के परिवार को बुरी तरह पीटा. गाड़ी को जगह ना देने पर शुरु हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि बात मार पिटाई तक पहुंच गई. वहीं इस मार पिटाई में जाटव समाज की महिलाओं को भी चोंटे आई.
क्या था पूरा मामला
पीड़ित परिवार से बात करने जब द मूकनायक की टीम उनके घर पहुंची तो उन्होंने बताया कि कैसे यह विवाद शुरु हुआ. इस मामले पर पीड़ित विजय कुमार ने बताया कि उनका परिवार किसी प्रोग्राम से घर लौटा था और अपनी गाड़ी को पार्क कर रहा था उसी समय ठाकुर समाज के लोग अपनी कार को लेकर वहां आ गाए और गाड़ी को साइड करने की बात करने लगे. विजय कुमार ने बताया कि ठाकुर समाज के जो लड़के थे वह काफी नशे में थे जिस कारण वह बार-बार गाड़ी को साइड करने की बात कर रहे थे. विजय ने बताया कि उन्होंने दोनों तरफ के लोगों को समझा कर विवाद को शांत कर दिया था लेकिन कुछ देर बाद जब उनका परिवार गाड़ी पार्क करके घर नहीं लौटा तो उन्हें चिंता होने लगी. वहीं कुछ देर उनको खबर मिली की उनकी पत्नी, बेटे और घर की दो और महिलाओं पर ठाकुर समाज के लोगों ने हमला कर दिया है. हमला करने वालों की संख्या विजय ने बीस से तीस लोगों के बीच बतायी.
आरोपियों ने कही जातिसूचक बात
विजय ने बताया कि किस तरह से ठाकुर समाज के लोगों ने जातिसूचक गालियां दी. किस तरह से कहा कि तुम चमार हो तुम्हारी क्या औकात कि तुम हमारे आगे कुछ बोलो. उन्होंने बताया कि- हमारे बच्चे गाड़ी के अंदर थे सभी बच्चे और महिलाओं के साथ उन्होंने बत्तमीजी की, गाड़ी से निकाल कर हमारे बच्चे को पिटा वहीं हमारे घर पर भी कुछ लड़कों ने हमला कर दिया जिसमें उन्होंने हमारे घर की महिलाओं के साथ बत्तमीजी की. उन लोगों ने कहा कि तुम हमारा क्या कर सकते हो. वहीं जब हमने पुलिस को फोन किया था काफी देर बात पुलिस वहां पहुंची इस दौरान विजय ने बताया कि उन्होंने 100 नंबर, 112 और 181 पर भी फोन किया था जिसका करीब 1 घंटे तक इंतजार करने के बाद पुलिस की एक गाड़ी वहां आयी और हमारे बच्चे को बुरी तरह घर से पकड़कर ले गई. इस दौरान हमारे बच्चे के सर से काफी खून बह रहा था उसके शरीर पर काफी चोटें भी आई थी. लेकिन पुलिस ने किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया.
अपनी बच्चियों को नहीं भेजते को कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचते- पीड़ित महिला
वहीं इस मामले में पीड़ित महिलाओं ने बताया कि किस तरह से उनके साथ ठाकुर समाज के लड़कों ने मारपीट की वहीं उनके कपड़े तक फाडें. महिलाओं का कहना था कि ठाकुर समाज के लड़कों ने किस तरह से घर में घुसने की कोशिश की वहीं हमारे घर की बच्चियों की इज्जत पर हमला करने की कोशिश की गई. पीड़ित महिलाओं का आरोप है कि ठाकुर समाज के लोगों ने मार पीटाई के दौरान उनके शरीर को बुरी तरह से छुआ वहीं उनके सोने के गहने तक तोड़कर ले गए. महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनके कपड़े फाड़े गए उनके कपड़ों के अंदर हाथ डालकर प्राइवेट पार्ट को भी छूने की कोशिश की गई.
इस पूरे विवाद पर पीड़ित परिवार का कहना था कि पुलिस ने उनकी तरफ जो व्यवहार अपनाया वह काफी हद तक गलत तरीका था. आरोप यह है भी है कि पुलिस ने परिवार के सदस्यों के साथ हुई मारपीट को लेकर मेडिकल तक नहीं करवाया. वहीं उनकी शिकायत में एससीएसटी एक्ट भी नहीं लगया और ना ही किसी तरह की कोई शिकायत पत्र उनको दिया गया. परिवार का यह भी आरोप है कि उनके बच्चे को पुलिस ने झूठे मामले में बंद कर रखा है वहीं परिवार के किसी भी सदस्य को उससे मिलने नहीं देती. अब सवाल यही उठता है कि क्यों पुलिस दलितों पर हुए अत्याचार को ठीक तरह से नहीं देखती, क्यों उनकी शिकायत पर गौर नहीं करती.
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