गुजरात: दलित कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपा ज्ञापन, मांगें पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी

ज्ञापन में, राज्य में जाति आधारित जनगणना कराना, अस्पृश्यता को दूर करने के लिए विशेष जांच दल का गठन और सरकारी योजनाओं के लिए दलितों की आय सीमा में वृद्धि शामिल है।
भूपेंद्र पटेल, मुख्यमंत्री, गुजरात
भूपेंद्र पटेल, मुख्यमंत्री, गुजरातफोटो साभार- इंटरनेट
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अहमदाबाद। राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच (आरडीएएम) और उससे जुड़े संगठनों के बैनर तले दलित कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को ज्ञापन सौंपकर दलित समुदाय को प्रभावित करने वाले कई अनसुलझे मुद्दों पर कार्रवाई की मांग की।

कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर 23 सितंबर तक कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगे।

ज्ञापन में कई प्रमुख मांगों को रेखांकित किया गया है, जिसमें राज्य में जाति आधारित जनगणना कराना, अस्पृश्यता को दूर करने के लिए विशेष जांच दल का गठन और सरकारी योजनाओं के लिए दलितों की आय सीमा में वृद्धि शामिल है।

आरडीएएम के राज्य समन्वयक सुबोध कुमुद ने निराशा व्यक्त की कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात नहीं की।

उन्होंने कहा, “हम अपने अनसुलझे मुद्दों को साझा करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे, लेकिन सीएम ने हमसे मुलाकात नहीं की। नतीजतन, हमने सीएमओ को ज्ञापन सौंपा।”

कार्यकर्ताओं द्वारा चुनी गई 23 सितम्बर की समय-सीमा, संकल्प दिवस से मेल खाती है, जिस दिन डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अस्पृश्यता उन्मूलन और दलित समुदाय के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करने का संकल्प लिया था।

अन्य मांगों के अलावा, कार्यकर्ताओं ने ‘एक गांव, एक कब्रिस्तान’ नीति के सख्त क्रियान्वयन या गांवों में दलितों के लिए अलग कब्रिस्तान भूमि के आवंटन की मांग की है। वे कृषि भूमि सीलिंग अधिनियम के तहत दलितों को आवंटित भूमि का वास्तविक भौतिक कब्ज़ा, 2018 में पाटन में दलित कार्यकर्ता भानुभाई वनकर के आत्मदाह के बाद राज्य सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करना और ऊना में एक दलित परिवार की सार्वजनिक पिटाई के लिए न्याय की भी मांग कर रहे हैं।

कार्यकर्ताओं ने 2012 में सुरेंद्रनगर के थानगढ़ में तीन दलित युवकों की हत्या से संबंधित संजय प्रसाद समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने तथा विभिन्न सामुदायिक आंदोलनों के दौरान दलितों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की मांग की।

कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से इन मांगों पर तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है, साथ ही चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा तक कोई प्रगति नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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