नई दिल्ली - हाल ही में सरकार द्वारा किए गए एक सर्वे में यह सामने आया है कि सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने वाले 92% कर्मचारी समाज के वंचित वर्गों से आते हैं। इस डेटा के बाद कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना की अपनी मांग को फिर से तेज कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से मणिपुर संकट, राष्ट्रीय जनगणना और विशेष रूप से जाति जनगणना पर ध्यान देने की अपील की।
यह सर्वे 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 38,000 से अधिक श्रमिकों पर आधारित था। इसमें पाया गया कि 68.9% श्रमिक अनुसूचित जाति (SC), 14.7% अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और 8.3% अनुसूचित जनजाति (ST) से हैं। केवल 8% श्रमिक सामान्य वर्ग से थे, जो यह दिखाता है कि खतरनाक सफाई कार्यों में वंचित समुदायों की बहुत बड़ी संख्या शामिल है।
खड़गे ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा, "आपकी ही सरकार के सर्वे में यह बताया गया है कि 92% सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने वाले श्रमिक SC, ST और OBC वर्गों से आते हैं।" उन्होंने जाति जनगणना की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि BJP इसके खिलाफ इसलिए है क्योंकि इससे इन वर्गों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति और सरकार की योजनाओं का लाभ लेने का अधिकार सामने आ जाएगा।
सर्वे NAMASTE कार्यक्रम के तहत किया गया था, जिसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने शुरू किया था। इसका उद्देश्य सीवर सफाई को मशीनीकृत करना और खतरनाक सफाई प्रथाओं को खत्म करना है। कांग्रेस ने इस सर्वे को आधार बनाकर कहा कि जाति जनगणना के बिना सरकारी योजनाओं में इन वंचित वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो सकेगी।
कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा कि वह हर हाल में जाति जनगणना कराएगी, ताकि 90% आबादी, जो SC, ST, OBC और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) से आती है, को उनके अधिकार मिल सकें।
पोस्ट में लिखा गया, " देश के सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले 92% लोग SC, ST, OBC वर्ग से आते हैं। ये आकंड़ा बताता है कि SC, ST, OBC वर्ग के लोग किन हालातों में अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। आज जातिगत जनगणना की जरूरत इसलिए है ताकि सरकार की योजनाओं में इन वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। कांग्रेस हर कीमत पर जातिगत जनगणना कराकर रहेगी और देश के 90% लोगों को उनका हक दिलाकर रहेगी।"
गौरतलब है कि इस वर्ष के दो बजटों- जो कि 1 फरवरी 2024 को आम चुनावों से पहले का अंतरिम बजट और मोदी सरकार के संघीय बजट 23 जुलाई 2024 , के बीच केवल छह महीने से भी कम समय में, देश में सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करते समय 43 सफाई कर्मियों की मौत हुई। इसके बावजूद, न तो मैनुअल स्कैवेंजिंग और न ही सीवर में होने वाली मौतों का 2024 के संघीय बजट में एक बार भी जिक्र किया गया।
ऐसी मौतें न केवल मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैं, बल्कि यह मैनुअल स्कैवेंजिंग की रोकथाम पर विभिन्न सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन करती हैं। इसके अलावा, चूंकि इस काम में शामिल हर एक व्यक्ति और जो इस काम में मर रहे हैं, वे दलित समुदाय से आते हैं, ये मौतें अत्याचार निवारक अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन भी हैं। साथ ही, ये छूआछूत के समान भी हैं, जो भारत में अवैध है। लेकिन विडंबना यह है कि भारत सरकार इन तथ्यों के प्रति उदासीन है।
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