रायपुर: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिला स्थित गिरौदपुरी के महकोनी गांव में संत अमरदास की तपोभूमि के जैतखाम को काटे जाने को लेकर है। सतनामी समाज (अनुसूचित जाति) के लोग सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। गत सोमवार को अचानक भीड़ बेकाबू हो गई और कलेक्टर के ऑफिस में घुस गई। हिंसक भीड़ ने कलेक्टर ऑफिस में आग लगा दी। वहीं, कलेक्टर परिसर में खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ करते हुए उन्हें भी फूंक दिया।
द मूकनायक को स्थानीय पत्रकार अनुज श्रीवास्तव ने बताया कि 15 मई की देर रात सतनामी समुदाय के धार्मिक स्थल गिरौदपुरी धाम से करीब 5 किमी मानाकोनी बस्ती स्थित बाघिन गुफा में लगे धार्मिक चिन्ह जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
सतनामी समाज के भीतर जैतखाम की मान्यता है। जैतखाम शब्द ज्यादातर छत्तीसगढ़ की बोली में बोला जाने वाला शब्द है। मान्यता है कि जैतखाम मूलरूप से सतनामी पंथ के ध्वज का नाम है। यही ध्वज सतनामी संप्रदाय का प्रतीक माना जाता है। जैतखाम तोड़े जाने के विरोध में समाज के हजारों लोग कलेक्ट्रेट के पास मौजूद दशहरा मैदान में कई दिन से प्रदर्शन कर रहे थे।
पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लोगों का आरोप है कि पकड़े गए लोग असली आरोपी नहीं हैं और पुलिस दोषियों को बचा रही है। सोमवार को प्रदर्शन के दौरान लोग इसी बात को लेकर उग्र हो गए। इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए।
स्थानीय मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार उपद्रवियों ने 75 बाइक, 20 कार और 2 दमकल वाहन को आग के हवाले कर दिया। लोगों ने कलेक्ट्रेट में खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की। इसके बाद कुछ लोगों ने कलेक्ट्रेट में आगजनी की। इससे कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर खाक हो गए। कलेक्टर कार्यालय के सामने स्थित ध्वजारोहण के पोल पर सफेद रंग का ध्वज लगा दिया था।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। इसमें पुलिसकर्मियों सहित कुछ लोग भी घायल हुए हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद डिप्टी CM विजय शर्मा सोमवार देर रात घटनास्थल पहुंचकर मौके का जायजा लिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उपद्रवियों की गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए।
बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में अंग्रेजों के जमाने का 100 से 120 साल पुराना राजस्व का रिकार्ड भी उपद्रव की आग में जलकर खाक हो गया। करीब सौ साल तक बलाैदाबाजार जिले के अंतर्गत आने वाले इलाकों का पूरा रिकार्ड और अन्य फाइलें रायपुर कलेक्ट्रेट में सुरक्षित थीं।
2011-12 में बलौदाबाजार को अलग जिले का दर्जा मिला। उसी के बाद 10 ट्रकों में यहां से पूरा रिकार्ड एक-एक कर बलौदाबाजार भेजा गया था। अब तक की जांच के अनुसार सोमवार को बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में लगाई गई आग में एक भी रिकार्ड सुरक्षित नहीं बचा है।
पुराना रिकार्ड जल जाने से अब राजस्व संबंधित मामलों की जांच में दिक्कत आएगी, क्योंकि अब रायपुर में भी उसका रिकार्ड नहीं है। बलौदाबाजार जिले के राजस्व का 1929 का बंदोबस्त मिशन (नक्शा), 1939-40 तक चकबंदी मिशन (नक्शा) की एक-एक फाइल यहां से भेज दी गयी है। इसके जल जाने से अब वहां जाति प्रमाण पत्र के प्रकरण उलझ जाएंगे।
इसी तरह रजिस्ट्री, राजस्व, फूड, आबकारी, खनिज से संबंधित सारे दस्तावेजों को भी वहीं भेज दिया गया था। इनकी दूसरी कॉपी नहीं है। ऐसे में राजस्व संबंधित प्रकरणों को निपटाने काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा बी-1 में यदि जमीन के मालिक का नाम नहीं चढ़ा होने पर परेशानी होगी। बिना रिकार्ड नाम चढ़ाना संभव ही नहीं है। ऐसे में जमीन के मालिक होने के बाद भी नाम चढ़ाने के लिए भटकना पड़ेगा।
15 मई : सतनामी समुदाय के धार्मिक स्थल गिरौदपुरी धाम से करीब 5 किमी मानाकोनी बस्ती स्थित बाघिन गुफा में लगे धार्मिक चिन्ह जैतखाम को देर रात क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
16 मई : सुबह लोगों को पता चला तो उन्होंने मौके पर कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
17 मई : पुलिस में मामला दर्ज किया।
19 मई : मानाकोनी बस्ती में समाज के लोगों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर चक्का-जाम किया था। इस दौरान समाज के गुरु और पूर्व मंत्री रुद्रकुमार ने कार्रवाई की मांग की, वहीं गुरु खुशवंत साहेब ने कांग्रेस सरकार में हुए प्रदर्शन की याद दिलाई।
19 मई : पुलिस ने इस मामले में बिहार निवासी 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि नल-जल योजना कार्य में ठेकेदार पैसे नहीं दे रहा था। इसलिए शराब के नशे में आरोपियों ने तोड़फोड़ कर दी।
20 मई : समाज के लोगों की बैठक हुई। इसमें कहा गया कि गलत आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। जो दोषी हैं, उन्हें पकड़ा जाए। वहीं आंदोलन की रूप रेखा तैयार हुई।
21 मई : पुलिस और प्रशासन को दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद से ही लगातार समाज के लोग आवेदन देकर जांच और कार्रवाई की मांग करते रहे।
08 जून : कलेक्टर ने प्रशासनिक अफसरों, पुलिस अफसरों और समाज के लोगों के साथ शांति समिति की बैठक बुलाई। इसमें अपील की गई कि आंदोलन से बचें। साथ ही जांच में तेजी लाने की बात कही गई।
09 जून: डिप्टी CM और गृहमंत्री विजय शर्मा ने न्यायिक जांच कराने के निर्देश दिए।
09 जून : इसी दिन प्रशासन की अनुमति से कलेक्ट्रेट के पास दशहरा मैदान में समाज ने 10 जून को एक दिवसीय प्रदर्शन की अनुमति मांगी।
10 जून : इसी प्रदर्शन के दौरान अचानक से लोग उग्र हो गए और बवाल बढ़ता चला गया। हिंसा के दौरान कलेक्टर-एसपी दफ्तर में आगजनी की गई। कई गाड़ियां जला दी गई।
10 जून : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें उपद्रवियों की गिरफ्तारी के आदेश जारी किए गए। मौके पर IG और कमिश्नर को भेजकर रिपोर्ट तलब की गई है।
10 जून : 7 अलग-अलग FIR दर्ज की गई। 73 आरोपी गिरफ्तार हुए, 200 हिरासत में लिए गए। उपद्रवियों की तलाश के लिए पुलिस की 12 टीमें और जांच के लिए 22 पुलिस अफसरों की टीम बनाई गई।
11 जून : पुलिस ने शाम तक 200 आरोपियों को गिरफ्तार किया। उपद्रवियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की 12 टीमें बनाई गईं। कई जगह छापामार कार्रवाई।
11 जून : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मीटिंग में अधिकारियों की बैठक लेकर नाराजगी जताई। कहा कि, इतनी बड़ी घटना हो गई आप लोगों तक जानकारी कैसे नहीं पहुंची? क्यों बैकअप नहीं रखा गया?
11 जून : देर रात आईएएस दीपक सोनी को नया कलेक्टर और विजय अग्रवाल को नया एसपी नियुक्त किया गया। हटाए गए कलेक्टर केएल चौहान को मंत्रालय में विशेष सचिव और एसपी सदानंद कुमार को पुलिस मुख्यालय भेजा।
स्थानीय मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार बलौदा बाजार हिंसा को रायपुर में मंत्री दयालदास बघेल, टंकराम वर्मा और श्यामबिहारी जायसवाल ने आरोप लगाया कि, सतनामी समाज के कार्यक्रम में कांग्रेस के विधायक देवेंद्र यादव, कांग्रेस विधायक कविता प्राण लहरे और पूर्व मंत्री गुरु रुद्र कुमार थे।
इनके अलावा पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया, राज्यसभा की पूर्व सासंद छाया वर्मा, विधायक संदीप साहू, भोजराम अजगले, विधायक इंद्रा साव, पूर्व विधायक भुवनेश्वर बघेल, शिक्षक मोहन बंजारे जैसे नेताओं ने ही लोगों को भड़काने का काम किया, जिसकी वजह से ये हालात बने।
मंत्रियों के आरोप पर कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा भाजपा सरकार इस अप्रिय घटना के लिए जवाबदेह है। सरकार सजग होती तो यह अप्रिय घटना नहीं घटती। समय रहते जैतखाम को क्षति पहुंचाने वालों पर कार्यवाही की गई होती और आहत समाज से संवाद किया गया होता तो ऐसी अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं होती।
उन्होंने कहा, धार्मिक भावनाएं आहत होने पर आंदोलित समाज को विश्वास में लिया गया होता तो ऐसे विध्वंसक प्रतिक्रिया नहीं होती। पूरे घटनाक्रम में घोर प्रशासनिक लापरवाही स्पष्ट है। बलौदाबाजार कि घटना कि नैतिक जवाबदेही ले कर मुख्यमंत्री तत्काल इस्तीफा दें। विपक्ष पर आरोप लगाने की राजनीति भाजपा सरकार और उनके मंत्री बंद करें।
बलौदा बाजार हिंसा मामले में कांग्रेस ने जांच समिति बनाई है। घटना स्थल का निरीक्षण करने के लिए जांच समिति गुरुवार को बलौदा बाजार पहुंची। समिति के संयोजक और पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने बीजेपी की तुलना औरंगजेब से की है।
शिव डहरिया ने कहा कि, औरंगजेब से ज्यादा बीजेपी ने सतनामी समाज को प्रताड़ित किया है। बीजेपी हमेशा से ही हमारे सतनामी समाज के खिलाफ रही है। अभी हमारे अध्यक्ष के निर्देश पर जांच कमेटी गठित की गई है। सब लोगों से चर्चा करेंगे कि बीजेपी की सरकार में ऐसी घटना क्यों हुई?
शिव डहरिया ने कहा कि, कानूनी व्यवस्था खराब स्थिति में है। सरकार के फेलियर के कारण ये घटना हुई है। बहुत सारे लोगों को बिना जांच के उठा लिया गया है, मारपीट भी की गई है इस पर जांच करेंगे। जब पहले से ही बताया गया था कि यहां पर धरना प्रदर्शन कर किया जाएगा तो उन्होंने क्यों पूरी व्यवस्था नहीं की?
सामाजिक सद्भाव को बिगड़ने का काम बीजेपी की सरकार कर रही है। यह लोग हमेशा ही धर्म और जाति के नाम पर लड़ाने का काम करते हैं। इस घटना के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार भाजपा की ही सरकार है। इस आंदोलन में शामिल होने के लिए भाजपा के नेता भी पहुंचे थे, आप वीडियो फोटो देखी उन्हें क्यों अरेस्ट नहीं किया जा रहा है। केवल कांग्रेस के नेता और समाज के जो प्रमुख लोग वहां पर मौजूद थे उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
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