महाराष्ट्र। आईआईटी मुम्बई में दलित छात्र दर्शन सोलंकी की मौत के मामले में तैयार की गई रिपोर्ट पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। यह सवाल एपीपीएससी (अम्बेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्किल) के छात्रों की कमेटी ने खड़े किए हैं। इस कमेटी का आरोप है कि आईआईटी बॉम्बे ने दर्शन सोलंकी की आत्महत्या के मामले में एकतरफा रिपोर्ट तैयार की है। आरोप है कि 9 साल पहले भी कालेज की कमेटी ने एक अन्य छात्र की आत्महत्या के मामले में ऐसी ही रिपोर्ट तैयार की थी। दलित छात्रों द्वारा बनाई गई इस कमेटी ने कहा है कि इस कमेटी ने जातीय उत्पीड़न के मामले को हर बार की तरह इस बार भी दबा दिया है। दर्शन की मौत की जांच जातीय उत्पीड़न के मामलों में एक्सपर्ट लोगों से कराई जानी चाहिए। इस मामले में 9 साल पहले एक अन्य छात्र की मौत के मामले में उसके पिता ने भी जांच कमेटी पर गम्भीर आरोप लगाए हैं।
महाराष्ट्र के मुम्बई में 12 फरवरी 2023 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे के पवई परिसर में छात्रावास की छत से कूदकर इंजीनियरिंग के छात्र दर्शन सोलंकी (26) ने आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद पुलिस मामले की जांच में जुट गई थी। इस मामले में छात्र के द्वारा जातीय उत्पीड़न के चलते आत्महत्या किये जाने का आरोप लगाया गया था। इस मामले की जांच के लिए आईआईटी बॉम्बे द्वारा 12 सदस्यों की एक जांच कमेटी 13 फरवरी 2023 को गठित की गई थी।
अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया, ''दर्शन सोलंकी का अलग-अलग विषयों की परीक्षा में प्रदर्शन खराब हो रहा था। सबसे ज्यादा दूसरी छमाही के सेमेस्टर में रिजल्ट खराब था। संभव है कि खराब अकादमिक प्रदर्शन का दर्शन पर बहुत बुरा असर पड़ा हो। दर्शन अपने दोस्तों से बातचीत में अक्सर कहते थे कि आईआईटी बॉम्बे से बीटेक की पढ़ाई छोड़ देंगे और अपने गृहनगर में कहीं एडमिशन लेंगे।''
रिपोर्ट में कहा गया है कि दर्शन सोलंकी की बहन ने कैंपस में जातिगत भेदभाव की बात कही थी, लेकिन उनके इस बयान के अलावा इस बात का कोई सीधे तौर पर सबूत नहीं मिला कि दर्शन को जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा था।
रिपोर्ट के मुताबिक, दर्शन की बहन ने जातिगत भेदभाव से जुड़ा कोई सबूत नहीं दिया था। रिपोर्ट में दर्शन और उनकी बहन की बातचीत का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ''कंप्यूटर्स और अन्य विषयों से जुड़ी दर्शन की जिज्ञासा पर कई बार कुछ स्टूडेंट्स हँस देते थे।'' रिपोर्ट में बताया गया है कि दर्शन पढ़ने में बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाते थे और वह हॉस्टल के कमरे में ही रहना पसंद करते थे। दर्शन के एक दोस्त ने बताया है कि सोलंकी को लेक्चर समझने में दिक्कत होती थी। दर्शन की परीक्षा की तैयारी भी पूरी तरह से नहीं हो पाती थी। रिपोर्ट के अनुसार, दर्शन ने मैथेमैटिक्स विषय को हिन्दी में समझाने के लिए कहा था। दर्शन सोलंकी जातिगत भेदभाव के खिलाफ कभी एससी/एसटी सेल या स्टूडेंट वेलनेस सेंटर नहीं गए और न ही आईआईटी बॉम्बे के मेल पर इससे जुड़ी कोई शिकायत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोलंकी अन्तर्मुखी स्वभाव के थे। ''दर्शन शुरुआत में शायद अलग-थलग महसूस करते थे। इसके कई कारण हो सकते हैं। इनमें जी-रैंक में अंतर, कंप्यूटर ज्ञान और भाषा का अभाव आदि है। उनके अन्य छात्रों से अलग रहने का कोई सटीक कारण नहीं मिला है।''
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ''12 फरवरी को दोपहर बाद दर्शन अपने हॉस्टल के विंग-मेट्स के साथ शॉपिंग करने जाने वाले थे। दर्शन के पिता ने अकाउंट में कुछ पैसे भी ट्रांसफर किए थे। हालांकि कमेटी को इस बात की सूचना नहीं है कि छत से छलांग लगाने से पहले परिवार के साथ फोन पर क्या बात हुई थी। कॉल डिटेल के अलावा फोन और लैपटॉप की फॉरेंसिक जाँच का इंतजार है और इसके बाद ही फाइनल रिपोर्ट आएगी।''
इस मामले में एपीपीएससी (अम्बेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्किल) ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। कमेटी ने कहा है, ''आईआईटी बॉम्बे की 12 सदस्यीय जांच कमेटी के सारे लोग कैंपस के ही थे। इनमें से सात सदस्य प्रोफेसर हैं। 5 लोग एससी एसटी जाति समाज से थे, उनमें भी दो प्रोफेसर कम स्टूडेंट ज्यादा थे।"
दर्शन सोलंकी की बहन ने दावा किया था कि उनके भाई ने आईआईटी बॉम्बे में कुछ छात्रों से जातिगत भेदभाव की बात कही थी और इसमें उनका भाई भी शामिल था। रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी बहन के अलावा किसी ने जातिगत भेदभाव की बात नहीं कही।
आम्बेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्किल और आम्बेडकराइट स्टूडेंट्स कलेक्टिव ने भी कैंपस में जातिगत भेदभाव का दावा किया था। लेकिन जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दर्शन सोलंकी की मुलाकात में इनमें से किसी की नहीं हुई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दर्शन ने अपने पिता और चाचा से भी कभी जातिगत भेदभाव की बात नहीं कही थी।
दर्शन की बहन जाह्नवी और पिता से भी जांच कमेटी ने बात की थी। रमेशभाई सोलंकी का कहना है कि उनके बेटे ने कभी जातिगत भेदभाव की बात डर से नहीं कही होगी।
रमेशभाई ने कहा है, ''वह इस बात से डर गया होगा कि अगर जातिगत भेदभाव की बात बताई तो कहीं मैं कॉलेज बदलने के लिए ना कह दूं।''
आईआईटी बॉम्बे में यह पहला मामला नहीं है जब एक दलित छात्र ने आत्महत्या की है। 4 सितम्बर 2014 को छात्रावास की बालकनी से कूदकर आईआईटी बॉम्बे के छात्र अनिकेत अंभोरे ने आत्महत्या कर ली थी। उस समय भी छात्र के पिता ने कालेज में जातीय उत्पीड़न किये जाने के आरोप लगाए थे। अनिकेत के पिता का आरोप था अनुसूचित कोटे से एडमिशन लेने के कारण अन्य छात्र उसे परेशान करते थे। छात्र कोटे से एडमिशन लेने की बात करके हमेशा उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते थे।
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