जयपुर। राजस्थान के कोटा जिले के बपावर थाना इलाके के लसेड़िया गांव के पास मंदिर परिसर में मेघवाल जाति के व्यक्ति की दुकान हटाने के मामले में बुधवार देर शाम पीड़ित रामप्रसाद मेघवाल की रिपोर्ट पर पुलिस ने मंदिर समिति से जुड़े नन्दकिशोर मेहता सहित परिसर में पूजा सामग्री की दुकान लगाने वाले राधेश्याम सुमन व शांतिलाल मेहता के खिलाफ आईपीसी की धारा 427, 504, 34 व अनुसूचित जाति/ जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच सांगोद पुलिस उपाधीक्षक रामेश्वर परिहार को सौंपी है। उक्त मामले की गम्भीरता को देखते हुए सम्बन्धित थाना पुलिस द्वारा एक आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ के बाद छोड़ने की बात भी सामने आई है। हालांकि बपावर थानाधिकारी रणजीत सिंह ने उक्त मामले में किसी की गिरफ्तारी से इनकार किया है।
लसेड़िया गांव का रामप्रसाद मेघवाल लंकेश्वर हनुमान मंदिर के बाहर प्रसाद व पूजा सामग्री बेच कर दो साल से परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। गत 27 दिसम्बर की सुबह अचानक उक्त नामजद आरोपियों ने टेबल पर लगी दुकान को फेंक दिया। टेबल को पलट दिया। इससे दुकान पर रखा सामान नीचे बिखर गया। पीड़ित दुकानदार के बेटे ने विरोध किया तो आरोपियों ने जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए मंदिर के बाहर पूजा सामग्री बेचने से मना कर दिया। इस संबंध में पीड़ित ने सम्बन्धित पुलिस थाने में रिपोर्ट दी, लेकिन मामला दर्ज करने की बजाय पुलिस राजीनामा कराने का प्रयास करती रही।
द मूकनायक ने बुधवार शाम इस घटना के संबंध में पुलिस व पीड़ित पक्ष से बात कर खबर प्रकाशित की तो पुलिस ने बुधवार देर शाम मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
भीम आर्मी एकता मिशन कोटा ग्रामीण जिला संयोजक भैरूलाल ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि "क्या मंदिर के बाहर रोजगार पाने का हक मेघवाल समाज के लोगों को नहीं है। लंकेश्वर मंदिर परिसर में मेघवाल समाज के व्यक्ति की केवल एक दुकान है। अन्य दुकानें स्वघोषित उच्च जाति के लोगों की है। आरोपियों ने यह कहकर कर 'तुम्हारी अमुक जाति है। इस लिए तुम मंदिर के पास दुकान नहीं लगा सकते'। दुकान को तोड़ दिया।" भैरूलाल ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि क्या मंदिर के बाहर मेघवाल जाति के लोग दुकान लगा कर परिवार का पालन पोषण नहीं कर सकते।
पीड़ित दुकानदार के पुत्र कृष्ण मुरारी मेघवाल का कहना है कि उसके पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने बुधवार देर शाम मुकदमा दर्ज किया है। इससे पहले तक गांव आए पुलिसकर्मी उनसे राजीनामे के लिए कह रहे थे। एक स्थानी जनप्रतिनिधि के परिवार के लोग भी सर्वसमाज के नाम पर लोगों को एकत्रित कर मामले को दबाने का पुलिस पर दबाव बना रहे थे। कृष्ण मुरारी ने कहा कि "हमें कोई मतलब नहीं। हमे इंसाफ चाहिए। हमारा रोजगार छीनने वालो पर सख्त कार्रवाई हो।"
आजाद समाज पार्टी के प्रदेश सचिव कृष्ण मेघवाल ने द मूकनायक से कहा कि सरकार के अधिकारी जातिवाद से परे हटकर इंसाफ करें। लंकेश्वर मंदिर के बाहर दो साल से चल रही दुकान को पुनः स्थापित करें या फिर परिसर से सभी की दुकानों को हटाया जाए। स्थानीय निकाय को भी यहां जातिवाद से हटकर नियमानुसार कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने अपराध किया है उन्हें संविधान के हिसाब से दंडित किया जाना चाहिए। यदि पीड़ित को न्याय नही मिला तो आगे की रणनीति बनाकर आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। यहां किसी का रोजगार छीनने का अधिकार किसी को नहीं है।
लसेड़िया प्रकरण में सांगोद एसडीएम राजेश डागा ने द मूकनायक से कहा कि "यह जो दुकानें लगी है। यह पंचायत भूमि पर अतिक्रमण है या किसी व्यक्ति की भूमि पर लगी है। यह तय करना ग्राम पंचायत का काम है। ग्राम पंचायत तय करेगी की अतिक्रमण है या नहीं। मैंने पहले भी कहा कि यदि अतिक्रमण हटेगा तो समान कार्रवाई होगी। रही बात अपराध से सम्बंधित तो इसकी जांच पुलिस कर रही है। कानूनन जो भी कार्रवाई होगी पुलिस करेगी।"
पुलिस उपाधीक्षक सांगोद रामेश्वर परिहार ने कहा कि "मुकदमा दर्ज हो गया है। जांच कर रहे हैं। मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करेंगे।"
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