गांव वाले जब शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे, तो वहां न तो कोई टीन शैड था और न ही कोई चबूतरा. ऐसे में लोगों ने गांव से 2 टीन की चादरें मंगवाईं और जैसे-तैसे चिता तैयार की. चूंकि, बारिश में लकड़ियां गीली थीं, तो कुछ लकड़ियों के नीचे टायर रखकर जलाए गए, तब आग पकड़ सकी. उसके बाद महिला का डीजल डालकर अंतिम संस्कार किया गया. ग्रामीणों ने बताया कि आज तक उनके गांव में श्मशान घाट नहीं बना है. उन्हें हर बारिश में इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव वालों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी शिकायत की, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हुई. बताया जा रहा है कि यह इलाका दलित बाहुल इलाका है जहां 1000 से अधिक दलित परिवार रहते हैं.