दलित बाहुल इलाके में नहीं है श्मशान घाट, टायर और डीजल से जलायी लाश

दलित बाहुल इलाके में नहीं है श्मशान घाट, टायर और डीजल से जलायी लाश
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मध्य प्रदेश के गुना से शर्मसार करने वाला मामला सामने आया. देश की आजादी के 75 साल बाद भी दलितों को श्मशान घाट तक मुहैया नहीं हुआ है. ऐसा ही मामला जिले के बांसाहैड़ा गांव में देखने को मिला. जहां एक महिला की मौत के बाद ग्रामीणों को न केवल चिता के लिए जरूरी चीजों, बल्कि टीन की चादरों से लेकर शेड तक की व्यवस्था खुद करनी पड़ी. यहां तक की महिला के शव को टायर और डीजल से जलाना पड़ा.
बांसाहैड़ा गांव की महिला रामकन्या बाई हरिजन की मौत हो गई. लेकिन, तेज बारिश के चलते परिजनों ने मृतक का शव घर में ही रखा. जब बारिश बंद नहीं हुई तो परिजन और गांव वाले शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे. जहां का रास्ता काफी ज्यादा खराब था बताया जा रहा था कि गांव की सड़कें किचड़ से भरी हुई थी जहां से शव को ले जाने के लिए काफी दिक्कत होने लगी.
गांव वाले जब शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे, तो  वहां न तो कोई टीन शैड था और न ही कोई चबूतरा. ऐसे में लोगों ने गांव से 2 टीन की चादरें मंगवाईं और जैसे-तैसे चिता तैयार की. चूंकि, बारिश में लकड़ियां गीली थीं, तो कुछ लकड़ियों के नीचे टायर रखकर जलाए गए, तब आग पकड़ सकी. उसके बाद महिला का डीजल डालकर अंतिम संस्कार किया गया. ग्रामीणों ने बताया कि आज तक उनके गांव में श्मशान घाट नहीं बना है. उन्हें हर बारिश में इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव वालों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी शिकायत की, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हुई. बताया जा रहा है कि यह इलाका दलित बाहुल इलाका है जहां 1000 से अधिक दलित परिवार रहते हैं.

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