उत्तर प्रदेश। यूपी के गोंडा के खेमीपुर मजरे के बाशिंदों ने दशकों से बसी हुई दलित बस्ती को उजाड़ने का आरोप लगाया है। दलित परिवारों का आरोप है बिना नोटिस दिए ही यह कार्रवाई की गई है। वहीं जिला प्रशासन का कहना है यह सरकारी भूमि थी जिसपर अवैध कब्जा था।
यूपी में गोंडा के नवाबगंज में अशोकपुर गांव पड़ता है। इस गांव में खेमीपुर मजरा आता है। इस मजरे में ग्राम समाज की जमीन पर दशकों से कई दलित परिवार रह रहे थे। वहीं इन ग्राम समाज की भूमि पर अवैध अतिक्रमण की शिकायत गांव के ही रणविजय सिंह ने की थी। जिस पर कार्रवाई करते हुए 7 फरवरी को तहसीलदार पुष्कर मिश्रा के नेतृत्व में राजस्व टीम गांव पहुंची। सरकारी जमीन पर कब्जा किए लोगों से सामान हटाने को कहा तो महिलाओं और युवकों ने विरोध शुरू कर दिया।
खेमीपुर गांव की रहने वाली महिलाओं विमला पत्नी रमेश, सुनीता पत्नी छट्ठीराम, सोम्मारी पत्नी सत्यनारायण, कलावती पत्नी झिन्नू, कुसुमा पत्नी रामनाथ सहित तमाम महिलाओं ने कहा कि जमीन हरिजन आबादी की है। वह सब वर्षों से इस जमीन पर काबिज हैं। जिसका मुकदमा भी अपर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) गोंडा के न्यायालय में चल रहा है।
इधर, लेखपाल गौरव गांधी ने बताया कि विवादित जमीन नवीन परती और ग्राम समाज की भूमि है, जिस पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है।
दलितों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए तहसीलदार ने उपजिलाधिकारी तरबगंज शत्रुघ्न पाठक और अतिरिक्त फोर्स के लिए वजीरगंज और मोतीगंज थाने में सूचना दी। जेसीबी से अतिक्रमण हटाया जाने लगा। ग्रामीणों का आरोप है बिना नोटिस दिए ही अतिक्रमण हटाने आई टीम ने महिलाओं से अभद्रता की। इस दौरान प्रशासन की टीम ने छप्पर और अन्य वस्तुओं में आग लगा दी। देखते ही देखते आग ने कई छप्परों को अपने आगोश में ले लिया। सूचना मिलने के बाद मोतीगंज और वजीरगंज थाने से पुलिस बल मौके पर पहुंचा। दलितों और अधिकारियों के बीच लगभग दो घंटे तक वाद-विवाद चलता रहा। इस बीच अतिक्रमण पर प्रशासन का बुलडोजर लगातार चलता रहा। विवादित जमीन को लेकर एसडीएम तरबगंज ने सरकारी भूमि के चारों तरफ खाली करा कर खंभे गड़वाने और तार लगवाने के निर्देश दिए। उपद्रव करने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया।
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