बिहार: सरभंग जाति से आने वाली प्रभा देवी के पास नहीं है कोई दस्तावेज, पूरा परिवार भीख माँगने पर मजबूर!

प्रभादेवी और उनके बच्चे / फोटो - मीना कोटवाल, द मूकनायक
प्रभादेवी और उनके बच्चे / फोटो - मीना कोटवाल, द मूकनायक
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कुछ महिलाएँ एक किनारें बैठ कर बतिया रही थी. दोपहर के लगभग दो बज रहे थे. इनमें कुछ खा कर बैठी थी तो कुछ खाने के लिए जा रही थी. जैसे ही द मूकनायक की टीम पहुँची उनमें से एक महिला थोड़ा सा खुश हो गई.

'अरे आप तो पहले भी आई थी ना, पिछले साल!' 

मैंने जी कहा और वो अपने उसी घर में ले गई. पिछले साल भी उसकी सूरत वैसी ही थी जैसी आज है. हाँ साथ में पहले थोड़ी ज़्यादा जगह थी जहां अब किसी ने एक कमरा बना लिया है. वही झोपड़ीनुमा टेंट के बाहर चप्पलें बिखरी हुई, वहीं ईंट का चूल्हा और उसके पास सूखी लकड़ियों का ढेर, वही खाना बनाने के बर्तनों में चूल्हे के धुएँ से हुए काले बर्तन, वही अर्धनग्न बच्चे और वही हालात…! कुछ भी तो नहीं बदला था.

प्रभादवी के खाना बनाने के बर्तन | तस्वीर- मीना कोटवाल
प्रभादवी के खाना बनाने के बर्तन | तस्वीर- मीना कोटवाल

ये मंजर देखकर फिर एक बार अदम गोंडवी की ये चंद लाइन उस समय ज़हन में उतर आई. 

आइये महसूस कीजिए ज़िंदगी के ताप को,
मैं चमारों की गली में ले चलूँगा आपको
जिस गली में भुखमरी की यातना से ऊब कर
मर गई फुलिया बिचारी इक कुएँ में डूब कर
आइये महसूस कीजिए ज़िंदगी के ताप को…

यहाँ बात हो रही है प्रभादेवी की. प्रभादेवी सरभंग जाति से आती हैं, जो दलित जाति की एक उपजाति है. प्रभादेवी अपने नौ बच्चों के साथ बहादुरपुर गाँव में रहती है. बहादुरपुर गाँव पूर्वी चम्पारण ज़िले में आता है. ये वही चम्पारण है जिसे महात्मा गांधी की कर्मभूमि भी कहा जाता है और यहीं से गांधी ने आज़ादी के लिए साल 1917 में पहला आंदोलन यानि नील सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था. 

बहादुरपुर गांव का ये सरभंग टोला था. सरभंग जाति के अलावा यहाँ कुछ घर मुस्लिमों के थे. इनमें से कई और परिवार हैं जो भीख माँगकर अपना गुज़ारा करते हैं.  प्रभादेवी भी भीख माँगती हैं, लेकिन प्रभादेवी इन सबसे थोड़ा अलग है. प्रभादेवी ने बताया कि इन नौ बच्चों को पालना मेरे लिए आसान नहीं. उनके पास कोई रोज़गार नहीं हैं.

वे कहती हैं, "मैं और क्या करूँ, बच्चों के पिता तो ना के बराबर हैं. कभी साल में आते भी हैं तो हमें मारते हैं और भाग जाते हैं. नौ-नौ बच्चे हैं किसी तरह माँगकर इनका पालन पोषण कर रही हूं."

देश-दुनिया कोविड-19 जैसी महामारी से जूझ रहे हैं. जब कोई किसी को छूनेभर से भी डर रहा था, घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल था, यहाँ तक बाहर निकलने पर पुलिस के डंडे भी पड़ते थे. तब भी प्रभादेवी ने किसी तरह भीख माँगकर गुज़ारा किया. लेकिन अब देश और दुनिया में हालात थोड़े से बेहतर हो गए हैं. कोविड-19 की वैक्सीन ज़्यादातर लोगों को लग गई है, देश में अब बच्चों को वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सरकारी वेबसाइट पर दिखाया जा रहा है कि कुल टीकाकरण की संख्या 1,83,26,35,673 है. ये आँकड़ा मार्च, 2022 तक का दिखाया गया है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सरकारी वेबसाइट पर दिखाया जा रहा है कि कुल टीकाकरण की संख्या / photo – <a href=
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सरकारी वेबसाइट पर दिखाया जा रहा है कि कुल टीकाकरण की संख्या / photo –
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