बिहार: देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान जैसे आईआईटी, आईआईएम और सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में दलितों का दाखिला नहीं हो रहा हैै। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने केंद्र सरकार पर दलितों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने हाल में संसद में पेश एक रिपोर्ट में बताया था कि पिछले 5 सालों में आईआईटी आईआईएम और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों से 13626 छात्र-छात्राओं ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। इस सूचना के सार्वजनिक होने के बाद राजद महासचिव के दावे से दलित समाज चिंतित है। वहीं सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है।
ईटीवी को दिए साक्षात्कार में रजक ने बताया कि यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर पिछड़े वर्ग, दलित वर्ग एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों को एडमिशन दिया गया है। इन सीटों पर बिहार के भी कई छात्रों ने आवेदन किया था। उन्होंने कहा कि सीधे तौर पर पिछड़े और दलित छात्रों के साथ हकमारी की गई है।
श्याम रजक ने आरोप लगाया कि आईआईटी मुंबई में इस साल 2023 में दलितों के लिए आरक्षित सीटों में सिर्फ 9 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में सिर्फ तीन प्रतिशत पर एडमिशन लिया गया है, जबकि आरक्षित वर्गों के बहुतायत संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था और इंटरव्यू भी दिया था। रजक ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जहां एक तरफ दलित को आगे बढ़ाने की बात कर रही है। वहीं आरक्षण के प्रावधान के बावजूद ऐसे छात्रों का एडमिशन नहीं हो रहा है।
आईआईटी मुंबई के पांच विभागों में पिछले 8 साल में एक भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्र का पीएचडी कोर्स में एडमिशन नहीं किया गया है, जिससे मोदी सरकार पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम इसको लेकर राष्ट्रपति को पत्र भी लिखेंगे कि किस तरह से मोदी सरकार आरक्षण की अवहेलना कर रही है।
श्याम रजक ने कहा, “महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इसकी शिकायत करेंगे कि किस तरह से मोदी सरकार दलितों, पिछड़ा और अति-पिछड़ा के साथ भेदभाव कर रही है. सरकार की तरफ से आरक्षण की अवहेलना की जा रही है. इसकी जांच की भी मांग करेंगे.”
श्याम रजक की गिनती बिहार के कद्दावर नेताओं में की जाती है। वे इस समय राजद के राष्ट्रीय महासचिव हैं। पटना के फुलवारी शरीफ विधानसभा सीट से लगातार छह बार विधायक चुने गए हैं। 68 साल के श्याम रजक 2019 से 2020 के बीच बिहार सरकार में उद्योग मंत्री थे। श्याम तेजस्वी यादव के काफी करीबी बताए जाते हैं।
हायर एजुकेशन में आरक्षित वर्ग के छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार कई स्कॉलरशिप और स्कीम चला रही है। लेकिन पिछले पांच साल में आईआईटी और आईआईएम सहित अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी के 13000 से अधिक छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी है। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में दी। यह सवाल बसपा सांसद रितेश पांडेय ने पूछा था।
राज्य मंत्री ने बताया कि पिछले पांच साल में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 4,596 ओबीसी, 2,424 एससी और 2,622 एसटी छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी. इनमें आईआईटी के भीतर, 2,066 ओबीसी, 1,068 एससी और 408 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी। इसी तरह आईआईटी में पढ़ने वाले 2,066 ओबीसी, 1,068 एससी और 408 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी। जबकि आईआईएम में पढ़ने वाले 163 ओबीसी, 188 एससी और 91 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी। इस तरह केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले आरक्षित वर्ग के 13,626 छात्रों को पिछले पांच साल में पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
सामाजिक कार्यकर्ता व आईआईटी रूड़की के पूर्व छात्र मधुसूदन ने बताया कि आईआईटी व आईआईएम जैसे संस्थानों में दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों के साथ संस्थागत भेदभाव होता है। प्रवेश लेने से पढ़ाई पूरी करने तक छात्रों को न सिर्फ जातिगत भेदभाव से निपटना पड़ता है बल्कि अकादमिक व भाषाई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राजग महासचिव के आरोप की अगर निष्पक्ष जांच की जाए तो संस्था के स्तर पर होने वाले जातीय भेदभाव को उजागर किया जा सकता है।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.