दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना, ग्रामीणों ने कहा- 'कोर्ट को अवगत कराएंगे'
नई दिल्ली। तुगलकाबाद इलाके में एक विवादित भूमि पर स्थापित बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को गत सोमवार तड़के छह बजे, एमसीडी, एएसआई व दिल्ली पुलिस की टीम ने हटा दिया। इससे पहले रविवार शाम से ही तुगलकाबाद गांव के जाटव बस्ती में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। किसी को भी विवादित जगह पर जाने की अनुमति नहीं थी। वहीं स्थानीय लोगों को वीडियो बनाने तक के लिए रोक दिया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने विवादित भूमि से सभी तरह के अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। जाटव बस्ती के लोगों ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करते हुए सिर्फ बाबा साहब की प्रतिमा को हटाया है। वहीं उक्त जमीन पर संचालित कारखाना व अन्य अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं की।
क्या है पूरा मामला?
तुगलकाबाद गांव में जाटव बस्ती से जुड़ी हुई खसरा संख्या 687 की करीब साढ़े छह हजार गज जमीन है जो राजस्व रिकार्ड में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नाम से दर्ज है। इस जमीन पर कब्जे को लेकर गांव के ही एक दलित व गुर्जर परिवारों का विवाद चल रहा है। कई बार झगड़े भी हो चुके हैं। दोनों पक्ष स्थानीय प्रशासन से एक-दूसरे की शिकायत करते रहते हैं।
मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए एसडीएम कालकाजी और भूमि अधिकार संरक्षण सहायक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, दिल्ली सर्कल, सब-सर्कल तुगलकाबाद, को सरकारी, एएसआई भूमि पर अतिक्रमण के बारे में सूचित किया गया था। इसके बाद, संरक्षण सहायक सब-सर्कल तुगलकाबाद, गोविंदपुरी, दिल्ली की शिकायत पर जाटव मोहल्ला, कमान के चंदरपाल, शशिश्राम, राजाराम, रॉबिन द्वारा एएसआई की भूमि पर अतिक्रमण के संबंध में एनसीआर नंबर 42/21 दिनांक 20/04/21 दर्ज किया गया था। इसी से संबंधित मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने विवादित जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश गत 06 जुलाई 2022 को दिए थे।
बाबा साहब की मूति ही क्यों हटाई?
मामले के पक्षकार चंदरपाल ने कहा, "तुगलकाबाद गांव एएसआई की जमीन पर बसा है। यहां खसरा संख्या 687 जिसकी पैमाइश करीब साढ़े छह हजार गज है। इसको लेकर विवाद है। इस जमीन के एक हिस्से में बाबा साहब की मूर्ति लगी थी, जबकि दूसरे हिस्से में कारखाना संचालित है। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के बाद अधिकारियों ने सिर्फ बाबा साहब की मूर्ति हटाई है, जबकि कोर्ट का सभी तरीके के अतिक्रमण हटाने का आदेश था। हम न्यायालय को अधिकारियों द्वारा की गई पक्षपात पूर्ण कार्रवाई से अवगत कराएंगे।"
जमीन के भू-खंड को लेकर विवाद
गांव के दो परिवारों में जमीन के एक टुकड़े को लेकर पुराना विवाद है। एक पक्ष जितेंद्र गुर्जर और उनका परिवार पिछले कई वर्षों से उस प्लॉट पर कब्जा करने का दावा करता है जबकि दूसरा पक्ष यानी जाटव समुदाय इस भूमि के खाली हिस्से का उपयोग अपने सामुदायिक और सामाजिक समारोहों के लिए करना चाहता है। यहां यह भी उल्लेख करना उचित है कि 2015 में चंद्रपाल द्वारा एक मामला एससी/एसटी एक्ट में तहत जितेंद्र के परिवार के खिलाफ दर्ज कराया गया था। उस केस को दिल्ली हाइकोर्ट ने रद्द कर दिया था, क्योंकि दोनों पक्षों ने इस आधार पर मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया था कि राजबीर खाली भूखंड का कुछ हिस्सा जाटव समुदाय को सामाजिक कार्यों के लिए देंगे। इस भूमि पर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की मूर्ति की स्थापना को लेकर पूर्व में भी विवाद हो चुके हैं।
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