विजयवाड़ा। देश में दलितों के खिलाफ दोहरा व्यवहार किसी से छिपा नहीं है। बड़े-बड़े शहरों से लेकर देश के दूर-दराज इलाके में दलितों के खिलाफ अत्याचार की खबरें हर रोज आती हैं, और जब बात मंदिर की हो तो दलितों के साथ हमेशा अछूता व्यवहार किया जाता है। ताजा मामला आंध्र प्रदेश का है। यहां मंदिर में प्रवेश को लेकर सवर्ण और दलितों में कहासुनी हो गई।
क्या है पूरा मामला?
ये मामला बीते सोमवार दोपहर का है। यहां गांव के कुछ उच्च जाति (सवर्ण जाति) के लोगों के साथ दलित ग्रामीणों के झड़प के बाद तनाव पैदा हो गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ पुलिसकर्मियों को भी हस्तक्षेप करना पड़ा।
उच्च जाति के ग्रामीणों और दलितों के बीच झड़प सोमवार को शुरू हुआ। दरअसल, कथित तौर पर मंदिर के पुजारियों के अनुरोध पर दलितों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी। उस वक्त कहा गया कि मंदिर को कुछ समय के लिए 'संरक्षित' ( कोरोना के चलते) किया जाए। जबकि इसे केवल दो दिन पहले संरक्षित किया गया था।
दरअसल ये मुद्दा काफी दिनों से चल रहा था। इस मुद्दे पर पिछले कुछ दिनों से सवर्णों और दलितों के बीच आपस में कहासुनी चल रही थी। सोमवार को कुछ महिलाओं द्वारा कथित तौर पर दलितों को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने के जिसके बाद तनाव बढ़ गया।
पुलिस ने मामला संभाला
द हिंदू के अनुसार, ये विवाद काफी बढ़ गया। गतिरोध के कारण गरमागरम बहस हुई। अंत में पुलिस ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। पुलिस उप-निरीक्षक यू वेंकट प्रसाद और कुछ राजस्व अधिकारियों ने मिलकर मामले को बढ़ने से रोका।
निरीक्षक यू वेंकट प्रसाद ने कहा कि, "किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने से रोकने का अधिकार नहीं है। हमने मतभेदों को सुलझा लिया है और यह सुनिश्चित किया है कि ग्रामीणों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौता हो।"
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