यूपी/लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 31 जुलाई को हुए एक छेड़छाड़ मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा कुछ युवकों पर की गई संदेहास्पद कार्रवाई की — न्यूजलांड्री मीडिया समूह — के लिए इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट तैयार कर रहे द मूकनायक के पूर्व पत्रकार सत्य प्रकाश भारती के साथ रविवार की रात पुलिस अधिकारियों द्वारा कथित रूप से मारपीट करने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। घटना में एक नया मोड तब आया जब सोमवार को लखनऊ अमर उजाला एडीशन के अखबार ने सत्य प्रकाश को 'फर्जी पत्रकार' तक बता दिया।
पत्रकार ने द मूकनायक को बताया कि, "अमर उजाला ने अपने अखबार में मुझे 'फर्जी पत्रकार' बताया है। वह यह कैसे तय कर सकते हैं कि कौन फर्जी है या कौन सही है। उन्होंने मेरा पक्ष लिए बगैर खबर छापी है।"
सत्य प्रकाश ने कहा कि, "अमर उजाला को ईमेल के जरिए यह पेपर का कटिंग भेजकर उनसे पूछूँगा कि कैसे अपने यह पहचान की कि मैं फर्जी पत्रकार हूँ। आप पर क्यों न मानहानि की कार्रवाई की जाए। या फिर छापी गई खबर का खंडन करने प्रकाशित किया जाए।"
आपको बात दें कि, सत्य प्रकाश भारती ने द मूकनायक के साथ काम करते हुए अनेकों ऐसे रिपोर्ट्स कवर किये हैं जिनके दूरगामी परिणाम सामने आए। अयोध्या में दिवाली के दौरान दीयों से तेल निकालने वाले गरीब बच्चे, पैदल चलकर होम डिलीवरी करने वाली मुस्लिम महिला, चिता की आग और बची लकड़ी पर खाना पकाने को मजबूर डोम समाज, लखनऊ के अकबरनगर में बुलडोजर कार्रवाई के बाद विस्थापितों की दुर्दशा, मणिपुर हिंसा की ग्राउंड रिपोर्ट में कैसे BJP कार्यकर्ता ने घर की मेढ़ पर कुकी व्यक्ति की काटकर लगाई थी गर्दन! सहित दर्जनों कहानियां पत्रकार सत्य प्रकाश भारती ने रिपोर्ट की है। जिनका समाज और समुदाय पर गहरा असर पड़ा है।
पिछले साल, अगस्त 2023 में सत्य प्रकाश भारती ने द मूकनायक के लिए भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा के दौरान ग्राउंड रिपोर्ट की, जहां उन्हें मणिपुर राज्य सूचना कार्यालय से कर्फ्यू एरिया में रिपोर्टिंग के लिए पास भी जारी किया गया था। सत्य प्रकाश ने मणिपुर से लगभग आधा दर्जन से भी अधिक ग्राउंड रिपोर्ट कवर किया था।
इतना ही नहीं, फ्रांस की मशहूर मैगजीन "LE FIGARO" ने लखनऊ मूल के पत्रकार सत्य प्रकाश भारती के पत्रकारिता को सराहते हुए अपनी मैगजीन में दो पेज की जगह दी थी। सत्य प्रकाश भारती पर उस मैगजीन में रिपोर्ट तब छपी थी जब पत्रकार ने द मूकनायक के लिए बनारस के डोम समाज की दयनीय दशा पर स्टोरी कवर की थी।
सत्य प्रकाश भारती द मूकनायक से पहले लखनऊ के चर्चित 4 पीएम अख़बार में अपनी सेवाएं देते थे। उनकी खबरों से दम पर नगर निगम और लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों में भी खलबली मची रहती थी। लखनऊ कमिशनरेट की खोजी खबरे निकालकर मुखर तरीके से उन्हें छापने की पहचान उनके पत्रकारिता कैरियर को आगे बढ़ाता चला गया।
विगत रविवार की रात हुई घटना का जिक्र करते हुए सत्य प्रकाश ने अपने सोशल मीडिया पर लिख कि, उन्होंने पाया कि कई युवकों का दावा था कि गोमतीनगर में 31 जुलाई को हुए एक छेड़छाड़ मामले में कुछ युवकों को पुलिस ने आरोपी बनाया था। आरोपियों में से एक पवन यादव ने दावा किया कि वह बेगुनाह है। इस मामले की पड़ताल के लिए सत्य प्रकाश ने कई और युवकों से मुलाकात कर सबूत इकट्ठा किये। इसके बाद वह पुलिस अधिकारी का पक्ष लेने DCP ऑफिस पहुंचे थे। इस केस में कुछ युवकों की उस दिन पेशी भी थी।
पत्रकार ने मामले में आगे बताया कि, "DCP ने मेरा मोबाईल PRO से लिया, उसे फार्मेट करने को बोला। मेरा चश्मा निकाल लिया और पीटने को बोला गया लेकिन बुजुर्ग बैठे थे इसलिए वहां हाथ नहीं लगाया। पहले क्राइम टीम को बुलाया गया। जब वह नहीं आई तो थाना गोमतीनगर से पुलिस बुलाई गई। थानेदार राजेश त्रिपाठी मुझे धक्के मारते हुए DCP कार्यालय से बाहर लाये और गाड़ी में पीछे बैठाकर पेट, मुंह और जबड़े पर घूसा मारा। फिर रास्ते भर पीटते हुए थाने ले गए।"
"दो दिन से मैंने कुछ भी नहीं खाया था बस खबर पर फोकस कर रहा था। भूखे प्यासे मैं जमीन और बैठा था। मेरा नीचे का हिस्सा खून जमने के कारण सुन्न हो गया।मेरा पेट का हिस्सा बुरी तरह दर्द हो रहा था। मेरा बदन अकड़ने लगा। मैं बेसुध हो गया, पुलिस यह देखकर घबरा गई, मुझे टांग कर बाहर लाया गया। मेरा बदन ठंडा पड़ा जा रहा था। थाने लाये गए अन्य आरोपी से पुलिस ने मेरे हाथ-पैर रगड़ने को कहा। मुझे एक कार में टांग कर लिटाया गया। पुलिस मुझे पत्रकार पुरम के नोवा अस्पताल ले गई। वहां डॉक्टर नहीं मौजूद थे। अस्टिटेंट डॉक्टर ने मुझे कोई दवा लगाई। मेरी हालत खराब होती जा रही थी।"
"डाक्टरों ने पुलिस को मुझे लोहिया अस्पताल ले जाने की सलाह दी। लेकिन लखनऊ पुलिस खुद को फँसता देख रही थी इसलिए मुझे सरकारी संस्थान न ले जाकर मिठाई वाला चौराहे के पास एम्बुलेंस के जरियर मेट्रो एन्ड ट्रामा सेंटर ले जाया गया। अस्पताल के ICU में मुझे भर्ती कराया गया", पत्रकार सत्य प्रकाश ने बताया।
31 जुलाई को लखनऊ के गोमती नगर में बारिश से सड़क पर भरे पानी में दर्जनों लड़के हुड़दंग कर रहे थे और आने जाने वाले राहगीरों पर हाथ से पानी फेंक कर उन्हें परेशान कर रहे थे। उसी दौरान एक युवक और एक युवती मोटरसाइकिल से वहां से गुजर रहे थे, जिनपर वहां मौजूद युवाओं की भीड़ उनपर टूट पड़ती है। मनचलों की भीड़ उनपर पानी फेंकती है और कथित रूप से उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है. इस घटना की वीडियो तेजी से वायरल होता है, जिसपर सीएम योगी आदित्यनाथ के अपराधियों पर लगाम लगाने के दावे की जमकर फजीहत होती है। आनन फानन में इस घटना में कई युवकों को पुलिस आरोपी बना देती है। इन्हीं आरोपी बनाए गए युवकों का पक्ष जानने और घटना में वह शामिल थे या नहीं इसकी पड़ताल करने के लिए सत्य प्रकाश भारती इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट तैयार कर रहे थे।
बहरहाल, पत्रकार सत्य प्रकाश भारती के साथ लखनऊ पुलिस के रवैये की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हो रही है। ऊपर से पत्रकार पर अमर उजाला की भ्रामक खबर से लोगों में गुस्सा भी दिखा।
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