नई दिल्ली। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में दिल्ली का सेक्स रेश्यो 932 था जो पिछले साल यानी 2022 में घटकर 929 रह गया। इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली में पहले जहां हजार पुरुषों पर 932 महिलाएं थीं। वहीं पिछले साल यह संख्या कम हो गई। जन्म के समय हजार पुरुषों पर केवल 929 महिलाएं रह गईं।
हालांकि, इस रिपोर्ट में कुछ राहत देने वाली बात भी सामने आई है। मसलन दिल्ली में बर्थ रेट में इजाफा हुआ है। वर्ष 2021 के प्रति हजार लोगों पर जो बर्थ रेट 13.3 था। वह 2022 में बढ़कर 14.24 हो गया है। पिछले साल 350 बच्चों का जन्म हुआ जो 2021 के मुकाबले 28564 अधिक थे। 2021 में जहां प्रतिदिन औसतन 823 बच्चों का जन्म हुआ। रजिस्टर्ड नवजातों में 51.83% मेल थे। जबकि 48.14% फीमेल थी। जबकि 0.3% अन्य जेंडर कैटेगरी के थे। करीब 6% बच्चों का जन्म घर पर ही या किसी अन्य जगहों पर हुआ। करीब 66% बच्चों का जन्म सरकारी अस्पतालों में हुआ। रजिस्टर्ड बर्थ में 86.25% बच्चों का जन्म एमसीडी की ओर से रजिस्टर किया गया। एनडीएमसी एरिया में 12.64 और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड एरिया में 1.11% प्रतिशत बच्चों ने जन्म लिया।
द मूकनायक ने सुमन सिंह रावत से बात की। वह बताते हैं कि "आज भी यह चीज होती हैं। आज भी लड़के लड़कियों में फर्क किया जाता है। सभी लोग बराबरी की बात करते हैं। पर इसमें सच्चाई कहां तक है। आज भी पुरुष एक महिला को कामयाब होते हुए नहीं देख सकता। बताइए तो दोनों को सामान कैसे बताया जा सकता है। सरकार ने कितनी सारी योजनाएं बनाई हैं। कितने सारे कार्यक्रम चल रहे हैं कि बेटी बचाओ पर इसका क्या नतीजा निकलता है, कुछ नहीं। इसके कई कारण हो सकते हैं जो ज्यादातर सभी लोग जानते हैं। आज भी हम अपनी लड़की को लड़के के बराबर नहीं मानते। भ्रूण हत्या अपराध होने के बाद भी भ्रूण हत्या के मामले सामने आते रहते हैं। मेरा तो यह मानना है जब तक यह दुनिया रहेगी। तब तक यही होता ही रहेगा। क्योंकि लोग समझने के लिए तैयार ही नहीं है कि बेटियां भी भगवान का दिया हुआ खूबसूरत तोहफा है। उन्हें लड़कों के जितना ही मूल्यवान समझे."
सेक्स रेश्यो पुरुषों की संख्या और महिलाओं की संख्या के बीच का अनुपात है. यह प्रति 100 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है.
गर्भाधान के समय के अनुपात को प्राइमरी सेक्स रेशियो के रूप में जाना जाता है. इसकी गणना महिला गर्भाधान, गर्भपात और जन्म-मृत्यु दर के साथ-साथ जीवित बच्चों का डेटा का उपयोग करके की जाती है.
जन्म के समय पुरुष-महिला अनुपात को सेकेंडरी सेक्स रेशियो के रूप में जाना जाता है. यह मूल रूप से जनसंख्या स्तर पर निर्भर होता है.
टर्शियरी सेक्स रेशियो 20 वर्ष के आयु वर्ग में पाए जाने का अनुपात है। ज्यादातर मामलों में पुरुष महिलाओं से आगे निकल जाते हैं।
सेक्स रेशियो की गणना करने के लिए, सबसे पहले यह तय करें कि आप किन दो लिंगों या लिंगों के समूहों की तुलना करेंगे। इस उदाहरण में हम महिलाओं की संख्या की तुलना पुरुषों से करेंगे। लिंग अनुपात ज्ञात करने के लिए महिला की संख्या को पुरुष की संख्या से विभाजित किया जाता है।
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