इस साल का अंतिम चंद्रग्रहण आठ नवंबर को देखा गया था। इस दौरान सोशल मीडिया पर उड़ीसा की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को बिरायनी परोसनी जाने पर हिंदू संगठन बजरंग दल ने विरोध किया और कथित रूप से यूनिवर्सिटी के बाहर लाठी डंडे भी चलाएं। भारत में हिंदू धर्म में मान्यता है कि ग्रहण के दौरान खाना नहीं खाना चाहिए। लोग ग्रहण से पहले या तो बाद में ही खाना खा सकते हैं।
सूर्यग्रहण में सामूहिक भंडारे का आयोजन
द मूकनायक ने उस घटना में शामिल लोगों से बात की। सामाजिक कार्यकर्ता मधुसूदन सेठी के नेतृत्व में इस सामूहिक भंडारे का आयोजन किया गया था। उन्होंने द मूकनायक को बताया कि, "आठ नवंबर के दिन चंद्रगहण था। चूंकि उस दिन लोग खाना नहीं खाते हैं, इसलिए इस परंपरा को तोड़ने के लिए और लोगों की वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मजबूत बनाने के लिए लगभग 200 लोगों के लिए भंडारे का आयोजन किया गया था। जिसमें सामूहिक रुप से लोग आकर भोजन कर सकते थे। इससे पहले सूर्यग्रहण के दिन भी यह आयोजन किया गया था। जिसमें कई लोगों ने हिस्सा लिया था। लेकिन इस बारे हिंदूवादी संगठनों ने हमारे ऊपर हमला कर दिया। पंडाल में मौजूद लोगों के साथ मारपीट की गई। जिसमें कुछ लोगों को चोट भी लगी है। जिसके बाद बहरामपुर के बड़ा बाजार थाने में मामला दर्ज कराया गया। फिलहाल आईपीसी की धारा 147, 148, 447, 341, 294, 427, 506, 149, और एससी एसटी एक्ट 1989 के तहत मामला दर्ज किया गया है।"
'हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचाएंगे तो हम विरोध करेंगे'
इस बारे में जब द मूकनायक ने हिंदू संगठन के लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी को मारा नहीं है। बल्कि पुलिस की लाठीचार्ज के दौरान लोगों को चोट लगी है। हिंदू महासभा के सदस्य महंत चिन्मय दास का कहना है कि, "उस दिन सभी हिंदू संगठनों ने सामूहिक भंडारे का विरोध किया था। क्योंकि यह हमारी परंपरा के खिलाफ है। ऐसे मौके पर हजारों साल पहले भोजन न करने के पीछे ऋषि मुनियों ने वैज्ञानिक कारण भी बताएं हैं। जबकि आज के कई हिंदू विरोधी लोग इस वैज्ञानिक दृष्टि को गलत बता रहें है और भोजन करने को कह रहे हैं।"
दूसरे गुट के लोगों पर हमले की बात पर वह कहते हैं कि, "हमने किसी तरह की कोई झड़प नहीं की है। बल्कि पुलिस ने ही दोनों पर लाठी चार्ज किया जिसके कारण दोनों तरफ के लोगों को चोट लगी है।"
चिन्मय दास का कहना है कि, "आज कुछ लोग कहते हैं कि ग्रहण में खाना नहीं खाने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। इसलिए खाना चाहिए। कल को कहेंगे रामनवमीं नहीं मनानी चाहिए, फिर सरस्वती पूजा को भी मना कर देंगे। ऐसे में यह कल को सबकुछ बंद करवा देंगे। इसलिए जरुर है कि इसे रोका जाए। अगर यह भविष्य में भी ऐसा करेंगे तो हम इनका ऐसा ही विरोध करेंगे। हमारी संस्कृति को ठेस पहुंचने की कोशिश करेंगे तो ऐसा ही हाल करेंगे। इस घटना के बाद हिंदू संगठनो द्वारा अंबेडकरवादी लोगों पर आईपीसी की धारा 143, 341, 294, 323, 506, 147, 149, 295-A (धार्मिक भावनाओं का आहत करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।"
अन्य स्थान पर भी सामूहिक भंडारे पर किया हमला
ऐसा ही एक और मामला उड़ीसा के बहरामपुर में सामने आया। यहां कुछ अंबेडकरवादी सामजिक कार्यकर्ताओं ने हिंदूवादी परंपरा को मानने से इंकार करते हुए सामूहिक भंडारे का आयोजन किया। जिसमें कोई भी खाना खा सकता था। लेकिन यह बात हिंदू संगठनों को अच्छी नहीं लगी। आरोप है कि, उड़ीसा के हिंदू संगठन बजरंग दल और हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने इस सामूहिक भंडारे पर हमला कर दिया। जिसका विडिओ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हिंदू संगठन के लोग इसका विरोध करते हुए सामूहिक भंडारे के पंडाल पर भगवा झंडा फहरा रहे हैं।
इस घटना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों गुटों के लोगों को अलग किया। जिसके बाद दोनों पक्षों की तरफ से एफआईआर दर्ज कराई गई। हालांकि, मामले में अभी जांच चल रही है।
वहीं इस मामले में द मूकनायक ने बहरामपुर के एसपी सरवणा विवेक एस से बात की तो उन्होंने बताया कि "उस दिन पुलिस विभाग द्वारा हिंदू संगठन को सामूहिक भंडारा में जाने के लिए मना किया गया था। लेकिन वह नहीं माने और गए। उसके बाद वहां स्थिति बिगड़ गई। जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। फिलहाल दोनों पक्षों द्वारा मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच चल रही है।"
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