केदारनाथ के दर्शन करवाने वाले घोड़ों-खच्चरों पर क्यों हो रहा है अत्याचार?

पीठ पर बने गहरे ज़ख्म, दर्द भुलाने के लिए दिया जाता है नशा ताकि कई चक्कर लगा सकें मूक जानवर
केदारनाथ के दर्शन करवाने वाले घोड़ों-खच्चरों पर क्यों हो रहा है अत्याचार?
Published on

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा पर हर साल की तरह इस बार भी रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं। यात्री अपनी यात्रा से जुड़े संस्मरण सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से ही इन दिनों पवित्र भूमि पर जानवरों के साथ हो रहे अत्याचारों का खुलासा हुआ है जो दुखदायी है।

यह है पूरा मामला

एक मीडिया रिपोर्ट में रुद्रप्रयाग पुलिस के सोशल मीडिया प्रकोष्ठ द्वारा बताया गया है कि एक घटना 10 जून को हुई। दिल्ली के महिपालपुर में रहने वाला एक व्यक्ति केदारनाथ यात्रा पर जा रहा था। पुलिस ने बताया कि उस व्यक्ति ने भीमबली पुल के पास एक घोड़े को गंभीर हालत में पड़ा देखा, तो वह उसे बचाने के लिए रुका और उसने आसपास के लोगों से मदद की मांगी लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया।

यात्री के अनुसार उसने देखा कि एक आदमी अन्य घोड़ों और खच्चरों को पीट रहा है तो उसने उस व्यक्ति को रोकने का प्रयास किया और उन्हें जानवरों को पीटने से मना किया। इसके बाद घोड़ों और खच्चर संचालकों के एक समूह ने मिलकर उस यात्री पर हमला कर दिया और उसे उत्तराखंड से बाहर जाने को भी कहा।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। पुलिस ने कहा कि पीड़ित ने केदारनाथ से लौटते समय 12 जून को सोनप्रयाग थाने में हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इन पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है इस समूह में जुड़ा एक नाबालिग भी था, जिसके खिलाफ भी उचित कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इनके लाइसेंस को दरख्वास्त कराने के लिए संबंधित विभाग को सिफारिश भेज दी गई है।

पशु क्रूरता की बढ़ती घटनाएं

केदारनाथ हो या अन्य  कोई तीर्थ जगह जहां पर दर्शनार्थियों व उनके सामान को ढोने के लिए खच्चर व घोड़ो का इस्तेमाल होता है, वहां से आए दिन नए-नए वीडियोज सामने आ रहे हैं , जहां पर इनके मालिक इन मूक जानवरों पर लगातार अत्याचार करते हैं। जो भी व्यक्ति इन लोगों को ऐसा करने से रोकते हैं उन पर ही ये हमला कर देते हैं।

घोड़े को स्मोकिंग करवाने का वीडियो वायरल

इसी कड़ी में घोड़े को जबरन स्मोकिंग करवाने का एक चौंकाने वाला वीडियो बहुत तेजी से इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दो लोग एक बेजुबान घोड़े को जबरदस्ती स्मोकिंग करवाने का प्रयास करते दिख रहे हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि दो युवकों ने घोड़े के मुंह को कसकर पकड़ा हुआ है, और उसके एक नाक को बंद करके दूसरी नाक से जबरन बीड़ी पिलाने की कोशिश की जा रही है। इस पूरी घटना के दौरान घोड़ा छटपटाता है , लेकिन युवकों को उसपर रहम नहीं आता है। घोड़ों पर अत्याचार की खबर से हर कोई हैरान है। कई वीडियो शेयर कर दावा किया गया कि यात्रा में भार वहन करने वाले पशुओं के साथ बर्बरता की जा रही है। उनका खान-पान और रख रखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है। इसी वजह से बड़ी संख्या में घोड़ों की मौत हो रही है। 

गौरीकुंड तक वाहनों के माध्यम से पहुंचने के बाद तकरीबन 18 किमी की पैदल चढ़ाई को पार करने के लिए पैदल, डंडी-कंडी या घोड़े-खच्चरों के माध्यम से पहुंचा जाता है। यही प्रक्रिया वापसी के समय की भी है। पैदल मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ होने वाली क्रूरता की शिकायतें मिलने पर पुलिस के स्तर से थाना चैकियों पर अभियोग पंजीकृत कर आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। पुलिस की ओर से अब तक पशु क्रूरता को लेकर 14 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। 

अब पुलिस कर रही मामले की जांच, FIR दर्ज

घोड़े को स्मोकिंग करवाने वाले वीडियो को देखने के बाद पशु प्रेमियों में जबरदस्त रोष है और वे  पुलिस से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं अब मामले की गंभीरता को देख उत्तराखंड पुलिस भी हरकत में आई है। आरोपियों पर केस दर्ज कर तलाश शुरू कर दी है। पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, रूद्रप्रयाग पुलिस द्वारा मामला संज्ञान में लिया गया है। घोड़ा संचालक के विरुद्ध IPC की धारा व पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। 

दी गई जानकारी के में बताया गया है की  वीडियो छोटी लिंचोली में केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित थारू शिविर में लिया गया था। रुद्रप्रयाग पुलिस ने मामले का संज्ञान लिया है और घोड़ा संचालक के खिलाफ आईपीसी और पशु क्रूरता अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अशोक पनवार का कहना है कि यह पशु क्रूरता का कृत्य है। घोड़ा-खच्चर संचालक की पहचान कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

इस पूरे मामले पर द मूकनायक ने अन्ना रतोरी से बात की। अन्ना कई सालों से पशुओं की रक्षा और उनके साथ होने वाले क्रूरता की रोकथाम के लिए काम करती हैं। वह केदारनाथ में 1 महीने से हैं और इसी विषय पर रिसर्च कर रही हैं। अन्ना जानवरों के प्रति क्रूरता से जुड़े कई केस लड़ रही हैं।  

जानवरों की हालत खराब, कुपोषित और घायल 

अन्ना बताती हैं कि "यहां की स्थिति बहुत ही खराब है। हर कोई जानवरों के जरिए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहता है। खच्चर हो या घोड़े, कानूनन उनको एक ही चक्कर लगवा सकते हैं। लेकिन यहां पर पशुस्वामी उनको दिन में 3 से 4 राउंड कटवाते हैं और एक चक्कर लगाने में 4 से 5 घंटे लगते हैं। तो सोचिए तीन से चार चक्कर लगाने में कितना समय लगता होगा, और एक चक्कर लगाने में 3000 रुपए लगते हैं लेकिन यह लोग 6000 से लेकर 12000 रुपए तक लेते हैं। यह खच्चर को मारते पीटते ले जाते हैं। इन्हें ना खाने का समय देते हैं और ना ही पर्याप्त आराम का समय देते हैं। खच्चरों से इतना ज्यादा काम करवाते हैं कि हर तीसरा चौथा खच्चर कुपोषित पाया जाता है", अन्ना कहती हैं कि "खच्चरों के ऊपर काठी होती है जिस पर यात्री बैठते हैं। आप उसको हटा कर देखेंगे तो उनकी कमर पर पस पड़े हुए घाव दिखाई देंगे जिनपर मरहम पट्टी के बिना ही यात्रियों को बैठा देते हैं।"

जानवरों की दुर्दशा को अपनी आंखों से देख चुकी अन्ना आगे कहती हैं कि, जानवरों के मुंह पर लगाम लगाते हैं जो कि आपराधिक है क्योंकि इससे इनको सांस लेने में दिक्कत होती है। कई बार इनके मुंह से खून भी आ जाता है। तब भी इनके मालिकों को इन पर दया नहीं आती। जब भी इनको बीड़ी सिगरेट या ड्रग्स देते हैं उसका एक कारण यह होता है कि नशे में यह अपने दर्द को भूल जाते हैं और चढ़ाई करते हैं। और फिर कई चक्कर ऊपर नीचे यह लगा लेते हैं। यह घोड़ा, खच्चर ही नहीं इनके चालक स्वयं भी नशे में ही रहते हैं और अपने पशुओं को भी नशा करवाते हैं। जिससे कि यह ज्यादा से ज्यादा पैसा कमा सकें। यहां का प्रशासन भी पूरी तरह से ढीला है। एक घोड़े, खच्चर के साथ एक चालक होना चाहिए परंतु यहां तीन से चार खच्चर के साथ एक चालक होता है, और यहां कोई डॉक्टरी सुविधा भी इतनी दुरुस्त नहीं है। सारी डॉक्टर सुविधा दूर-दूर बनी हुई है।

आगे वह कहती हैं कि, इन बेचारे खच्चरों और घोड़ों के मरने के बाद इनके मालिकों को इंश्योरेंस का पैसा भी मिलता है। इसलिए ये इनका इलाज ना कराकर इनके मरने का इंतजार करते हैं। मरने के बाद खच्चर का अंतिम संस्कार भी नहीं करते बल्कि, मंदाकिनी नदी में बहा देते हैं। पता नहीं कितने खच्चर मंदाकिनी नदी में बहाए जाते हैं जिससे नदी का जल भी दूषित हो रहा है। खच्चरों और घोड़ों से रात में भार वहन करवाना प्रतिबंधित है लेकिन तमाम कानूनी प्रावधानों की घोर अनदेखी होती है जिससे इन मूक पशुओं का जीवन अत्यंत दयनीय है।

यह भी पढ़ें-
केदारनाथ के दर्शन करवाने वाले घोड़ों-खच्चरों पर क्यों हो रहा है अत्याचार?
राजस्थान: क्या खाकी पर अब भी विश्वास है कायम?
केदारनाथ के दर्शन करवाने वाले घोड़ों-खच्चरों पर क्यों हो रहा है अत्याचार?
राजस्थान: बहुजन विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति डकार गए घोटाले बाज, 65 लाख रुपयों का गबन
केदारनाथ के दर्शन करवाने वाले घोड़ों-खच्चरों पर क्यों हो रहा है अत्याचार?
मध्य प्रदेशः दलितों के 10 घरों पर चला बुलडोजर, पीड़ित कर रहे 'मुआवजे की मांग'-ग्राउंड रिपोर्ट

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com