नई दिल्ली: बीते कुछ हफ़्तों में देश भर से ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं जो सीधे तौर पर धर्मनिरपेक्षिता और संवैधानिक अधिकारों को सीधे तौर पर चुनौती देती नजर आई. हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन इन मामलों में घटनाएं चौंकाने वाली थीं. इन घटनाओं में क्रमशः राजस्थान में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पर बीजेपी विधायक बालमुकंदाचार्य द्वारा टिप्पणी, राजस्थान में गणतंत्र दिवस पर सरस्वती का चित्र लगाने का जबरन प्रयास और डॉ. आंबेडकर के चित्र लगाए जाने पर आपत्ति, बाबा साहब द्वारा ली गईं 22 प्रतिज्ञाओं को छात्रों से कहलवाने के बाद छत्तीसगढ़ में शिक्षक का निलंबन शामिल है.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित शासकीय स्कूल में हेडमास्टर ने बाबा साहब डॉ. आंबेडकर द्वारा ली गई 22 प्रतिज्ञाओं [नागपुर में दीक्षा भूमि में 15 अक्टूबर 1956 को डॉ. आंबेडकर ने साढ़े 3 लाख से ज्यादा लोगों के साथ हिंदू धर्म त्याग कर 22 प्रतिज्ञाएं किये थे।] को अपने स्कूल के छात्रों से दोहरवाया. कथित रूप से हेडमास्टर द्वारा बच्चों से कहलवाया गया कि, वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश को नहीं मानेंगे। उन्होंने बच्चों को भगवान को नहीं मानने और बौद्ध धर्म अपनाने की शपथ दिलाई। जब इसका वीडियो वायरल होने लगा तो हेडमास्टर को निलंबित कर दिया गया।
यह पूरा मामला बिल्हा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला भरारी का है। स्कूल के हेडमास्टर रतनलाल सरोवर का एक वीडियो वायरल है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि हेडमास्टर स्कूल में बच्चों को शपथ दिला रहे हैं. हेड मास्टर रतन लाल कह रहे हैं कि, त्रिदेव- ये तीनों भगवान नहीं हैं और आगे से वे (बच्चे) भी उन्हें भगवान नहीं माने। वे स्टूडेंट्स को बौध धर्म स्वीकार करने की शपथ दिलाते हुए नजर आए।
वीडियो 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन का बताया जा रहा है। वीडियो सामने आने के बाद भाजपा नेता और बिल्हा जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष विक्रम सिंह ने डीइओ टीआर साहू से इसकी शिकायत की थी। उन्होंने हेडमास्टर के कृत्य को शासकीय गरिमा के खिलाफ़ बताया। साथ ही आरोप सिद्ध होने पर उनके खिलाफ़ विभागीय जांच की मांग की। हालांकि, शासकीय प्राथमिक शाला के हेडमास्टर रतनलाल सरोवर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
राजस्थान के बारां जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लकड़ाई में गणतंत्र दिवस समारोह में सरस्वती की तस्वीर लगाने और पूजा के लिए एक शिक्षिका पर दबाव बनाने का मामला सामने आया। हालांकि शिक्षिका ने गणतंत्र दिवस समारोह में सरस्वती का चित्र लगाने से मना कर दिया और पूछा कि सरस्वती का शिक्षा में क्या योगदान है? महिला शिक्षिका ने कहा, तस्वीर सावित्री बाई फुले की लगेगी क्योंकि शिक्षा की देवी सावित्री बाई हैं सरस्वती नहीं। उस दिन की घटना का एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो गया।
वीडियो में दिख रहा है कि गांव के लोग समारोह में पहुंच कर सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद करवा देते हैं. बाद में मंच पर बाबा साहब डॉ. अंबेडकर के चित्र के साथ सरस्वती का चित्र रख कर पूजा नहीं करने पर महिला शिक्षक को देख लेने की धमकी भी देते हैं। विरोध के बावजूद मनबढ़ों ने सरस्वती की तस्वीर लेकर मंच पर रख दी। लेकिन शिक्षिका ने डट कर ग्रामीणों के विरोध का सामना किया और गणतंत्र दिवस के प्रोग्राम में हिन्दू परम्परा का कोई औचित्य नहीं होना बताया.
प्रधानाध्यापक ने बताया कि समारोह में महापुरुषों व सरस्वती की तस्वीरों को लेकर उपजे विवाद के बाद सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने समझाइश कर गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम संचालित करवाया। महापुरुषों व धार्मिक देवी की तस्वीर को लेकर शुरु हुए विवाद में स्कूल के ही दो शिक्षकों का नाम सामने आ रहा है। आरोप है कि पहले तो दो शिक्षकों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाने पर एतराज किया। जब मंच पर बाबा साहब की तस्वीर लगा दी गई तो, शिक्षकों ने सरस्वती की तस्वीर भी मंच पर लगाने को कहा।
आरोप है कि कार्यक्रम संचालन कर रही शिक्षिका हेमलता बैरवा ने सरस्वती की तस्वीर नहीं लगाने दी। इससे नाराज शिक्षक भूपेन्द्र सेन व हंसराज सेन समारोह छोड़ कर गांव वालों के पास चले गए। उन्हें भड़काकर स्कूल में लाए। इसके बाद ग्रामीणों ने स्कूल में बवाल काटा। हालांकि, शिक्षक हंसराज सेन ने द मूकनायक से बात करते हुए गांव वालों को भड़काने की बात से इनकार किया और कहा कि जब सरस्वती की तस्वीर नहीं लगी तो झंडारोहण के बाद वह मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय चले गए थे।
जबकि, शिक्षिका ने कहा कि सरस्वती की पूजा के लिए मैंने ग्रामीणों से मना कर दिया। "मैं किसी प्रकार की पूजा नहीं करती। ना ही किसी प्रकार के अंधविश्वास और पाखंडवाद को मानती हूं। मना करने पर गांव के कुछ मनबढ़ों ने मुझ पर सरस्वती की पूजा करने का दबाव बनाया। इस तरह जोर जबरदस्ती से विद्यालय के बच्चे डर गए। आरोपी मनबढ़ों ने उक्त दोनो शिक्षकों की शह पर विद्यालय में उत्पात मचाकर गणतंत्र दिवस समारोह में व्यवधान डाला," महिला शिक्षिका ने कहा.
26 जनवरी की शाम को दलित महिला शिक्षक व ग्रामीणों की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए परस्पर मामले दर्ज कराए गए हैं। महिला शिक्षक ने ग्रामीणों के साथ विद्यालय स्टाफ के दो शिक्षकों को भी आरोपी बनाया है। पुलिस ने दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज कर जांच शाहबाद पुलिस उपाधीक्षक हेमंत गौतम को जांच सौंपी है। दूसरी ओर महिला शिक्षक के समर्थन में कई बहुजन संगठन के लोग भी प्रदर्शन करते हुए सड़क पर उतर आए हैं. सामाजिक संगठनों ने महिला शिक्षक को जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर स्कूल में सरस्वती की पूजा करने का दबाव बनाने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग भी की है।
हवामहल विधानसभा के बीजेपी विधायक बालमुकंदाचार्य के बयानों को लेकर जयपुर में एक बार फिर बवाल मच गया है। विधायक ने शहर के एक सरकारी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में धार्मिक नारे लगाए, और हिजाब पहन कर कार्यक्रम में बैठीं छात्राओं पर टिप्पणी करते हुए हिजाब की वजह से माहौल खराब होने की बात कही। इसके अलावा, छात्राओं को हिजाब पहनकर आने से मना भी किया.
हवामहल विधायक कुछ दिन पूर्व शुभाष चौक पुलिस थाना इलाके के एक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में अतिथि के रूप में आए थे। यहां उन्होंने पहले तो भारत माता व सरस्वती मां के जयकारे लगवाए। जब कुछ बच्चियों ने जयकारा नहीं लगाया तो उन्होंने कहा कि, "कुछ बच्चियां नहीं बोल रहीं हैं, किसी ने मना किया है क्या….?” इसके बाद उन्होंने स्कूल स्टाफ से कहा कि “हिजाब का क्या चक्र लगा रखा है। शादीशुदा हैं क्या ये? बच्चियां ऐसे पहन कर आती हैं। मना किया करो हिजाब लगाकर आने से। हिजाब की वजह से माहौल खराब कर रखा है। फिर आपको भी ऐसे ही आना पड़ेगा कल से। स्कूल में तो हिजाब बंद करो। सब चेंज करवाओ, क्या करवा रखा है ये। बिल्कुल पैक करवा रखा है इनको।"
विधायक के इस बयान के बाद मुस्लिम छात्राओं ने बीते सोमवार को हिजाब पहनकर शुभाष चौक पुलिस थाने के बाहर विधायक के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान हिजाब पहन कर प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने कहा कि, स्कूल शिक्षा का घर है, वहां धार्मिक नारे क्यों लगवाए गए। हमारे हिजाब पर टिप्पणी की गई। विधायक को माफी मांगनी होगी।
एक छात्रा ने कहा कि, "हम इसे चेंज नहीं करेंगे। यह हमारा अधिकार है। यह हमारी जान है, शान है। हम हिजाब नहीं छोड़ेंगे।" प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने भी अल्लाहुअकबर का नारा लगाया। उधर आदर्श नगर विधायक रफीक खान ने विधानसभा में भाजपा विधायक की स्कूल में हिजाब पर टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप संविधान का उलंघन कर रहे हो। उन्होंने तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप भी लगाया।
राजस्थान में एक अन्य मामले में, डूंगरपुर के सीमलवाड़ा में भी गणतंत्र दिवस के मौके पर एक सरकारी स्कूल में आयोजित समारोह में बाबा साहेब की तस्वीर मंच पर लगाने को लेकर एक पक्ष द्वारा विरोध किए जाने की सूचना मिली। हालांकि, इस मामले में कोई आधिकारिक शिकायत की जानकारी नहीं हुई है. लेकिन सोशल मीडिया में इस बात को बहुजन अधिकार समर्थकों द्वारा उठाया गया।
शिक्षा महकमे से जुड़े लोगों का मानना है कि राजस्थान में तख्ता पलटने के बाद धार्मिक कट्टरता का प्रभाव दिखने लगा है। नाम न लिखने की शर्त पर एक शिक्षिका ने बारां घटना पर अपनी राय देते हुए कहा कि महिला टीचर ने बात एकदम सही कही कि सरस्वती का शिक्षा में योगदान केवल माइथोलॉजी बेस्ड मान्यता है, जबकि सावित्री बाई फुले के प्रयास डॉक्यूमेंटेड हैं। बावजूद इसके उन्हें सरस्वती का चित्र रखने को बाध्य करना और मुकदमा दर्ज करवाना प्रताड़ित और भय का माहौल उत्पन्न करने का प्रयास है जो उचित नहीं।
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