उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। टनल में फंसी अमेरिकन ऑगर मशीन के मलबे को पूरी तरह बाहर निकालने के बाद मैन्युअल तरीके से सुरंग खोदकर मजदूरों को बाहर निकाला गया। उल्लेखनीय है कि दिवाली के पर्व वाले दिन हुए हादसे में 41 मजदूर टनल के अंदर ही फंसे रह गए थे।
सरकार की ओर से उन्हें सकुशल बाहर निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। इस ऑपरेशन पर पीएम मोदी की पैनी नजर थी, वो अधिकारियों से रेस्क्यू ऑपरेशन का पल-पल अपडेट ले रहे थे।
उत्तराखंड टनल में फंसे मजदूरों को निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एक-एक कर मजदूरों को टनल से बाहर निकाला जा रहा है। द मूकनायक को अपने सोर्स से मिली जानकारी के मुताबिक एक मजदूर को निकालने में काम से कम 3 मिनट का समय लग रहा है। तो 41 मजदूरों को निकालने में अभी समय लगेगा। सुरंग से बाहर आते ही मजदूरों को फौरन एंबुलेंस की जरिए अस्पताल ले जाया जा रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता के बाद मजदूरों के परिजनों, रेस्क्यू टीम और प्रशासन ने राहत की सांस ली है। फिलहाल एक - एक कर के मजदूरों को बाहर निकाला जा रहा है। खबर लिखने तक 35 मजदूर निकाले जा चुके हैं, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड निवासी विजय होरो को सबसे पहले निकाला गया है। दूसरे मजदूर गणपति होरो को भी सुरंग से बाहर निकाला गया है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया।
इन मजदूरों को मलबा भेदकर ड्रिलिंग मशीन के जरिए सुरंग बनाकर निकाला गया, जिसमें 800 एमएम के पाइप डाले गए. इन पाइपों के जरिए एक-एक कर मजदूरों को बाहर निकाला गया और वो रेंगते हुए बाहर निकाले गए. जो मजदूर कमजोर हैं या किसी वजह से रेंगते हुए बाहर नहीं आ सके उनके लिए एक स्ट्रेचर बनाया गया था, जिसमें पहिए लगे हुए हैं. इन मजदूरों स्ट्रेचर पर लिटाकर रस्सी के जरिये बाहर खींचा गया.
रेस्क्यू ऑपरेशन के चलते टनल के अंदर ही अस्थाई मेडिकल सुविधा का विस्तार किया गया है। फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के बाद इसी जगह पर उनका स्वास्थ्य प्रशिक्षण किया जाएगा। कोई भी दिक्कत होने पर स्वास्थ विभाग द्वारा लगाए गए 8 बेड और डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम तैनात है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार AIIMS ऋषिकेश के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नरिंदर कुमार ने कहा, 'बचाए गए श्रमिकों को केवल तभी यहां लाया जाएगा जब उत्तरकाशी जिला अस्पताल में चिकित्सा उपचार की जरूरतें पूरी नहीं हो सकेंगी। AIIMS ऋषिकेश में, ट्रॉमा सेंटर में 20 बिस्तर हैं और कुछ आईसीयू बेड। यदि श्रमिकों को यहां लाया जाता है, तो उन्हें अच्छी चिकित्सा देखभाल दी जा सकती है। राज्य सरकार द्वारा आदेश दिए जाने पर उत्तरकाशी भेजे जाने के लिए डॉक्टरों की एक टीम गठित की गई है।
सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए बचाव अभियान अब से लगभग 12 दिन पहले शुरू हुआ था।
मामले से जुड़ी मुख्या बातें-
•इस प्रक्रिया में लगे बचाव कर्मियों को बार - बार कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
•मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शुरुआत में बचाव दल ने हॉरिज़ोंटल यानी क्षैतिज खुदाई शुरू की ताकि सीधे रास्ते से सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचा जा सके।
•लेकिन इस प्रक्रिया में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मसलन, मलबे में सरिए और मिश्रित धातू से टकराने की वजह से ऑगर मशीन को नुकसान पहुंचा।
•और आख़िरकार वह टूट गयी जिसके बाद उसे निकलाने की दिशा में लंबा प्रयास किया गया।
•इसके बाद वर्टिकल खुदाई शुरू की गयी। लेकिन इसके साथ ही हॉरिजोंटल खुदाई की प्रक्रिया में अंतिम पांच मीटर की खुदाई मैनुअली की गयी।
•इस वजह से अब मजदूरों को मैनुअली ही बाहर निकलाने की कोशिश की गई जो सफल रही।
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