उत्तर प्रदेश। अयोध्या में दशको से टेंट में स्थापित रामलला की मूर्ति पर प्रसाद चढ़ रहा था। कोरोना के दौरान प्रसाद चढ़ना बन्द हो गया। प्रसाद का पैकेट बनाकर बेचने वाले लोग कोरोना के दौरान मास्क बेचने लगे। जब लॉकडाउन खत्म हो गया तब रामजन्मभूमि ट्रस्ट की तरफ से मन्दिर में बाहरी प्रसाद पर रोक लगा दी गई। ऐसे में प्रसाद बनाकर बेचने वाले लगभग 400 लोग रोजगार छिन गया। अब यह लोग मन्दिर के बाहर टीका लगाने का काम करते हैं। द मूकनायक ने उन परिवारों से बात की जो प्रसाद बनाकर बेचते थे। सभी परिवारों की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है। वहीं रामजन्मभूमि ट्रस्ट का कहना है कि सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा किया गया है। जो लोग प्रसाद बनाकर बेचते थे उन्हें मन्दिर में मजदूरी का काम दिया गया है। लेकिन सवाल यह है कि जब मन्दिर का निर्माण खत्म होगा तब यह परिवार क्या करेगा?
भारत में यूपी के अयोध्या का राम मंदिर देश के हिन्दू लोगों के लिये पिछले कई शताब्दी से आस्था का केंद्र रहा है। अयोध्या में वर्षों से लोग दर्शन पूजन के लिये देश विदेश से बड़ी संख्या में आते हैं। अयोध्या में पचास हजार से ज्यादा लोग रोजाना राम मंदिर और हनुमान मंदिर में पूजा के लिये आते हैं। इन मंदिरों में चढ़ने वाले प्रसाद को बनाने का काम सदियों से अयोध्या के लोग करते आ रहे थे। अयोध्या में दर्शन करने के लिये अन्य जिलों और राज्यों से आने वाली भीड़ यहां के स्थाई निवासियों के लिये रोजगार भी देती थी। अयोध्या में विभिन्न मन्दिर होने के कारण यहां पर पूजा सामग्री और प्रसाद की हजारों दुकानें हैं। लेकिन 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो कई लोगों के रोजगार बढ़ने की जगह छिन गया।
राम मंदिर बनने की कवायद शुरू होने के बाद रामजन्मभूमि ट्रस्ट और जिला प्रशासन ने क्षेत्र का तीर्थ स्थल के रुप मे विकास करना शुरू किया। ऐसे में हनुमानगढ़ी से लेकर राम मंदिर के रास्ते में आने वाली सभी दुकानें तोड़ दी गई। इन दुकानों को नये सिरे से बनाने का काम शुरू हुआ। जिन लोगों के पास रकम थी उन्होंने दुकाने पुनः हासिल कर ली। लेकिन, जो दुकानदार आर्थिक रूप से कमजोर थे उन्हें दुकान से हाथ धोना पड़ा। राम मंदिर में सदियों से मेवा और मिश्री प्रसाद के रूप में चढ़ता था।
अयोध्या में रामजन्मभूमि पर प्रसाद का पैकेट बनाकर बेचने वाले श्रीनाथ सिंह द मूकनायक को बताते हैं, कोरोना के कारण मन्दिर में प्रसाद चढ़ना बन्द हो गया था। जब लॉक डाउन खत्म हुआ तब ट्रस्ट की तरफ से मन्दिर में प्रसाद पर रोक लगा दी गई। लगभग 400 लोग यह काम करते थे। ट्रस्ट द्वारा प्रसाद पर रोक के कारण हम सब बेरोजगार हो गए हैं। अब हम मन्दिर के गेट के बाहर टीका-चंदन लगाने का काम करते हैं। श्रद्धालु स्वेच्छा से जो दे देते हैं हम उसे रख लेते हैं। प्रसाद में रोजाना दो से तीन हजार की कमाई होती थी। कई बार टीका भी लगाने नहीं दिया जाता है।
राम मंदिर के पास प्रसाद बेचने वाले अमित कुमार शर्मा बताते हैं, "मैं 7 साल की उम्र से प्रसाद बेचने का काम करता था। मैं स्कूल जाता था तो समय मिलने पर प्रसाद बेचता था। लॉकडाउन के बाद से प्रसाद पर रोक लग गई। लॉकडाउन खत्म हो गया लेकिन प्रसाद पर रोक लगी रही।
नाम न छापने की शर्त पर एक टीका लगाने वाले पुजारी बताते हैं, "ट्रस्ट की तरफ से मन्दिर के गेट पर हमें टीका लगाने की सख्त मनाही है। कई बार पुलिस हमें खदेड़ देती है। एक सप्ताह पहले ही एक पुलिसकर्मी ने एक व्यक्ति का टीका चंदन का सामान उठाकर फेंक दिया था।"
मन्दिर में प्रसाद बेचने वाले लोग बताते हैं, "मन्दिर में अब प्रसाद ट्रस्ट ही देता है। बाहरी प्रसाद पर पूर्ण रूप से रोक है।" वहीं इस बारे में रामजन्मभूमि ट्रस्ट के मीडिया प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि ऐसा सुरक्षा की दृष्टि से किया गया है। जो लोग यह काम करते थे वह अब टीका-चंदन का काम करते हैं। कई लोगों को मन्दिर परिसर में काम दिया गया है। वह मजदूरी कर रहे हैं।
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