कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान परीक्षा देने से वंचित रह गए कई अभ्यर्थी, अतिरिक्त समय सीमा की मांग को लेकर कर रहे आंदोलन।
नई दिल्ली। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी कोरोना काल में उपजी परिस्थितियों के कारण पिछले लंबे समय से अतिरिक्त समय की मांगों को लेकर राजधानी दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। संविधान दिवस के दिन भी अभ्यर्थियों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें कई लोगों ने हिस्सा लिया। पिछले दो सालों से अभ्यर्थी यूपीएससी स्टूडेंट्स का हब कहने जाने वाले मुखर्जीनगर और राजेंद्रनगर में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है।
अब एक बार अभ्यर्थी 17,18 और 19 दिसंबर को बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं, जिसमें 17 और 18 को कैंडल मार्च निकाला जाएगा। अंत में 19 दिसम्बर को ओल्ड राजेंद्र नगर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
क्या मांग है?
कोरोना महामारी के कारण सभी को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा है। स्टूडेंट्स भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। इसलिए अभ्यर्थियों की मांग है कि उन्हें दो साल का ऐज रिलेक्सेशन दिया जाए, जिसके लिए अभ्यर्थियों का तर्क है कि कोरोना के दौरान सभी लोग मानसिक तौर पर बहुत परेशान थे, जिसका सीधा असर पढ़ाई पर भी पड़ा है। कई लोगों का आखिरी अटैम्ट भी इन दोनों साल में खत्म हो गया है। यहां तक की कोरोना के दौरान कई अभ्यर्थी अपने घरों में वापस चले गए थे। कई जगहों पर तो इंटनेट की भी उपलब्धता नहीं थी। कई लोगों ने अपने परिजनों को भी खोया है। इसलिए जरूरी है कि यूपीएससी अभ्यर्थियों को यह सहूलियत दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी
पिछले दो साल से धरना प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि इसी साल मार्च के महीने में संसदीय समिति ने अपनी अनुशंसा में पाया कि अभ्यर्थियों को कोरोना का भयावह स्थिति को देखते हुए अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए। राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी इसकी अध्यक्षता कर रहे थे। इस समिति ने भी सरकार को इसके बारे में विचार करने को कहा। समिति का कहना था कि कोरोना और उस समय की स्थिति को देखते हुए यूपीएससी के अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए।
इस रिपोर्ट के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यूपीएससी अभ्यर्थियों द्वारा लगाई गई अपील के बारे में पूछा। लेकिन जुलाई के महीने में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि किसी तरह का भी अतिरिक्त समय सीमा नहीं दिया जाएगा।
अपनी परेशानी को लेकर अभ्यर्थियों ने लगभग 150 सांसदों से मुलाकात की। यहां तक की पीएम मोदी को भी इस बारे में पत्र लिखा है, लेकिन उसका कोई सकरात्मक जवाब नहीं आया है। जबकि देश के 18 राज्यों की सरकारें इसकी मंजूरी दे चुकी हैं।
अब अभ्यर्थियों का कहना है कि यह उनका मौलिक अधिकार है, जिसके लिए वह लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अभ्यर्थी मुखर्जी नगर से लेकर जंतर-मंतर तक लगातार मैदान में डटे हैं, और एक बार फिर कैंडल मार्च के साथ धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
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