भारत सरकार दलित-आदिवासी वर्ग के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बजट में हजारों करोड़ रुपए आवंटित करती है, लेकिन अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी विकास, विदेश में अध्ययन, जैसी अन्य प्रभावी योजनाओं में कम बजट राशि आवंटित होने से सफाई-कर्मचारियों, विद्यार्थियों और अन्य लोगों को निराशा झेलनी पड़ती है।
ऐसे में यह निराशा हमारे सामने, छात्रवृत्ति के लिए आंदोलन करते विद्यार्थियों की भीड़ और अपने सुरक्षा अधिकार की गुहार लगाते मैला ढोने वाले सफाई-कर्मचारियों के प्रदर्शन के रूप में नजर आती है।
एससी और एसटी समुदाय के लिए वे कौन-कौन सी योजनाएं होती हैं, जिनमें कम बजट आवंटित किया जाता है? यह दलित-आदिवासी बजट का हर साल विश्लेषण करने वाली संस्था एसीडीएचआर (नेशनल कैंपेन ऑन दलित ह्यूमनराइट) अपने डेटा के जरिए स्पष्ट करती है।
एसीडीएचआर बजट विश्लेषण में बताती है कि वित्त 2022-23 के बजट में अजा के लिए कुल 329 योजनाओं के तहत कुल 1,42,342 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। वहीं अजजा के लिए 336 योजनाओं के तहत 89,265 करोड़ रुपए आवंटित किए गए, लेकिन अजा के बजट के तहत कुल 329 योजनओं में से महज 74 ही लक्षित योजनाएं हैं। वहीं, अजजा बजट के तहत कुल 336 में से सिर्फ 77 ही लक्ष्य पूर्ण योजनाएं रहीं।
एनसीडीएचआर बजट डेटा के मुताबिक, अजा बजट के तहत इन प्रभावी योजनाओं के लिए कम बजट आवंटन किया गया है। जैसे राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृति के लिए 36 करोड़ रुपए, कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए छात्रवृति 30 करोड़, सफाई कर्मचारी विकास के लिए 25 करोड़, पीएम रिसर्च फैलो के लिए 36 करोड़ है। ऐसे ही, मीन्स-कम मेरिट छात्रवृत्ति के लिए 66 करोड़ और जाति वित्त विकास निगम के लिए 50 करोड़ रुपए आवंटित हुए है। एनसीडीएचआर के अनुसार यह बजट आवंटन इन जरूरी योजनाओं के लिए कम है।
इसी तरह, एनसीडीएचआर बजट विश्लेषण अजजा बजट के तहत प्रभावी योजनाओं के लिए जो कम बजट आवंटित होता है, उसे भी स्पष्ट करता है। डेटा बताता है कि, विदेश अध्ययन के लिए अजजा छात्रों को छात्रवृति 4 करोड़ रुपए, कॉलेज स्तरीय शिक्षा के लिए छात्रवृति 20 करोड़, पीएम रिसर्च फैलोशिप के लिए 17 करोड़, अजजा राष्ट्रीय फैलोशिप और छात्रवृत्ति के लिए 145 करोड़ रुपए आवंटित हुए। वहीं वेंचर कैपिटल फंड के लिए 50 करोड़, मीन्स कम मेरिट के लिए 36 करोड़ अनुसूचित जनजाति हब के लिए 20 करोड़ रुपए आवंटित किए गये। यह आवंटित राशि इन योजनाओं की मजबूती के लिए कम है।
जब द मूकनायक ने दलित-आदिवासी वर्ग की जरूरी योजनाओं में कम बजट के आवंटन को लेकर एनसीडीएचआर संगठन में रिसर्च एण्ड डेटा एनॉलिस्ट के रुप में कार्यरत डॉली से बातचीत की। डॉली मूकनायक को बताती हैं कि, इस बार बजट आवंटन में एससी के लिए 1,59,126 करोड़ रुपए आवंटित किया गया। लेकिन नीति आयोग के दिशानिर्देश के हिसाब से हमें 2 लाख से ज्यादा मिलना चाहिए था। ऐसे में हमें जो बजट मिला है , उसमें 44 हजार करोड़ की कमीं है।
आगे वे कहतीं हैं नीति आयोग के दिशानिर्देश के मुताबिक, जो भी योजनाएं है, एससी-एसटी के लिए वह सीधे लाभ पहुंचना चाहिए । ये लाभ व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामूहिक स्तर पर चाहिए।
फिर इसके बाद वह बताती हैं, इस बार एससी के बजट 1,59,126 करोड़ में से केवल 30475 करोड़ रुपए लक्षित योजनाओं के लिए दिया गया है। ऐसे में बजट की जो 1 लाख करोड़ से ज्यादा राशि है, वह सड़क, बिल्डिंग जैसी अन्य सामान्य योजनाओं के लिए आवंटित की गईं है। ये योजनाएं मुख्य रूप एससी-एसटी के लिए नहीं हैं।
द मूकनायक के इस सवाल पर कि एससी-एसटी के लिए लक्षित योजनाओं के बजट को सामान्य योजनाओं में ना डाला जाए, इसका समाधान आप कैसे देखती है? तब डॉली जबाव देते हुए कहती हैं कि, अगर सरकार स्वयं नीति आयोग के दिशानिर्देश को 100 प्रतिशत कार्यान्वित करेगीं तो बहुत हद तक इस डायवर्जन को रोका जा सकता है।
नीति आयोग की जो गाइड्लाइन है वह सिर्फ गाइड्लाइन है। अभी यूनियन स्तर पर विधान नहीं है। यदि गाइड्लाइन विधि निर्माण के रूप में आएगी। तब योजनाओं का कार्यान्वयन और मजबूती से किया जा सकता है, जिससे एससी-एसटी के लिए योजनाएं लाभदायक साबित हो सकती हैं।
द मूकनायक के इस सवाल पर कि, एससी-एसटी के खासतौर पर आर्थिक विकास लिए और कौन सी योजनाएं लायी जा सकती हैं?
तब डॉली कहती हैं, पीएम आवास जैसी और अन्य योजनाएं लायी जा सकती हैं जो दलित-आदिवासी वर्ग को सीधे लाभ पहुंचाये। हालांकि वे यह भी कहती हैं कि, पीएम आवास और हाऊसिंग स्कीम जैसी योजनाओं में भी बजट कम आवंटित किया जाता है।
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